प्राणायाम एवं ध्यान विधि -
1. पदमासन / सिद्धासन / सुखासन की स्थिति मे एकान्त, शान्त स्थान मे बैठे ।
2. 11 बार तीव्र भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करे । लुहार की धौंकनी के समान तीव्र गति से शवास को अन्दर भरना और बाहर निकालना ।
3. 11 बार मृदु भस्त्रिका अर्थात् दीर्घ शवसन करना । मन को शान्त और स्तिर करना ।
विशेष - अभ्यास 2 एंव 3 मन को शान्त करने के लिए ही है ।ऋषि द्वारा निर्दिष्ट नही है
4. शवास को तेजी से बह्यर निकालकर बहार ही यथाशक्ति रोके । साथ ही मूलेन्द्रिय को उपर की ओर खीचे । फिर जब घबराहट हो तो शवास को धीरे धीरे अन्दर लेवे। इस को 5 बार करे ।
5. अब शवास को भरकर अन्दर ही यथाशक्ति रोके । साथ ही मूलेन्द्रिय को उपर की और खीचे । फिर जब घबराहट हो तो शवास को बाहर निकाले । इस अभ्यास को भी 5 बार करे ।
6. प्राणायाम के अभ्यास के पश्चात् मस्तिष्क के अग्र भाग मे भृकुटि स्थल मे ध्यान केन्द्रित करते हुए गायत्री मंत्र के अर्थ का विचार करते हुए ध्यान का अभ्यास करे । जब तक अर्थ याद न होवे तब तक गायत्री मंत्र के शब्दो पर ही ध्यान केन्द्रित करे ।
7. सम्पूर्ण प्राणायाम के दौरान मन मे केवल ओउम् का ही जाप करे ।
8. लाभ : -
प्राणायाम - के अभ्यास से बुद्धि इतनी तीव्र और सूश्र्म हो जाती है कि कठिन से कठिन विषय को भी शीघ्र ग्रहण कर लेती है ।
ध्यान :- इसके अभ्यास से आत्मबल इतना बढ जाता है कि व्यक्ति पहाड जैसे दु:ख को भी चींटी के समान तुच्छ समझने लगता है ।
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