Friday 26 February 2016

त्राटक














त्राटक 

एकाग्रता बढ़ाने की यह प्राचीन पद्धति है। पतंजलि ने 5000 वर्ष पूर्व इस पद्धति का विकास किया था। योगी और संत इसका अभ्यास परा-मनोवैज्ञानिक शक्ति के विकास के लिये भी करते हैं।

आधुनिक वैज्ञानिक शोधों ने भी यह सिद्ध कर दिया है। इससे आत्मविश्वास पैदा होता है, योग्यता बढ़ती है, और आपके मस्तिष्क की शक्ति का विकास कई प्रकार से होता है। यह विधि आपकी स्मरण-शक्ति को तीक्ष्ण बनाती है । प्राचीन ऋषियों द्वारा प्रयोग की गई यह बहुत ही उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण पद्धति है।

समय- अच्छा यह है कि इसका अभ्यास सूर्योदय के समय किया जाए। किन्तु यदि अन्य समय में भी इसका अभ्यास करें तो कोई हानि नहीं है।
स्थान- किसी शान्त स्थान में बैठकर अभ्यास करें। जिससे कोई अन्य व्यक्ति आपको बाधा न पहुँचाए।

प्रथम चरण- स्क्रीन पर बने पीले बिंदु को आरामपूर्वक देखें।

द्वितीय चरण - जब भी आप बिन्दु को देखें, हमेशा सोचिये – “मेरे विचार पीत बिन्दु के पीछे जा रहे हैं”। बिना पलकें झपकाए एक टक देखते रहे।इस अभ्यास के मध्य आँखों में पानी आ सकता है, चिन्ता न करें। आँखों को बन्द करें, अभ्यास स्थगित कर दें। यदि पुनः अभ्यास करना चाहें, तो आँखों को धीरे-से खोलें। आप इसे कुछ मिनट के लिये और दोहरा सकते हैं।

अन्त में, आँखों पर ठंडे पानी के छीटे मारकर इन्हें धो लें। एक बात का ध्यान रखें, आपका पेट खाली भी न हो और अधिक भरा भी न हो।

यदि आप चश्में का उपयोग करते हैं तो अभ्यास के समय चश्मा न लगाएँ। यदि आप पीत बिन्दु को नहीं देख पाते हैं तो अपनी आँखें बन्द करें एवं भौंहों के मध्य में चित्त एकाग्र करें । इसे अन्तःत्राटक कहते है । कम-से-कम तीन सप्ताह तक इसका अभ्यास करें। परन्तु, यदि आप इससे अधिक लाभ पाना चाहते हैं तो निरन्तर अपनी सुविधानुसार करते रहें।
त्राटक के लिए ॐ या अन्य चित्र का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
त्राटक के लिए दीपक की लौ को भी देखा जा सकता है। जब आँखें थक जाए तो आँखें बंद कर आज्ञा चक्र में दीपक के लौ की कल्पना करे।

उगते हुए या अस्त होते हुए सूर्य का त्राटक चर्म रोगों और कई अन्य रोगों से छुटकारा दिलाता है। 

जिनकी नजर कमजोर है या जिनके चश्मे का नंबर दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। उन्हें अपनी आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए योग में त्राटक की सलाह दी जाती है, जिन्हें हाई पावर का चश्मा लगा हो, उन्हें यहसप्ताह में तीन बार जरूर करना चाहिए। जिनकी नजर कमजोर नहीं है और चाहते हैं कि उनकी नजरें कमजोर न हो। उन्हें यह हफ्ते में एक बार आवश्यक रूप से करना चाहिए।

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