Tuesday 4 August 2015

मुलहठी के कुछ उपयोग












मुलहठी के कुछ उपयोग

* मुलहठी एक प्रसिद्ध और सर्वसुलभ जड़ी है।

*असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है। यह सूखने पर अम्ल जैसे स्वाद की हो जाती है। यह स्‍वाद में शक्‍कर से भी मीठी होती है। मुलेठी बड़ी ही गुणकारी औषधि के रूप में उपयोग की जाती है। मुलेठी गले की खराश, खांसी, उदरशूल क्षयरोग, श्‍वासनली की सूजन तथा मिरगी आदि के इलाज में उपयोगी है।

* मुलेठी का सेवन आँखों के लिए भी लाभकारी है। इसमें जीवाणुरोधी क्षमता पाई जाती है। यह शरीर के अन्‍दरूनी चोटों में भी लाभदायक होता है।

* भारत में इसे पान आदि में डालकर प्रयोग किया जाता है।

* मुलेठी या मुलहठी पान में भी डाल कर खाई जाती है। इसे मधुमेह के रोग को ठीक करने के लिये भी प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार मुलेठी अपने गुणों के कारण ही बढ़े हुए तीनों दोषों वात, कफ और पित्त को शांत करती है। कोई भी समस्या न हो तो भी कभी-कभी मुलेठी का सेवन कर लेना चाहिए आँतों के अल्सर ,कैंसर का खतरा कम हो जाता है तथा पाचनक्रिया भी एकदम ठीक रहती है।

* मुलहठी की एक से डेढ़ मीटर ऊँची बेल होती है और इमली जैसे छोटे-छोटे पत्ते होते हैं। इन बेलों पर बैंगनी रंग के फूल लगते हैं इसकी जड़ें जमीन के अंदर फैली होती हैं, जिनका औषधि के लिए उपयोग किया जाता है।

* मुलहठी स्वाद में मधुर, शीतल, पचने में भारी, स्निग्ध और शरीर को बल देने वाली होती है। इन गुणों के कारण यह बढ़े हुए तीनों दोषों को शांत करती है।

* खाँसी-जुकाम : कफ को कम करने के लिए मुलहठी का ज्यादातर उपयोग किया जाता है। बढ़े हुए कफ से गला, नाक, छाती में जलन हो जाने जैसी अनुभूति होती है, तब मुलहठी को शहद में मिलाकर चाटने से बहुत फायदा होता है।

* बड़ों के लिए मुलहठी के चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं। शिशुओं के लिए मुलहठी के जड़ को पत्थर पर पानी के साथ 6-7 बार घिसकर शहद या दूध में मिलाकर दिया जा सकता है। यह स्वाद में मधुर होती है अतः सभी बच्चे बिना झिझक के इसे चाट लेते हैं।

* मुलहठी बुद्धि को भी तेज करती है। अतः छोटे बच्चों के लिए इसका उपयोग नियमित रूप से कर सकते हैं।

* यह हल्की रेचक होती है। अतः पाचन के विकारों में इसके चूर्ण को इस्तेमाल किया जाता है। विशेषतः छोटे बच्चों को जब कब्ज होती है, तब हल्के रेच के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है। छोटे शिशु कई बार शाम को रोते हैं। पेट में गैस के कारण उन्हें शाम के वक्त पेट में दर्द होता है। उस समय मुलहठी को पत्थर पर घिसकर पानी या दूध के साथ पिलाने से पेट दर्द शांत हो जाता है।

* मुलहठी की मधुरता से पित्त का नाश होता है। आमाशय की बढ़ी हुई अम्लता एवं अम्लपित्त जैसी व्याधियों में मुलहठी काफी उपयुक्त सिद्ध होती है। आमाशय के अंदर हुए व्रण (अलसर) को मिटाने के लिए एवं पित्तवृद्धि को शांत करने के लि मुलहठी का उपयोग होता है। मुलहठी को मिलाकर पकाए गए घी का प्रयोग करने से अलसर मिटता है।यह कफ को आसानी से निकालता है। अतः खाँसी, दमा, टीबी एवं स्वरभेद (आवाज बदल जाना) आदि फेफड़ों की बीमारियों में बहुत लाभदायक है। कफ के निकल जाने से इन रोगों के साथ बुखार भी कम हो जाता है। इसके लिए ‪#‎मुलहठी‬ का एक छोटा टुकड़ा मुँह में रखकर चबाने से भी फायदा होता है।

*यह ठंडी प्रकृति की होती है और पित्त का नाश करती है।

* मुलेठी को काली-मिर्च के साथ खाने से कफ ढीला होता है। सूखी खांसी आने पर मुलेठी खाने से फायदा होता है। इससे खांसी तथा गले की सूजन ठीक होती है।

* मुलेठी का एक ग्राम चूर्ण नियमित सेवन करने से वे अपनी सुंदरता को लंबे समय तक बनाये रख सकती हैं।

* लगभग एक महीने तक , आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण सुबह शाम शहद कसाथ चाटने से मासिक सम्बन्धी सभी रोग दूर होते है।

* फोड़े होने पर मुलेठी का लेप लगाने से जल्दी ठीक हो जाते है।

* रोज़ ६ ग्रा. ‪#‎मुलेठी‬ चूर्ण , ३० मि.ली. दूध के साथ पीने से शरीर में ताकत आती है।

* लगभग ४ ग्रा. मुलेठी का चूर्ण घी या शहद के साथ लेने से ह्रदय रोगों में लाभ होता है।

* इसके चूर्ण को मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है।

* इसके आधा ग्राम रोजाना सेवन से खून में वृद्धि होती है।

* जलने पर मुलेठी और चन्दन के लेप से शीतलता मिलती है.

* मुलेठी की जड़ पेट के घावों को समाप्‍त करती है, इससे पेट के घाव जल्‍दी भर जाते हैं। पेट के घाव होने पर मुलेठी की जड़ का चूर्ण इस्‍तेमाल करना चाहिए।

* इससे न केवल गैस्ट्रिक अल्सर वरन छोटी आंत के प्रारम्भिक भाग ड्यूओडनल अल्सर में भी पूरी तरह से फायदा करती है। जब मुलेठी का चूर्ण ड्यूओडनल अल्सर के अपच, हाइपर एसिडिटी आदि पर लाभदायक प्रभाव डालता है। साथ ही अल्सर के घावों को भी तेजी से भरता है।

* टीबी रोग में फायदेमंद मुलेठी आंतों की टीबी के लिए भी फायदेमंद है।

* मुलेठी के चूर्ण से आँखों की शक्ति भी बढ़ती है सुबह तीन या चार ग्राम खाना चाहिये।

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