हकलाना [Stammering ]
हकलाकर या अटक -अटक कर बोलना , दोनों का मतलब एक ही है - वाक् शक्ति में गड़बड़ी , जिसमे बोलनेवाला , बोलते-बोलते रुक जाता है , बोले हुए शब्दों को दोहराता है या लम्बा कर के बोलता है | जल्दी-जल्दी शब्दों को पूर्ण रूप से न बोल पाना तथा किसी बात को बोलते समय बार-बार दोहराना या बोलते-बोलते रुक जाना आदि हकलापन या तोतलापन कहलाता है। हकलाने वाले व्यक्ति कुछ अक्षरों जैसे प, ब, ट, ड, ग, क आदि ठीक तरह से नहीं बोल पाते, जिसके कारण शब्दों को बोलने में हकलाना, तुतलाना तथा रुक-रुक कर बोलना आदि परेशानी होने लगती है। कुछ बच्चे या व्यक्ति जीभ मोटी होने के कारण भी तुतलाते रहते हैं।
कारण :
बोलने में काम आने वाली पेशियों के स्नायुओं का नियंत्रण दोषपूर्ण होने से कोई भी शब्द बोलने में रुकावट आती रहती है। जिसके कारण बोलने में तुतलापन या हकलापन उत्पन्न होता है। इस प्रकार के रोग जीभ के अधिक मोटा होने से भी होता है।
हकलाहट के आयुर्वेदिक उपचार
१-हकलाहट दूर करने के लिए 10 बादाम तथा 10 काली मिर्च थोड़ी सी मिश्री के साथ पीसकर प्रातःकाल एक गिलास गर्म दूध के साथ लें ,यह प्रयोग कम से कम दस दिन करें |
२- गाय का घी हकलाहट दूर करने का एक उत्तम उपचार मन जाता है | 3-6 ग्राम घी में प्रतिदिन मिश्री मिलकर सुबह-शाम चाटें और ऊपर से गाय का दूध पियें | लगातार कुछ महीनों तक इसका सेवन करने से हकलाना बंद हो जाता है |
३- बच्चों को एक ताज़ा आंवला प्रतिदिन चबाने के लिए दें | इससे उनकी जीभ पतली और आवाज़ साफ होती है तथा उनका हकलाना और तुतलाना दूर हो जाता है |
४- रात को 10 बादाम पानी में भिगो दें | सुबह उनके छिलके उतार कर पीस लें , और उन्हें 30 ग्राम मक्खन के साथ सेवन करने से भी हकलाहट में लाभ होता है |
जीभ के लिए कुछ व्यायाम।
उज्जायी प्राणायाम भी इसके लिए बहुत बेहतर हैं।
पेन या पेन्सिल को अपने दोनों जबाड़ो में जितना पीछे हो सके कस कर पकडे और फिर धीरे धीरे बोलने का प्रयत्न करे, कोई लेख पढ़े।
इन व्यायामों से भी इस रोग पर काबू पाया जा सकता हैं।
और ऐसे व्यक्तियों को चाहिए के वो अपना बोलने का स्टाइल थोड़ा बदले, हमेशा धीरे धीरे शब्दों को चबा चबा कर बोले।
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