Sunday, 6 March 2016

आयुर्वेदिक फास्टफ़ूड खाएं स्वस्थ सेहत बनाएं















आयुर्वेदिक फास्टफ़ूड खाएं स्वस्थ सेहत बनाएं

आधुनिक जीवन शैली में फास्ट फ़ूड सभी जन के जीवन में प्रवेश कर चुका है भारतीयों की प्रकृति के अनुसार हमें देशी व्यंजन आहार करना चाहिए बर्गर, चाउमीन या इस तरह के अन्य फास्ट फ़ूड स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते है ।

आधुनिक जीवन शैली के तहत लोग अपने आहार के प्रति उतने सजग नहीं है इसमें वे भोजन का समय एवं पोषण मूल्यों का ध्यान रख सकें परिणाम स्वरुप झटपट भोजन (फास्ट फ़ूड ) के परिणाम भुगतने पड़ते है इसमें एसिडिटी, कब्जियत आदि शामिल है भोजन में महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ।

इसी तरह भोजन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक है :-
भोजन के पूर्व हाथ आदि की स्वच्छता का भी ध्यान रखें भोजन करते समय बोलना या पुस्तक पढ़ना आदि कार्य न करें ।

भोजन के समय उपयुक्त आसन का प्रयोग करना चाहिए खड़े-खड़े या चलते-चलते भोजन करना पशु ब्रितिवत है ।

भोजन के समय चित्त शांत एवं एकाग्र होना चाहिए इससे एन्जाइम्स का स्राव ठीक से होता है ।

समय पर भोजन करें समय से अधिक पूर्व या समय के बाद भोजन करना सामान्य क्षुधा प्रवृत्ति को नष्ट करता है इससे अरुचि , एसिडिटी प्रभृति रोग उत्पन्न होते है ।

आयुर्वेद में अनेक आहार व्यंजन का वर्णन है जिसे हम फास्ट फ़ूड के रूप में प्रयोग कर सकते है या उसे हम आयुर्वेदिक फास्ट फ़ूड कहें तो अतिश्यक्ति नहीं होगी यह फास्ट फ़ूड शरीर को पोषण प्रदान करने के साथ-साथ स्वस्थ वर्धक भी है ।

धाना (कार्न) :-
धान, जौ, आदि को भूनकर धाना बनाता है ( वर्तमान में केलाग्स कार्न फ्लेक्स इसका एक प्रकार है जो मक्के से निर्मित होता है ) आयुर्वेद में धान या जौ से निर्मित धाना अधिक गुणकारी है इसमें दूध एवं शक्कर मिलाकर सेवन करने पर यह शरीर के बल को बढ़ाता है पचने में हल्का व पोषण प्रदान करता है अत: इसका प्रयोग नाश्ते के रूप में किया जा सकता है पोषण के अतिरिक्त यह कंठ , नेत्र के रोग ,उलटी दस्त होने पर अच्छे भोजन का विकल्प है इससे रोग को नियंत्रण करने में भी मदद मिलती है ।

सत्तू :-
धान, चना, जौ आदि धान्यों को भूनने व पीसने पर वह सत्तू कहलाता है यह फास्ट फ़ूड का अच्छा विकल्प है सत्तू में थोड़ी मात्रा में घी एवं शक्कर मिलाकर पानी डालकर पेस्ट बनाकर खाने पर यह तुरंत शरीर में बल प्रदान करता है यह सत्तू की विशेषता है सत्तू में सेहद मिलाकर सेवन करने पर मोटापा, एवं केवल पानी मिलाकर सेवन करना मधुमेही रोगी का आदर्श भोजन है गर्मी में सत्तू का प्रयोग प्यास को भी कम करता है एवं बलदायक है सत्तू सेवन के भी निर्देश है जिसे जानकर प्रयोग करना चाहिए ।

पृथुडा (चिवडा) :-
चावल जौ को भिगोकर भुन लेने पर यह पृथुडा कहलाता है वर्तमान समय में प्रचलित पोहा भी इसी प्रकार है इसको पानी में भिगोकर दूध एवं शर्करा डालकर सेवन करने पर यह स्निग्ध मलभेदक एवं वातशामक है ।

कुल्माषा (घुघरी) :-
गेहूं चना मुंग आदि अन्न को उबालकर उसमे सरसों का तेल डालकर सेंक लें एवं नमक डालें यह कुल्माषा है यह भी फास्ट फ़ूड का विकल्प है कुल्माषा गुरु, लघु, व मल का भेदन करता है जिन द्रव्यों से यह बनाया जाता है उस द्रव्य के गुणों से युक्त होता है जैसे मुंग से बनाने पर पचने में हलकी व उड़द से बनी कुलामाषा गुरु होती है ।

लप्सिका (लपसी) :-
बारीक़ गेहूं के आटे को हल्का भुन लें व उसमे मात्रानुसार शर्करा एवं दूध डालकर पकाएं उसे उतारकर उसमे लौंग, चूर्ण, काली मिर्च एवं इलायची चूर्ण डाले यह लप्सिका है ।

पिंडारी (इडली ) :-
पिंडरी आयुर्वेद में वर्णित है उड़द एवं मुंग की पिठी बनाकर उसमे नमक हिंग अदरख व जीरा मिलाकर पिंडाकार बनाकर भाप में पकाएं एवं घी में तल लें इसे सुखा या इमली की चटनी में खाया जा सकता है यह बलकारक क्षुदा शांत करने वाली शुक्र बढ़ाने वाली एवं रोचक है ।

कुंडलनी (जलेवी ) -:
मालवा का प्रसिद्ध खाद्य पदार्थ व्यंजन है दूध के साथ जलेवी का प्रयोग बलकारक पोषक एवं तर्पक है इस तरह के आयुर्वेदिक एवं भारतीय व्यंजन फास्ट फ़ूड का बेहतर विकल्प है एवं शरीर के लिए फस्ट फ़ूड की तरह हानिकारक न होकर लाभदायक होते है ।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.