साइटिका/रिंगन बाय/ गृध्रसी = जोड़ों के दर्द, घुटनो के दर्द, कंधे की जकड़न, एक टांग मे दर्द (साइटिका/रिंगन बाय/ गृध्रसी), गर्दन का दर्द (सरवाईकाल स्पोंदिलाइटिस) आदि की हानि रहित सुरक्षित चिकित्सा।
ये चिकित्सा आयुर्वेद विशेषज्ञ “श्री श्याम सुंदर” जी ने अपनी पुस्तक
रसायनसार मे लिखी हैं। मैं इस तेल को पिछले
5 सालों से बना रहा हूँ और प्रयोग कर रहा हूँ।
कोई भी आयुर्वेदिक तेल जैसे महानारायण तेल,
आयोडेक्स, मूव, वोलीनी आदि इसके समान
प्रभावशाली नहीं है। एक बार आप इसे जरूर बनाए।
सामान – कायफल =250 ग्राम , तेल
(सरसों या तिल का)=500 ग्राम
कायफल- “यह एक पेड़ की छाल है” जो देखने मे
गहरे लाल रंग की खुरदरी लगभग 2 इंच के
टुकड़ों मे मिलती है। ये सभी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी बेचने वाली दुकानों पर कायफल के
नाम से मिलती है। इसे लाकर कूट कर बारीक
पीस लेना चाहिए। जितना महीन/ बारीक
पीसोगे उतना ही अधिक गुणकारी होगा।
बनाने की विधि – एक लोहे/ पीतल/
एल्यूमिनियम की कड़ाही मे तेल गरम करें। जब तेल गरम हो जाए तब थोड़ा थोड़ा करके
कायफल का चूर्ण डालते जाएँ। आग धीमी रखें।
जब सारा चूर्ण खत्म हो जाए तब कड़ा ही के
नीचे से आग बंद कर दे। एक कपड़े मे से तेल छान
ले। जब तेल ठंडा हो जाए तब कपड़े को निचोड़
लें। इस तेल को एक बोतल मे रख ले। कुछ दिन मे तेल मे से लाल रंग नीचे बैठ जाएगा। उसके बाद
उसे दूसरी शीशी मे डाल ले। अधिक
गुणकारी बनाने के लिए इस साफ तेल मे 25
ग्राम दालचीनी का मोटा चूर्ण डाल दे।
जो कायफल का चूर्ण तेल छानने के बाद बच जाए
उसी को हल्का गरम करके उसी से सेके। उसे फेकने की जरूरत नहीं। हर रोज उसी से सेके।
जहां पर भी दर्द हो इसे हल्का गरम करके धीरे
धीरे मालिश करें। मालिश करते समय हाथ
का दबाव कम रखें। उसके बाद सेक जरूर करे।
बिना सेक के लाभ कम होता है।
मालिस करने से पहले पानी पी ले। मालिश और सेक के 2 घंटे बाद तक ठंडा पानी न पिए।
ये चिकित्सा आयुर्वेद विशेषज्ञ “श्री श्याम सुंदर” जी ने अपनी पुस्तक
रसायनसार मे लिखी हैं। मैं इस तेल को पिछले
5 सालों से बना रहा हूँ और प्रयोग कर रहा हूँ।
कोई भी आयुर्वेदिक तेल जैसे महानारायण तेल,
आयोडेक्स, मूव, वोलीनी आदि इसके समान
प्रभावशाली नहीं है। एक बार आप इसे जरूर बनाए।
सामान – कायफल =250 ग्राम , तेल
(सरसों या तिल का)=500 ग्राम
कायफल- “यह एक पेड़ की छाल है” जो देखने मे
गहरे लाल रंग की खुरदरी लगभग 2 इंच के
टुकड़ों मे मिलती है। ये सभी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी बेचने वाली दुकानों पर कायफल के
नाम से मिलती है। इसे लाकर कूट कर बारीक
पीस लेना चाहिए। जितना महीन/ बारीक
पीसोगे उतना ही अधिक गुणकारी होगा।
बनाने की विधि – एक लोहे/ पीतल/
एल्यूमिनियम की कड़ाही मे तेल गरम करें। जब तेल गरम हो जाए तब थोड़ा थोड़ा करके
कायफल का चूर्ण डालते जाएँ। आग धीमी रखें।
जब सारा चूर्ण खत्म हो जाए तब कड़ा ही के
नीचे से आग बंद कर दे। एक कपड़े मे से तेल छान
ले। जब तेल ठंडा हो जाए तब कपड़े को निचोड़
लें। इस तेल को एक बोतल मे रख ले। कुछ दिन मे तेल मे से लाल रंग नीचे बैठ जाएगा। उसके बाद
उसे दूसरी शीशी मे डाल ले। अधिक
गुणकारी बनाने के लिए इस साफ तेल मे 25
ग्राम दालचीनी का मोटा चूर्ण डाल दे।
जो कायफल का चूर्ण तेल छानने के बाद बच जाए
उसी को हल्का गरम करके उसी से सेके। उसे फेकने की जरूरत नहीं। हर रोज उसी से सेके।
जहां पर भी दर्द हो इसे हल्का गरम करके धीरे
धीरे मालिश करें। मालिश करते समय हाथ
का दबाव कम रखें। उसके बाद सेक जरूर करे।
बिना सेक के लाभ कम होता है।
मालिस करने से पहले पानी पी ले। मालिश और सेक के 2 घंटे बाद तक ठंडा पानी न पिए।
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