कान का बहना
सुबह उठने के बाद पानी में नींबू को निचोड़कर पीने से कान से
मवाद बहना कम हो जाता है।
बिजौरा नींबू के रस में थोड़ी-सी सज्जीखार मिलाकर कान में बूंदों के रूप में डालने से कान में से बहने वाला पीव बन्द होता है।
नींबू के 200 मिलीलीटर रस में सरसों का या तिल का तेल मिलाकर अच्छी तरह उबाल लें। पकने पर छानकर बोतल में भरकर रख लें। उसमें से 2-2 बूंद कान में डालते रहने से कान में पीव, खुजली, दर्द और बहरेपन में लाभ पहुंचाता है
तिल के तेल में लहसुन की कली डालकर, गर्म करके, उसकी बूंदे कानों में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
बहरेपन का रोग दूर करने के लिए 50 मिलीलीटर तिल के तेल में लहसुन की 5 कली डालकर गर्म कर लें और छान लें तथा इसके बाद इसकी 2-3 बूंदे कान में डालने से लाभ मिलता है।
बहरापन (कान से कम सुनाई) देने पर उपचार करने के लिए 25 मिलीलीटर काले तिल के तेल में लगभग 40 ग्राम लहसुन को पीसकर जलाकर तेल बना लें इसके बाद इस तेल को छानकर रोजाना 2-3 बार कान में डालने से अधिक आराम मिलता है।
40 मिलीलीटर हुलहुल के रस को 10 मिलीलीटर तिल के तेल में मिलाकर पकाएं। पकने के बाद जब बस तेल ही बाकी रह जायें तो इसे आग पर से उतार कर छान लें। इस तेल को कान में डालने से कान मे से मवाद बहना बंद हो जाता है।
कान के कीड़े को मारने के लिए तिल के तेल की 2 से 3 बूंदे कान में डालें। इससे लाभ मिलेगा।
तिल का तेल, धतूरे का रस, सेंधानमक, मदार के पत्ते और अफीम को कड़ाही में डालकर पका लें। जब पकने के बाद सब कुछ जल जाये तो उसे उतारकर और छानकर एक शीशी में भर लें। नीम के पत्तों और फिटकरी को पानी में डालकर पकाकर कान को इस पानी से पहले साफ कर लें। फिर बनाये हुये तेल की 5-6 बूंदे रोजाना कान में डालने से कान से मवाद बहना, कान का दर्द और बहरापन दूर हो जाता है।
125 मिलीलीटर तिल के तेल को 50 मिलीलीटर मूली के रस में मिलाकर पका लें। जब पकने के बाद तेल ही बच जाये तो उसे छानकर शीशी में भर लें। इसकी 2-3 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
बरगद का दूध 3/4 बूंद डालने से भी कान का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है ।
खुश्क दर्द मे आक के पीले पत्तों का अर्क कान मे डालने से बहरापन व दर्द दोनों ठीक हो जाते हैं।
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