Sunday 27 September 2015

पथरी का परीक्षित इलाज कुलथी की दाल














पथरी का परीक्षित इलाज कुलथी की दाल :-

● पथरी की समस्या अब हर घर की समस्या बनती जा रही है। वैसे तो इस रोग में मैंने कई आयुवेर्दिक उपाय बताये हैं लेकिन सबसे ज्यादा कारगर उपाय है कुलथी की दाल जिसे गैथ भी कहा जाता है। उत्तराखंड में इस दाल का काफी प्रचलन है। यह दाल पथरी को खत्म करने का एक कारगर औषधि है। कुथली की दाल आपको किसी भी दुकान में मिल जाती है। यदि नहीं मिलती है तो यह दाल आप किसी उत्तराखंड निवासी से मंगवा सकते हैं।

कैसे करें कुलथी का इस्तेमाल
कुथली की दाल को 250 ग्राम मात्रा में लें और इसे अच्छे से साफ कर लें। और रात को 3 लीटर पानी में भिगों कर रख दें। सुबह होते ही इस भीगी हुई दाल को पानी सहित हल्की आग में 4 घंटे तक पकाएं। और जब पानी 1 लीटर रह जाए तब उसमें 30 ग्राम देशी घी का छोंक लगा दें। और उसमें काली मिर्च, सेंधा नमक, जीरा और हल्दी डाल सकते हो।

कब करें कुलथी का सेवन
कुलथी के पानी को दिन में दोपहर के खाने की जगह ले सकते हो। इसे सूप की तरह पीएं। 1 से 2 सप्ताह तक नियमित एैसा करने से मूत्राशय और गुर्दे की पथरी गल कर बाहर आ जाती है। गुर्दे में यदि सूजन हो तो कुथली के इस पानी को अधिक से अधिक पीएं। सूप के साथ रोटी का सेवन भी कर सकते हो।

कुथली की दाल का सेवन करने से कमर का दर्द ठीक हो जाता है।

पथरी में और क्या खांए
पथरी में कुलथी के अलावा आप खरबूजे के बीज, मूली, आंवला, जौ, मूंग की दाल और चोलाई की सब्जी भी खा सकते हो। साथ ही रोज 5 से 8 गिलास सादा पानी रोज पीएं।

किस चीज से परहेज करें :-
पथरी के रोगी को उड़द की दाल, मेवे, चाकलेट, मांसाहार, चाय, बैगन, टमाटर और चावल नहीं खाने चाहिए।

कुलथी का पानी बनाने का तरीका
250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुलथी की दाल को डालें। और रात में ढक कर रख लें। सुबह इस पानी को अच्छे से मिलाकर खाली पेट पी लें।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.