Wednesday 16 September 2015

जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या














स्वस्थ एवं दीर्धायु जीवन का राजमार्ग
जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या 

प्रातः 3 से 5
जीवनीशक्ति विशेष रूप से : फेफड़ो में 
गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घुमे व् प्राणायाम करे ।

सूबह 5 से 7
जीवनीशक्ति: बड़ी आँत में 
प्रातः जागरण से सुबह 7 बजे के बिच मल -त्याग एवं स्नान कर ले ।सुबह 7 बजे के बाद मल त्याग से अनेक बीमारियाँ होती है ।

सूबह 7 से 9
जीवनीशक्ति : आमाशय में 
दूध या फलो का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते है ।

सुबह 9 से 11
अग्न्याशय व् प्लीहा में 
यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है ।

दोपहर 11 से 1
जीवनीशक्ति : हृदय में
दोपहर 12 बजे के आसपास जप-ध्यान करें भोजन वर्जित ।

दोपहर 1 से 3
जीवनीशक्ति : छोटी आँत में 
भोजन के करीब 2 घण्टे बाद पानी पीये । इस समय भोजन करने या सोने से शरीर रोगी व् दुर्बल हो जाता है ।

दोपहर 3 से 5
जीवनीशक्ति : मूत्राशय में 
2-4 घण्टे पहले पीये पानी से इस समय मूत्र त्याग की प्रवृति होगी ।

शाम 5 से 7
जीवनीशक्ति : गुर्दे में 
हल्का भोजन कर लें ।तिन घण्टे बाद दूध पी सकते है ।

रात्रि 7 से 9
जीवनीशक्ति : मस्तिष्क में 
अध्यनन करे पढ़ा हुआ जल्दी याद रहेगा ।

रात्रि 9 से 11
जीवनीशक्ति : मेरुरज्जु में 
इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति देती है । जागरण शरीर व् बुद्धि को थका देती है ।

रात्रि 11 से 1
जीवनीशक्ति : पित्ताशय में 
नयी कोशिकाऍ बनती है ।इस समय जागरण से अनेक रोग होते है व् बुढ़ापा जल्दी आता है ।

रात्रि 1 से 3
जीवनीशक्ति : यकृत में 
जागरण से लीवर व् पाचन-तंत्र बिगड़ता है ।

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