Friday 11 September 2015

रक्त प्रदर (Blood Pradar) :

















रक्त प्रदर (Blood Pradar) :

रक्त प्रदर रोग में ऋतुस्त्राव के दिनों में योनि से अधिक रक्तस्त्राव होता है। रक्तस्त्राव की अधिकता के कारण स्त्रियों का स्वास्थ्य नष्ट होता है। शारीरिक सौंदर्य आकर्षण भी नष्ट हो जाता है। इस विकृति के चलते स्त्रियों को गर्भधारण करने में बहुत कठिनाई होती है। जीवन का यौन आनंद नष्ट होकर रह जाता है।

लक्षण :
रक्त प्रदर में ऋतुस्त्राव के साथ अधिक रक्तस्त्राव होता है। ऋतुस्त्राव के अलावा किसी समय भी रक्तस्त्राव होने लगता है। रक्तस्त्राव अधिक मात्रा में होने के कारण शारीरिक निर्बलता तेजी से बढ़ती है। शरीर की अस्थियां दिखाई देने लगती है। त्वचा का रंग सफेद होने लगता है। रक्त प्रदार के कारण रक्ताल्पता (एनीमिया) की विकृति होती हैं कुछ स्त्रियां निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) से पीड़ित होती है। रक्त प्रदर के कारण इनती शारीरिक निर्बलता विकसित होती है कि एकाएक खड़े होने पर नेत्रों के आगे अंधेरा छा जाता है। सिर में चक्कर आते है। सीढ़िया चढ़ने में बहुत कठिनाई होती है। शारीरिक श्रम के काम नहीं हो पाते। घर के कामों में बहुत थकावट अनुभव होती है।

क्या खाएं ?

* अशोक के वृक्ष की जड़ को छाया में सुखाकर, कूट- पीसकर चूर्ण बनाएं। 3 ग्राम चूर्ण मधु मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें। कुछ सप्ताह में लाभ होगा।

* आंवले के 10 ग्राम रस में शर्करा मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें।

* केले की कोमल जड़ का रस निकालकर, 10 ग्राम रस प्रतिदिन पीने से रक्त प्रदर नष्ट होता है।

* गाजर का 150 ग्राम रस सुबह-शाम पिएं।

* ककरोंदा की 6 ग्राम जड़ को पीसकर 200 ग्राम दूध में मिलाकर पीने से रक्त प्रदर रोग का प्रकोप नष्ट होता है।

* चंदन का 5 ग्राम चूर्ण दूध में पकाकर, 10 ग्राम घी और शर्करा मिलाकर पीने से रक्त प्रदर नष्ट होता है।

* चावलों के धोवन (जल) में 5 ग्राम गेरु (शुद्ध किया हुआ) सेवन करने से रक्त प्रदर बंद होता है।

* आंवलों को पीसकर 10 ग्राम मात्रा में लेकर, मधु मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें। 25 ग्राम आंवले के चूर्ण को रात को जल में डालकर रखें। प्रातः उठकर उस जल को छानकर उसमें 1 ग्राम जीरे का चूर्ण और 10 ग्राम मिसरी मिलाकर पीने से रक्त प्रदर नष्ट होता है।

* आंवला, रसौत और हरड़ को बराबर मात्रा में लेकर, कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण जल के साथ सेवन करें।

क्या ना खाएं?

* उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।

* घी, तेल व मक्खन से बने अधिक वसायुक्त खाद्य पदार्थ न खाएं।

* चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।

* सहवास से अलग रहें।

* कामुक, अश्लील फिल्में न देखें और अश्लील कहानियां, उपन्यास न पढें।

* मंास, मछली, व अंडों का सेवन न करें। चाइनीज व फास्ट फूड न खाएं।

* जीवाणुनाशक औषधियां जल में पीसकर दिन में दो- तीन बार योनि को स्वच्छ करें।

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