उच्च रक्तचाप एक समस्या
उच्च रक्तचाप के बारे में जानिये सब कुछ ;
अनियमित दिनचर्या के कारण वर्तमान में हाई
ब्लड प्रेशर एक समस्या की तरह
बनता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के
मुताबिक दुनिया भर में हर साल हाई ब्लड-प्रेशर
के कारण 70 लाख से अधिक मौतें होती हैं।
क्या है हाई ब्लड-प्रेशर
खून द्वारा धमनियों पर डाले गए दबाव
को ब्लड-प्रेशर या रक्तचाप कहते हैं। उच्च हाई
ब्लड-प्रेशर किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में
हो सकता है। यह बीमारी पुरुष व
महिला किसी को भी हो सकती है। एक बार
अगर आप इस रोग के शिकार हो गए तो इससे
निकल पाना मुश्किल होता है। यदि कई दिन तक
किसी व्यक्ति का रक्तचाप 90 और 140 से
ऊपर बना रहता है, तो इसे उच्च रक्तचाप
माना जाता है।
साइलेंट किलर है उच्च रक्तचाप को साइलेंट किलर
भी माना जाता है। एक अनुमान के मुताबिक इस
समस्या से ग्रस्त लगभग 20 प्रतिशत
लोगों को इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। जब
तक उन्हें इस समस्या का पता चलता है तब तक
बहुत देर हो चुकी होती है।
ब्लड प्रेशर के प्रकार
प्रत्येक व्यक्ति के ब्लड प्रेशर में दो माप
शामिल होती हैं, पहली सिस्टोलिक और
दूसरी डायस्टोलिक। इसे उच्चतम रीडिंग और
निम्नतम रीडिंग भी कहा जाता है। मांसपेशियों में
संकुचन हो रहा है या धड़कनों के बीच तनाव
मुक्तता में अलग-अलग माप होती है। आराम के
समय सामान्य रक्तचाप में उच्चतम रीडिंग
यानी सिस्टोलिक 100 से 140 तक और
डायस्टोलिक यानी निचली रीडिंग 60 से 90 के
बीच होती है। अगर कई दिन तक
किसी व्यक्ति का रक्तचाप 140/90
बना रहता है तब उसे हाई ब्लड प्रेशर
की समस्या है।
कैसे करें माप
ब्लड प्रेशर की जांच करने के लिए बाजार में
कई प्रकार के मॉनिटर मिल जायेंगे। समय-समय
पर और विभिन्न परिस्थितियों में अपने ब्लड
प्रेशर की माप करें। शुरू में दवाओं को एडजस्ट
करते समय ब्लड प्रेशर नाप कर एक गोल
निश्चित कर लें। सामान्य ब्लड प्रेशर
120/80 से कम होता है। जिन्हें डायबिटीज
और हाई ब्लड प्रेशर है, उनका ब्लड प्रेशर
130/80 या उससे कम होना चाहिए।
उच्च रक्तचाप संबंधित खतरे
अगर आप उच्च रक्तचाप की समस्या से ग्रस्त
हैं तो आपको इससे संबंधित कई खतरे हो सकते
हैं। उच्च रक्तचाप के कारण सबसे अधिक दिल
के दौरे और दिल संबंधति बीमारियों के होने
का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा इस
समस्या से ग्रस्त लोगों को कोलेस्ट्रॉल और
डायबिटीज की भी जांच करानी चाहिए।
खानपान का असर पड़ता है
उच्च रक्तचाप की समस्या से ग्रस्त लोगों पर
खानपान का सबसे अधिक असर पड़ता है। खाने
में नमक की मात्रा कम रखें, सोडियमयुक्त
आहार का सेवन कम कर दें। अगर आप नॉनवेज
खाते हैं तो समुद्री मछली का सेवन न करें।
कैफीन और एल्कोहल के सेवन से भी रक्तचाप
बढ़ता है।
अन्य समस्यायें
उच्च रक्तचाप के कारण कई अन्य
बीमारियां होने की संभावना भी रहती है। हाई
ब्लड-प्रेशर में रोगी की याद्दाश्त पर असर
हो सकता है, जिसे डिमेंशिया कहा जाता है।
इसमें रोगी के मस्तिष्क में खून की आपूर्ति और
कम हो जाती है, और सोचने-समझने
की शक्ति घटती जाती है। हाई ब्लड-प्रेशर के
कारण किडनी की रक्त वाहिकाएं
संकरी या मोटी हो सकती है। इसके कारण
आंखों की रोशनी कम होने लगती है उसे
धुंधला दिखाई देने लगता है।
इसे नियंत्रित रखें
अगर आप उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं
तो चिकित्सक इसे नियंत्रित रखने की सलाह
भी देते हैं। स्वस्थ खानपान और नियमित
व्यायाम के जरिये इसे कम रखा जा सकता है।
रात में सोते वक्त भी रक्तचाप कम हो जाता है,
इसलिए अच्छी नींद लेना है जरूरी।
उच्च रक्तचाप करें कम
रक्तचाप से निपटने के लिए जरूरी है कि अपने
आहारऔर जीवनशैली में एक सही ताल-मेल
बिठाएं। मोटापा, एल्कोहल का सेवन और देर
तक जगना रक्तचाप के खतरे को बढ़ा देते हैं।
व्यायाम
यूं तो आपको फिट रहने के लिए व्यायाम जरूर
करना चाहिए लेकिन रक्तचाप से बचने के लिए
हर रोज 30 से 60 मिनट का शारीरिक व्यायाम
जरूर करें। आप चाहें तो जॉगिंग, स्कीपिंग,
साइक्लिंग आदि कर सकते हैं।
स्वस्थ आहार लें
एक स्वस्थ जीवनशैली में आहार
की बड़ी भूमिका होती है। हमेशा ताजी और
हरी सब्जियों को सेवन करें। लो डेयरी उत्पाद
स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। इसके
अलावा मौसमी फल और पौटेशियम युक्त आहार
लें।
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