सूर्य नमस्कार करें: दिन भर तरोताजा रहें
यह योगासन व प्राणायाम का मिला जुला रूप है । इसमें शिथिलीकरण, व्यायाम व योगासन भी आ जाते है । सूर्य नमस्कार में सभी आसन आ जाते हैं, एवं इससे शरीर में लोच बनी रहती है । सूर्य नमस्कार शरीर में प्राण को संतुलित व लयबद्ध करता है जिससे शरीर में नई शक्ति का संचार होता है। इसे करते वक्त श्वास-प्रश्वास का ध्यान रखना है । शरीर फैलाते समय श्वास ले व सिकोड़ते समय श्वास छोड़ेे । श्वास प्रश्वास का उक्त नियम सदैव ध्यान में रखें । इसे करते वक्त शीघ्रता नहीं करनी है । अच्छे अभ्यास होने के बाद इसे मन्त्र के साथ करते हैं । मन्त्र के साथ करने से मस्तिष्क एवं स्नायु तन्त्र प्रभावित होता है । इससे श्वसन, रक्त परिसंचरण व पाचन तन्त्र भी मजबूत होते है । कैलोरी खर्च करने के लिए सूर्य नमस्कार श्रेष्ठ उपाय है । इससे मोटापा कम होता है । तेज गति से करने पर चर्बी घटती है व धीमे करने पर होश बढ़ता है । हमारे ऋषियों ने इसका बहुत महत्व बताया है ।
परम्परागत सूर्य नमस्कार की अपेक्षा इसमे पांचवे एवं नवे नम्बर पर शशांकासन जोड़ा गया है । ताकि साधक थके नहीं एवं विश्राम कर सके । एक स्वस्थ व्यक्ति को 12 चक्र प्रतिदिन करना श्रेष्ठ है । जो लोग जमीन पर नहीं बैठ सकते उनके लिए चेयर सूर्य नमस्कार है उसे कुर्सी पर बैठकर कर सकते हैं ।
surya namaskarनमस्कार मुद्रा
1. हस्तउत्थानासन
2. पाद हस्तासन
3. अश्व संचालन आसन
4. दण्डासन
5. शशांकासन
6. अष्टांग नमस्कार
7. भुजंगासन
8. पर्वतासन
9. शशांकासन
10. अश्व संचालन आसन
11. पाद हस्तासन
12. हस्तउत्थानासन
सीमा-जिनको गर्दन पीठ व कमर दर्द हो वे आगे न झुके । रजस्वला स्त्री इसे न करें ।
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