कलर थेरेपी
हमारा शरीर कई रंगों से मिलकर बना है। शरीर के समस्त अवयवों का रंग अलग-अलग है और शरीर की सभी कोशिकाएं भी रंगीन हैं। जब भी कोई अंगर बीमार होता है तो उसके रासायनिक द्रव्यों के साथ-साथ रंगों का भी असंतुलन हो जाता है। कलर थेरेपी यानी रंग चिकित्सा उन रंगों को संतुलित कर देती है जिसके कारण रोग का उपचार हो जाता है। सूर्य की किरणों में सात रंग - लाल, पीला, नारंगी, हरा, नीला, आसमानी, बैंगनी पाये जाते हैं।
लाल रंग
लाल रंग रंग जीवन शक्ति, साहस और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है। गर्म होने के कारण यह दर्द की चिकित्सा के लिए बेहतर माना जाता है। लाल रंग को प्यार का भी प्रतीक माना जाता है। यह एडरिनल हार्मोन को बढ़ावा देने के साथ प्यार व अंतरंगता को बढ़ाता है। अनिंद्रा, कमजोरी, रक्त संबंधी समस्या के इलाज में इस रंग का उपयोग किया जा सकता है।
पीला रंग
इसे रंग विवेक, स्पष्टता और आत्मसम्मान का प्रतीक माना है। मानसिक उत्तेजना के साथ यह तंत्रिका तंत्र को भी मजबूत बनाता है। पेट व त्वचा के साथ मांसपेशियों को भी यह शक्ति देता है। पेट खराब होने व खाज खुजली के उपचार में यह रंग बहुत उपयोगी है।
सफेद रंग
यह रंग नकारात्मक विचारों से दूर करता है। सफेद रंग रोगों का जल्द निवारण करता है। व्यक्ति को किसी रंग में रुचि न हो तो वो सफेद रंग का प्रयोग कर सकता है।
नारंगी रंग
इस रंग से उत्साह व आत्म विश्वास बढ़ता है, इसके साथ ही फेफड़ों व श्वसन प्रक्रिया को भी यह ठीक रखता है। इसलिए नारंगी रंग अस्थमा, ब्रोंकाईटिस, गुर्दा संक्रमण में बेहद उपयोगी साबित होता है।
हरा रंग
इस रंग को प्रकृति के काफी करीब माना जाता है, इसलिए यह आंखों को सुकून पहुंचता है। यह रंग दिल को स्वस्थ रखने के साथ हार्मोन को संतुलित रखता है। हरे रंग में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की क्षमता होती है। यह रंग त्वचा रोग व हाई ब्लडप्रेशर के उपचार में फायदेमंद है।
नीला रंग
नीला रंग एक तरह का एंटीसेप्टिक भी है। यह रंग ठंडा होने के नाते उच्च रक्तचाप को कम रखने में मदद करता है। इसके अलावा सिर दर्द, सूजन, सर्दी व खांसी के उपचार में भी यह रंग प्रयोग किया जाता है।
इंडिगो रंग
यह रंग सेहत के लिहाज से आंख और नाक के रोगों के उपचार में फायदेमंद है। इसके अलावा यह रंग मानसिक समस्याओं से उबरने में भी मदद करता है।
बैंगनी रंग
इस रंग को परिवर्तन का प्रतीक भी माना जाता है। बैंगनी रंग एक्रागता बढ़ाने के साथ हिस्टीरिया, भ्रम हो जाने जैसे रोगों को उपचार करने में मदद करता है।
हमारा शरीर कई रंगों से मिलकर बना है। शरीर के समस्त अवयवों का रंग अलग-अलग है और शरीर की सभी कोशिकाएं भी रंगीन हैं। जब भी कोई अंगर बीमार होता है तो उसके रासायनिक द्रव्यों के साथ-साथ रंगों का भी असंतुलन हो जाता है। कलर थेरेपी यानी रंग चिकित्सा उन रंगों को संतुलित कर देती है जिसके कारण रोग का उपचार हो जाता है। सूर्य की किरणों में सात रंग - लाल, पीला, नारंगी, हरा, नीला, आसमानी, बैंगनी पाये जाते हैं।
लाल रंग
लाल रंग रंग जीवन शक्ति, साहस और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है। गर्म होने के कारण यह दर्द की चिकित्सा के लिए बेहतर माना जाता है। लाल रंग को प्यार का भी प्रतीक माना जाता है। यह एडरिनल हार्मोन को बढ़ावा देने के साथ प्यार व अंतरंगता को बढ़ाता है। अनिंद्रा, कमजोरी, रक्त संबंधी समस्या के इलाज में इस रंग का उपयोग किया जा सकता है।
पीला रंग
इसे रंग विवेक, स्पष्टता और आत्मसम्मान का प्रतीक माना है। मानसिक उत्तेजना के साथ यह तंत्रिका तंत्र को भी मजबूत बनाता है। पेट व त्वचा के साथ मांसपेशियों को भी यह शक्ति देता है। पेट खराब होने व खाज खुजली के उपचार में यह रंग बहुत उपयोगी है।
सफेद रंग
यह रंग नकारात्मक विचारों से दूर करता है। सफेद रंग रोगों का जल्द निवारण करता है। व्यक्ति को किसी रंग में रुचि न हो तो वो सफेद रंग का प्रयोग कर सकता है।
नारंगी रंग
इस रंग से उत्साह व आत्म विश्वास बढ़ता है, इसके साथ ही फेफड़ों व श्वसन प्रक्रिया को भी यह ठीक रखता है। इसलिए नारंगी रंग अस्थमा, ब्रोंकाईटिस, गुर्दा संक्रमण में बेहद उपयोगी साबित होता है।
हरा रंग
इस रंग को प्रकृति के काफी करीब माना जाता है, इसलिए यह आंखों को सुकून पहुंचता है। यह रंग दिल को स्वस्थ रखने के साथ हार्मोन को संतुलित रखता है। हरे रंग में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की क्षमता होती है। यह रंग त्वचा रोग व हाई ब्लडप्रेशर के उपचार में फायदेमंद है।
नीला रंग
नीला रंग एक तरह का एंटीसेप्टिक भी है। यह रंग ठंडा होने के नाते उच्च रक्तचाप को कम रखने में मदद करता है। इसके अलावा सिर दर्द, सूजन, सर्दी व खांसी के उपचार में भी यह रंग प्रयोग किया जाता है।
इंडिगो रंग
यह रंग सेहत के लिहाज से आंख और नाक के रोगों के उपचार में फायदेमंद है। इसके अलावा यह रंग मानसिक समस्याओं से उबरने में भी मदद करता है।
बैंगनी रंग
इस रंग को परिवर्तन का प्रतीक भी माना जाता है। बैंगनी रंग एक्रागता बढ़ाने के साथ हिस्टीरिया, भ्रम हो जाने जैसे रोगों को उपचार करने में मदद करता है।
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