लिंग मुद्रा और उसके लाभ
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दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर अंगूठे (बायां या दायां कोई एक) को सीधा रखने से लिंग मुद्रा बन जाती है| इस मुद्रा से शरीर में गर्मी की वृद्धि होती है, अतः इसे सर्दी में करना विशेष उपयोगी है| इस मुद्रा को करने के दौरान कुछ अधिक मात्रा में पानी पीना अथवा फलों के रस, दूध-घी का सेवन करना अच्छा रहता है| इस मुद्रा का अभ्यास किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सिर्फ आवश्यकतानुसार| शरीर में उष्णता उत्पन्न करनेवाली इस मुद्रा को अधिक लम्बे समय तक और स्वेच्छानुसार नहीं करना चाहिए|शरीर में अधिक सर्दी महसूस होने या शीत बाधा होने पर लिंग मुद्रा के प्रयोग से शीघ्र लाभ होता है| इसे अधिक देर तक करने से सर्दियों में भी पसीना आता है|
इस मुद्रा का प्रयोग शिव ,रूद्र ,भैरव साधना में किया जाता है जिसकी अपनी तकनिकी होती है |कब कहाँ और कैसे इसे ईष्ट को प्रदर्शित कर उन्हें प्रसन्न किया जाये यह गुरु के मार्गदर्शन में बताया जाता है |लिंग मुद्रा ,योनी मुद्रा ,महायोनी मुद्रा आदि का तंत्र साधना में अत्यधिक महत्व है |साधना क्रम में इसे करने के कई फायदे होते हैं ,एक तो सम्बंधित ईश्वर प्रसन्न होता है ,दुसरे साधक के शरीर पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है |प्रकारांतर से कहें तो साधक के शरीर पर यह मुद्राएँ कुछ इस प्रकार का प्रभाव डालती हैं की सम्बंधित शक्ति से सम्बंधित ऊर्जा बढ़ जाती है |यह सब एक गोपनीय विषय होता है जो सामाजिक माध्यमों पर पूर्ण बताने लायक नहीं होता है |यह गुरु द्वारा ही क्रमशः शिष्यों को समझाया जाता है |..........................................................हर-हर महादेव
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