वायु मुद्रा और उसके लाभ
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तर्जनी (अंगूठे के साथ वाली) अंगुली को मोड़कर अंगूठी की जड़ में लगाकर उसे अंगूठे से हल्का-सा दबाने पर वायु मुद्रा बनता है| इस मुद्रा से रोगी के शरीर में वायु तत्व शीघ्रता से घटने लगता है| अतः वायु के प्रकुपित होने से उत्पन्न होनेवाले सभी रोग इस मुद्रा से शांत हो जाते हैं| हस्तरेखा विज्ञान की दृष्टि से इससे शनि पर्वत और रेखा के दोष दूर होते हैं |..................................................हर-हर महादेव |
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