Monday 8 September 2014

पद्मासन

















पद्मासन
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पद्मासन को कमलासन भी कहते हैं क्योंकि इस आसन में बैठने के बाद व्यक्ति की मुद्रा कमल के समान बन जाती है। इसलिए इसे कमलासन कहते हैं। ध्यान लगाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण आसन है तथा योगी, ऋषिमुनि अधिकतर इसी आसन में बैठकर योग साधना करते रहें हैं। यह आसन मन को प्रसन्न करता है तथा चिंता को दूर कर एकाग्रता के प्राप्ति में लाभकारी होता है।
इस आसन को साफ-स्वच्छ, शांत व हवादार जगहो पर करें जिससे की ध्यान भंग नहो। पद्मासन के लिए चटाई दरी या घास पर आसन लगाकर बैठ जाएं। फिर अपने बाएं पैर को घुटनों से मोड़कर दाईं जांघ पर रखें और दाएं पैर को घुटनों से मोड़कर बाईं जांघ पर रखें। दोनों पैरों को इस प्रकार से रखें की दोनों पैरों की एड़ियां पेट को छूएं। आपकी दोनों जांघ और घुटने जमीन से लगे रहें। इस स्थिति में आने के बाद अपनी पीठ, छाती, सिर, गर्दन तथा रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधा रखें। दोनों हाथों को घुटनों के पास लगाकर ज्ञान मुद्रा बनाएं। अब अपनी आंखों को बंद कर लें या खुली या अधखुली रखें। आरम्भ में पद्मासन की स्थिति 5 से 10 मिनट तक रखें। बाद में यह समय धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 1 घंटे तक इस आसन को करें। पद्मासन में पूर्ण रूप से बैठने के बाद अपने मन को एकाग्र करें और अपने अंदर के चक्रों को जगाएं तथा कल्पना करें कि आप के अंदर के बुरे विचार दूर होकर आपके हृदय व मन में स्वच्छ, शांत व सुगंधित वायु का प्रवाह हो रहा है।
इस आसन से शरीर में एकाग्रता व स्थिरता आती है। इस आसन से मेरूदण्ड (रीढ़ की हड्डी) मजबूत बनती है तथा कमर के सभीभाग की नसें व नाड़ियां शक्तिशाली व लचकदार बनती है। इस आसन के द्वारा सांस क्रिया ठीक होती है। यह आसन मानसिक काम करने वालों के लिए भी अधिक लाभकारी है। इस आसन में बैठकर भू-मध्य (दोनों भौंहों के बीच) के भाग में ध्यान करने से मन को एकाग्र करने में सफलता मिलती है। यह आसन मन को प्रसन्न रखता है, शरीर को शक्ति देता है तथा चेहरे की उदासी व कष्ट को दूर करता है।
यह आसन अनिद्रा को दूर करता है, भूख को बढ़ाता है, पीठ व गले के रोग से बचाव करता है तथा घुटनों व पैरों का दर्द, सन्धिवात लाभ पहुंचाता है। यह आसन पाचनशक्ति को बढ़ाती है, पेट की पेशियों को मजबूत करता है तथा कब्ज, गठिया, फीलपांव के रोगों को दूर करता है। यह मांसपेशियों को मुलायम बनाता है तथा जांघ व पिंडलियों को अधिक मजबूत बनाता है। यह आसन सुशुम्ना नाड़ी को सीधा करता है और वायु को शक्ति देता है। पद्मासन से नपुंसकता में लाभ मिलता है। इससे शरीर में वात, पित्त और कफ के दोष दूर होते हैं |
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