Tuesday, 1 March 2016

गिलोय के औषधीय प्रयोग














गिलोय के औषधीय प्रयोग

गिलोय की लता या बेल एक ऐसी वनस्पति है जो अपने गुणों के कारण संसार भर में प्रशिद्ध है , इसके औषधीय गुणों को देखते हुए आयुर्वेदाचार्यों ने इसको अमृत बेल की संज्ञा भी दी है, गिलोय की बेल की डंडी जिसके सहारे ये फैलती है एक ऊँगली और अंगूठे की मोटाई के समान होती है, इसके पत्ते चौड़े और हरे रंग के होते है, कहते है ये लता जिस भी वृक्ष पर चढ़ती है उसके गुण धारण कर लेती है, इसी लिए आयुर्वेद के अनुसार आवले , नीम , जामुन और आम के वृक्ष पर चढ़ी गिलोय की बेल अधिक गुणकारी होती है, इस लता की एक लकड़ी जिसमें गाँठ हो अगर वो जमीन या गमले में उगा दे तो ये अति शीघ्र फलने फूलने लगती है, 


गिलोय की बेल के औषधीय गुण : -

गिलोय में इतने गुण होते है कि मैं आपको सम्पूर्ण जानकारी शब्दों में बता नहीं सकता,

एक चम्मच गिलोय का रस बरसात के मौसम में प्रतिदिन पीया जाये तो बीमार होने की संभावना 50 % कम हो जाती है,  

केंसर जैसी घातक बीमारी में यदि रोगी को प्रतिदिन गिलोय जूस , गेहूँ का जवारा रस , तुलसी और नीम के पत्तों का सेवन करवाया जाये तो काफी राहत महसूस होती है ,

गिलोय के रस को पीने से बहनों में बाँझपन की शिकायत भी दूर होती है ,

खाली पेट यदि इसका सेवन किया जाये तो चर्म रोग जैसे अलर्जी और पित जैसी परेशान करने वाली बीमारी से भी निजात मिलती है , सभी प्रकार की त्वचा संबंधी बीमारी ठीक हो जाती है.

गिलोय की बेल से बना चूरन या पाउडर यदि प्रतिदिन सुबह ताजे पानी से लिया जाये तो खून की कमी और रक्त विकार भी दूर होता है ,

गिलोय की लता से बना हुआ सत्व  पीलिया के रोगी के लिए भी बहुत प्रभावशाली होता है,

TB , टी बी के मरीज को यदि गिलोय का रस और शहद , इलायची के साथ सेवन करने के लिए दिया जाये तो लाभ मिलेगा.

गिलोय की बेल से बने रस को यदि गुड के साथ खाया जाये तो कब्ज की बीमारी ठीक हो जाती है.

मलेरिया और डेंगू की बीमारी जो मच्छरों के कारण फैलती है इस बीमारी के इलाज के लिए भी गिलोय का प्रयोग किया जाता है , गिलोय प्लेटलेट को बढ़ाने में मदद करता है .

गिलोय के साथ यदि सोठ का सेवन किया जाता है तो वात रोगों में आराम होता है और जोड़ों की जकडन दूर होती है. 


गिलोय का उपयोग अन्य उपाय

गिलोय का पौधा एक बेल( लता ) की तरह होता है और इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते है | इस पौधे में कैल्शियम, प्रोटीन और फास्फोरस की मात्रा ज्यादा पाई जाती है | यह पित्तनाशक और कफ नाशक होती है | इसके उपयोग से शरीर में अन्य बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है और साथ ही साथ खून की कमी भी दूर होती है | इसे रोजाना घी या शहद के साथ सेवन करना चाहिए |

गिलोय का सेवन करने से पीलिया की बीमारी ठीक हो जाती है | गिलोय का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और त्रिफला के चूर्ण को आपस में मिलाकर खाने से पीलिया नामक रोग ठीक हो जाता है |

गिलोय के पौधे के कुछ पत्तों को तोडकर इनका रस निकाल ले और इसमें नीम के पत्ते और आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा तैयार करे | इस तैयार काढ़े को पीने से पैरों की जलन दूर हो जाती है |

गिलोय को पानी में घीसकर थोडा सा गर्म करके कानो में डालने से कान का गंद ( मैल ) बाहर निकल जाता है |
गिलोय का रस और शहद मिलाकर खाने से पेट की सभी बीमारियाँ दूर हो जाती है |

जिस व्यक्ति को खुजली की परेशानी है उन व्यक्ति को गिलोय के पत्तों को पीसकर उसमे हल्दी मिलाकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली ठीक हो जाती है | इसके साथ रोगी व्यक्ति को गिलोय का रस और शहद मिलाकर भी पीना चाहिए | इससे जल्दी ही खुजली का रोग ठीक हो जाता है |

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.