Tuesday, 1 March 2016

टॉन्सिल एक कष्टकारक बीमारी



















टॉन्सिल एक कष्टकारक बीमारी है और जिसे ये हो जाती है वो ही जानता है कि खाने पीने में कितनी तकलीफ होती है । साधारणतः तो ये बीमारी दवाइयों से ठीक हो जाती है पर अगर दवा से ठीक न हो तो डॉक्टर ऑपरेशन करने की सलाह देते हैं । पर आपको शायद पता न हो कि ये बीमारी आयुर्वेदिक दवा से बिना ऑपरेशन ठीक हो सकती है,

टॉन्सिल रोग बालक, युवा, प्रौढ़ सभी को होता है, परंतु बालकों में ये विशेष रूप से पाया जाता है। जिन बालकों की कफ-प्रकृति होती है, उनमें यह रोग देखने में आता है। गला कफ का स्थान होता है। बच्चों को मीठे पदार्थ और फल ज्यादा खिलाने से, बच्चों के दिन में अधिक सोने से उनके गले में कफ एकत्रित होकर टॉन्सिल्स रोग हो जाता है। इससे गले में खाँसी, खुजली एवं दर्द के साथ साथ सर्दी एवं ज्वर रहता है, जिससे बालकों को खाने-पीने में व नींद में तकलीफ होती है।

जिन बालकों के टॉन्सिल्स बढ़े हों ऐसे बालकों को बर्फ का गोला, कुल्फी, आइसक्रीम, बर्फ का पानी, फ्रिज का पानी, चीनी, गुड़, दही, केला, टमाटर, उड़द, ठंडा पानी, खट्टे-मीठे पदार्थ, फल, मिठाई, पिपरमिंट, बिस्कुट, चॉकलेट ये सब चीजें खाने को न दें। जो आहार ठंडा, चिकना, भारी, मीठा, खट्टा और बासी हो, वह उन्हें न दें।

उपचार :-
टान्सिल्स के उपचार के लिए हल्दी सर्वश्रेष्ठ औषधि है। इसका ताजा चूर्ण टॉन्सिल्स पर दबायें, गरम पानी से कुल्ले करवायें और गले के बाहरी भाग पर इसका लेप करें तथा इसका आधा आधा ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर बार-बार चटाते रहें।

दालचीनी के आधे ग्राम से 2 ग्राम महीन पाऊडर को 20 से 30 ग्राम शहद में मिलाकर चटायें।

टॉन्सिल्स के रोगी को अगर कब्ज हो तो उसे हरड़ दे। मुलहठी चबाने को दें। 8 से 20 गोली खदिरादिवटी या यष्टिमधु धनवटी या लवंगादिवटी चबाने को दें।

कांचनार गूगल का 1 से 2 ग्राम चूर्ण शहद के साथ चटायें।
कफकेतु रस या त्रिभुवन कीर्तिरस या लक्ष्मी विलास रस(नारदीय) 1 से 2 गोली दें।

आधे से 2 चम्मच अदरक का रस शहद में मिलाकर देवें।

त्रिफला या रीठा या नमक या फिटकरी के पानी से बार-बार कुल्ले करवायें।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.