Friday, 11 September 2015

सहजन













आज के समय की सबसे चमत्कारिक औषधी:

सेंजन, मुनगा, सोभांजन या सहजन आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। ये भारत में हर क्षेत्र में पाया जाता है, इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं। हजारों वर्ष पूर्व आयुर्वेद ने सहजन की इन खूबियों का वर्णन है, आज के लोग इनकी खूबिया भूल चुके है । सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है, यह जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है। दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है। उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है। सर्दियां जाने के बाद फूलों की सब्जी बना कर खाई जाती है फिर फलियों की सब्जी बनाई जाती है। इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है। सहजन वृक्ष किसी भी भूमि पर पनप सकता है और कम देख-रेख की मांग करता है। 
इसके फूल, फली और टहनियों को अनेक उपयोग में लिया जा सकता है। भोजन के रूप में अत्यंत पौष्टिक है और इसमें औषधीय गुण हैं। इसमें पानी को शुद्ध करने के गुण भी मौजूद हैं। सहजन के बीज से तेल निकाला जाता है और छाल पत्ती, गोंद, जड़ आदि से दवाएं तैयार की जाती हैं। सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में है। सहजन में दूध की तुलना में ४ गुना कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।

इतने गुणों के नाते सहजन चमत्कार से कम नहीं है। सहजन को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक कहा जाता है। इसका वनस्पति नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। आजकल विदेशियो ने इसकी शक्ति को जाना है और इसका खूब प्रयोग विदेशो में हो रहा है और कई कंपनिया इसे महंगे दामो पर भी बेच रही है

सैकड़ों औषधीय गुण::

सहजन की फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया में उपयोगी है। सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग के लिए उपयोगी है। छाल का उपयोग शियाटिका ,गठियाए,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है। सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है, शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है।

मोच:: सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है। सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है।

गठिया, जोडों का दर्द एवम अन्य वात रोग:: सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया एव जोड़ों के दर्दए वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।

कान का दर्द :: सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।

यौन शक्ति :: सहजन में जिंक होता है जो यौन शक्ति को बढ़ाता है।

पथरी:: सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है। सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।

पेट के कीडे:: सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।

हाई बी पी:: सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।

मोटापा:: सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।

दांत के कीडे: सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।

कब्ज:: सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।

मिर्गी:: सहजन की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।

घाव एवम सूजन:: सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है।

सिर दर्द:: सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है।

पानी को शुद्ध करने वाला:: सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।

दमा: सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। 180 मिमी पानी में मुट्टी भर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकी भर नमक, कालीमिर्च और नींबू रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है।180 मिमी पानी में मुट्टी भर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकी भर नमक, कालीमिर्च और नींबू रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है।

सर्दी जुखाम:: सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से।

नाक कान:: अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।

हड्डिया मजबूत करने वाला:: सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।

सौंदर्य: सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।सहजन की पत्ती को सुखाकर उसकी चटनी बनाने से उसमें आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है।

गर्भवती महिलाएँ और बुजुर्ग भी इस चटनी, अचार का प्रयोग कर सकते हैं और कई बीमारियों जैसे रक्त अल्पता तथा आँख की बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं।

सहजन या सुरजने का समूचा पेड़ ही चिकित्सा के काम आता है। इसे जादू का पेड़ भी कहा जाता है। त्वचा रोग के इलाज में इसका विशेष स्थान है। सहजन के बीज धूप से होने वाले दुष्प्रभावों से रक्षा करते हैं। अक्सर इन्हें पीसकर डे केअर क्रीम में इस्तेमाल किया जाता है।

तव्चा के लिए: बीजों का दरदरा पेस्ट चेहरे की मृत त्वचा को हटाने के लिए स्क्रब के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। फेस मास्क बनाने के लिए सहजन के बीजों के अलावा कुछ और मसाले भी मिलाना पड़ते हैं। सहजन के बीजों का तेल सूखी त्वचा के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ताकतवर मॉश्चराइजर है। इसके पेस्ट से खुरदुरी और एलर्जिक त्वचा का बेहतर इलाज किया जा सकता है।

पिम्पल :: सहजन के पेड़ की छाल गोखरू, कील और बिवाइयों के इलाज की अक्सीर दवा मानी जाती है।

शिशु की मालिश: सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है।

हमृत त्वचा के लिए: त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं। सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है।मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है।

धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है।

चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है।

इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है।

इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं।

किसानों के लिए सहजन की खेती काफी लाभदायक है। छोटे किसान भी सहजन की खेती कर आर्थिक रूप से समृद्ध बन सकते हैं। खास बात यह कि सरकार इसके लिए ऋण भी उपलब्ध कराने को तैयार है।

तीन सौ पेड़ से कम से कम 24 क्विंटल सहजन प्राप्त किया जा सकता है। जिसका बाजार मूल्य करीब 50 हजार रुपया माना जाता है। ज्योति विवेकानंद संस्थान की प्रबंधक ज्योति मिश्रा बताती है कि एक बार 10 कट्ठा जमीन पर इस पौधा को लगाने में करीब 21 हजार रुपए खर्च आता है। जबकि किसान इससे आठ से दस वर्षो तक आर्थिक लाभ ले सकते हैं।

सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना
विटामिन सी- संतरे से सात गुना।
विटामिन ए- गाजर से चार गुना।
कैलशियम- दूध से चार गुना।
पोटेशियम- केले से तीन गुना।
प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना।

नोट:
ये पेड आपको आपके नजदीक ही मिल जाएगा, आप इसकी ताजी पत्तियो का काढा, इसकी पत्तियो को सुखाकर इसका चूर्ण (मात्रा 10 ग्राम), इसकी जड या छाल को पीसकर प्रयोग कर सकते है, इसकी फ़ली की सब्जी भी बना कर खाई जाती है, 
अगर आपको ये आपके आस पास न मिले तो आयुर्वैदिक दवा की दुकान पर मिल जाएगा जिसकी 100 ग्राम चूर्ण की कीमत 50-70 रूपए है और कैपसूल के रूप में 150 रूपए 60 कैपसूल्स की है, कुछ विदेशी कंपनिया इसको बहुत महंगे दामो पर बेच रही है इनके जाल में न फ़ंसे और अपने लोकल आयुर्वैदिक दवा की दुकान से कैप्सूल या पाउडर ले!

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