Tuesday, 15 September 2015

वैरिकोज वेन्स














क्‍या है वैरिकोज वेन्स


पैर की नसों में मौजूद वाल्‍व, पैरों से रक्त नीचे से ऊपर हृदय की ओर ले जाने में मदद करते है। लेकिन इन वॉल्‍व के खराब होने पर रक्त ऊपर की ओर सही तरीके से नहीं चढ़ पाता और पैरों में ही जमा होता जाता है। इससे पैरों की नसें कमजोर होकर फैलने लगती हैं या फिर मुड़ जाती हैं, इसे वैरिकोज वेन्‍स की समस्‍या कहते हैं। इससे पैरों में दर्द, सूजन, बेचैनी, खुजली, भारीपन, थकान या छाले जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।

1.सेब साइडर सिरका :- सेब साइडर सिरका वैरिकोज वेन्‍स के लिए एक अद्भुत उपचार है। यह शरीर की सफाई करने वाला प्राकृतिक उत्‍पाद है और रक्त प्रवाह और रक्‍त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है। समस्‍या होने पर सेब साइडर सिरके को लगाकर उस हिस्‍से की मालिश करें। इस उपाय को नियमित रूप से रात को बिस्‍तर पर जाने से पहले और अगले सुबह फिर से करें। कुछ दिन ऐसा करने से कुछ ही महीनों में वैरिकोज वेन्‍स का आकार कम होने लगता है। या फिर एक गिलास पानी में दो चम्‍मच सेब साइडर सिरके को मिलाकर पीये। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए इस मिश्रण का एक महीने में दिन में दो बार सेवन करें।

2. लाल शिमला मिर्च :- लाल शिमला मिर्च को वैरिकोज वेन्‍स के इलाज लिए एक चमत्‍कार की तरह माना जाता है। विटामिन सी और बायोफ्लेवोनॉयड्स का समृद्ध स्रोत होने के कारण यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाने और संकुलित और सूजी हुई नसों के दर्द को आसान बनाता है। गर्म पानी में एक चम्‍मच लाल शिमला मिर्च के पाउडर को मिलाकर, इस मिश्रण का एक से दो महीने के लिए दिन में तीन बार सेवन करें।

3. जैतून का तेल : – जैतून के तेल और विटामिन ई तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर उसे थोड़ा सा गर्म कर लें। इस गर्म तेल से नसों की मालिश कई मिनट तक एक से दो महीने के लिए करें।

4. लहसुन :- छह लहसुन की कली लेकर उसे एक साफ जार में डाल लें। तीन संतरे का रस लेकर उसे जार में मिलाये। फिर इसमें जैतून के तेल मिलायें। इस मिश्रण को 12 घंटे के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण से कुछ बूंदों को हाथों पर लेकर 15 मिनट के लिए सूजन वाली नसों पर मालिश करें। इस पर सूती कपड़ा लपेट कर रातभर के लिए छोड़ दें। इस उपाय को कुछ महीनों के लिए नियमित रूप से करे |

5. बुचर ब्रूम :- बुचर ब्रूम वैरिकोज वेन्‍स की असुविधा से राहत देने में बहुत ही उपयोगी होता है। इस जड़ी बूटी में रुसोगेनिन्स नामक गुण सूजन को कम करने में मदद करता है और एंटी-इफ्लेमेंटरी और एंटी-इलास्‍टेज गुण नसों की बाधा को कम करता है। यह पोषक तत्‍वों को मजबूत बनाने और नसों की सूजन को कम करने के साथ ही पैरों के रक्‍त प्रवाह में सुधार करने में मदद करते हैं। लेकिन उच्‍च रक्तचाप वाले लोग इस जड़ी-बूटी के सेवन से पहले चिकित्‍सक से परामर्श अवश्‍य ले लें।

6. अखरोट : –अखरोट के तेल में एक साफ कपड़े को डूबाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाये। ऐसा एक या दो महीने के लिए दिन में दो से तीन बार करें।

7.अजमोद :- (अजवायन) एक मुठ्ठी ताजा अजमोद की एक मुठ्ठी लेकर उसे एक कप पानी में पांच मिनट के लिए उबाल लें। फिर इसे मिश्रण को ठंडा होने के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण में गुलाब और गेंदे की तेल की एक-एक बूंद मिला लें। अब इस मिश्रण को कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें। इस मिश्रण को कॉटन पर लगाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगायें। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए इस उपाय को कुछ महीनों तक करें।

7. अर्जुन की छाल : – अर्जुन की छाल वेरीकोस वेन्स के लिए बहुत बढ़िया दवा हैं, अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो आप रात को सोते समय गाय के दूध में या साधारण पानी में अर्जुन की चाल को चाय की तरह उबाले और आधा रहने पर इसको छान कर पी ले।

ये सब प्रयोग आपको एक दिन में आराम नहीं देंगे, मगर 4 से 6 महीने में चमत्कारिक परिणाम मिलेंगे।


Source: http://onlyayurved.com/

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