Sunday 27 September 2015

एलर्जी

















एलर्जी शब्द से आज हर कोई परिचित है, इसे आधुनिक रहन-सहन से उत्पन्न रोग कहा जाता है, लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं माना जा सकता। एलर्जी का उल्लेख हमारे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में भी मिलता है, जिनमें कहा गया है कि एक व्यक्ति का भोजन किसी दूसरे व्यक्ति के लिए जहर भी हो सकता है। वास्तव में एलर्जी है क्या? सामान्य शब्दों में कहें तो एलर्जी किसी खास वस्तु, मौेसम या फिर कोई ऐसी चीज जिसके प्रति किसी व्यक्ति का शरीर अधिक संवेदनशील हो जाता है और उसके दुष्परिणाम उसके शरीर पर दिखने लगते हैं।

एलर्जी एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है परंतु कुछ विशेष लक्षणों से इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। 

एलर्जी के लक्षण शरीर के प्रभावित अंगों के हिसाब से अलग-अलग होते हैं। 

एलर्जी से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले अंग हैं-आँखें, नाक, फेफड़े, चमड़ी व पेट (आँतें)।

आँख : आँखें लाल होना, खुजली चलना, आँखों से बहुत पानी आना आदि। 

नाक : बार-बार छीकें आना, नाक, कान गले में खुजली चलना, नाक से 
पानी बहना (जुकाम), नाक बंद हो जाना आदि। 

फेफड़े : बार-बार खाँसी होना, साँस चलना (दमा), बहुत बलगम आना, छाती में दर्द होना आदि। 

चमड़ी : ददोड़े (आर्टिकेरिया) होना, एक्जीमा, साबुन, डिटर्जेंट नकली जेवरों आदि का रिएक्शन, गाजरघास जनित चर्मरोग जिसमें बहुत खुजली होना व चमड़ी मोटी हो जाना आदि देखा जाता 

खान पान से एलर्जी - बहुत से लोगों को खाने पीने की चीजों जैसे दूध, अंडे, मछली ,चॉकलेट आदि से एलर्जी होती है l

सम्पूर्ण शरीर की एलर्जी - कभी कभी कुछ लोगों में एलर्जी से गंभीर स्तिथि उत्पन्न हो जाती है और सारे शरीर में एक साथ गंभीर लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं ऐसी स्तिथि में तुरंत हॉस्पिटल लेकर जाना चाहिए l

अंग्रेजी दवाओं से एलर्जी- कई अंग्रेजी दवाएं भी एलर्जी का सबब बन जाती हैं जैसे पेनिसिलिन का इंजेक्शन जिसका रिएक्शन बहुत खतरनाक होता है और मौके पर ही मोत हो जाती है इसके अलावा दर्द की गोलियां, सल्फा ड्रग्स एवं कुछ एंटीबायोटिक दवाएं भी सामान्य से गंभीर एलर्जी के लक्षण उत्पन्न कर सकती हैं l

मधु मक्खी ततैया आदि का काटना – इनसे भी कुछ लोगों में सिर्फ त्वचा की सूजन और दर्द की परेशानी होती है जबकि कुछ लोगों को इमर्जेन्सी में जाना पड़ जाता है l

एलर्जी से बचाव ही एलर्जी का सर्वोत्तम इलाज है । इसलिए एलर्जी से बचने के लिए इन उपायों का पालन करना चाहिए ।

घर में अधिक से अधिक खुली और ताजा हवा आने का मार्ग प्रशस्त करें l
घर के आस पास गंदगी ना होने दें l

जिन खाद्य पदार्थों से एलर्जी है उन्हें न खाएं l

एकदम गरम से ठन्डे और ठन्डे से गरम वातावरण में ना जाएं l

गद्दे, रजाई,तकिये के कवर एवं चद्दर आदि साफ रखें l

पालतू जानवरों से एलर्जी है तो उन्हें घर में ना रखें l

ज़िन पौधों के पराग कणों से एलर्जी है उनसे दूर रहे l

घर में मकड़ी वगैरह के जाले ना लगने दें समय समय पर साफ सफाई करते रहे l

धूल मिटटी से बचें ,यदि धूल मिटटी भरे वातावरण में काम करना ही पड़ जाये तो मास्क पहन कर काम करेंl

नाक की एलर्जी - जिन लोगों को नाक की एलर्जी बार बार होती है उन्हें सुबह भूखे पेट 1 चम्मच गिलोय और 2 चम्मच आंवले के रस में 1चम्मच शहद मिला कर कुछ समय तक लगातार लेना चाहिए इससे नाक की एलर्जी में आराम आता है,

सर्दी में घर पर बनाया हुआ या किसी अच्छी कंपनी का च्यवनप्राश खाना भी नासिका एवं साँस की एलर्जी से बचने में सहायता करता है आयुर्वेद की दवा सितोपलादि पाउडर एवं गिलोय पाउडर को 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम भूखे पेट शहद के साथ कुछ समय तक लगातार लेना भी नाक एवं श्वसन संस्थान की एलर्जी में बहुत आराम देता है ।

जिन्हे बार बार त्वचा की एलर्जी होती है उन्हें मार्च अप्रेल के महीने में जब नीम के पेड़ पर कच्ची कोंपलें आ रही हों उस समय 5-7 कोंपलें 2-3 

कालीमिर्च के साथ अच्छी तरह चबा चबा कर 15-20 रोज तक खाना त्वचा के रोगों से बचाता है, हल्दी से बनी आयुर्वेद की दवा हरिद्रा खंड भी त्वचा के एलर्जी जन्य रोगों में बहुत गुणकारी है इसे किसी आयुर्वेद चिकित्सक की राय से सेवन कर सकते हैं l

सभी एलर्जी जन्य रोगों में खान पान और रहन सहन का बहुत महत्व है इसलिए अपना खान पान और रहन सहन ठीक रखते हुए यदि ये उपाय अपनाएंगे तो अवश्य एलर्जी से लड़ने में सक्षम होंगे और एलर्जी जन्य रोगों से बचे रहेंगे । एलर्जी जन्य रोगों में अंग्रेजी दवाएं रोकथाम तो करती हैं लेकिन बीमारी को जड़ से ख़त्म नहीं करती है जबकि आयुर्वेद की दवाएं यदि नियम पूर्वक ली जाती है तो रोगों को जड़ से ख़त्म करने की ताकत रखती हैं 

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