Sunday, 6 September 2015

एड़ी का दर्द















एड़ी का दर्द :-

एड़ी का दर्द 30 वर्ष की उम्र के बाद शुरू हो जाता है क्योंकि ज्यादातर ऊँची एड़ी की सेण्डल व चप्पल पहनने वाली महिलाएँ अक्सर इस रोग से पीडि़त होती हैं। अति दुःख देने वाला रोग आवागमन के सारे रास्ते बंद कर देता है। तड़पन भरी सुबह औेर दुखदायी शाम बना देता है।

कारण :-
ऊँची एड़ी की सेण्डल पहनना।
पैर का मुड़ जाना।
गिर जाना।
टाइट कपड़े पहनना। 
नींद की गोलियाँ खाना।
मोटापा, मधुमेह जैसी बीमारियाँ होना।
पोषण का अभाव।
हार्मोन को प्रभावित करने वाली दवाइयाँ लेना या हार्मोन में एकदम परिवर्तन हो जाना।
चोट, कंकर-पत्थर का लग जाना।
माँस का कम हो जाना।
हड्डी का बढ़ जाना।
ज्यादा समय तक खड़े रहना।
पेट, कमर व पैरों की कोई क्रियाएँ नहीं करना।
ज्यादा खाना, पीना, सोना।

निवारण:-
दर्द के समय ज्यादा चलना फिरना बंद कर एड़ी पर एक लेप बनाकर लगाएँ (हल्दी को तेल या तिल में पकाकर नमक, नीबू व प्याज डालें)।
स्पोर्ट्स जूते या आरामदायक जूते पहने।

गरम ठंडे पानी में पैर को बदल-बदल 3 बार रखें। गरम में पाँच मिनिट, ठंडे में तीन मिनिट। यह क्रिया सिर को गीला कर तथा पानी पीकर व स्टूल पर बैठकर करें। 

काली मिट्टी में काला तिल, ग्वारपाठा व अदरक डालकर गर्म करके बाँधने पर अद्भुत लाभ मिलता है। 

दर्द निवारण के लिए अश्वगंधा का चूर्ण 1-1 चम्मच दूध के साथ लेवें या अंकुरित मैथी दाना का प्रयोग करें। 

सुबह ग्वारपाठा को छीलकर (50 ग्राम के लगभग) खाएँ।

अदरक की सब्जी या चटनी खाएँ। पोदीना में पिण्ड खजूर डालकर चटनी बनाकर खाएँ।

भोजन में आलु, ककड़ी, तोरई, सेव, आँवला, टमाटर, कच्चा पपीता, सहना फूल व पत्तागोभी, गुगल का प्रयोग अति लाभकारी है।

एक चम्मच मेथी, एक चम्मच अजवायन, एक चम्मच कलौंजी और एक चम्मच साबूत ईसबगोल को थोड़ा मिक्सी मे पीसकर सुबह खाली पेट एक चम्मच लें। इसी अनुपात से आप ज्यादा बनाकर रोजाना इस्तेमाल करिए। 

वजन ज्यादा है तो उसे भी कम करना जरूरी है।

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