Saturday, 12 September 2015

अल्सर Ulcer















अल्सर का शाब्दिक अर्थ है – घाव

* हाइपर एसिडिटी होना इसका प्रथम चरण हैं, कभी भी एसिडिटी को इग्नोर ना करे। यदि आपको बार-बार या लगातार आमाशय या पेट में दर्द हो तो अपने चिकत्सक की सलाह अवश्य लें क्योंकि अक्सर यही अल्सर के लक्षण होते हैं। अन्य लक्षणों में मितली आना, उल्टी आना, गैस बनना, पेट फूलना, भूख न लगना और वजन में गिरावट शामिल हैं। हाइपर एसिडिटी के बारे में आप यहाँ क्लिक कर के पढ़े।

* यह शरीर के भीतर कहीं भी हो सकता है; जैसे – मुंह, आमाशय, आंतों आदि में| परन्तु अल्सर शब्द का प्रयोग प्राय: आंतों में घाव या फोड़े के लिए किया जाता है| यह एक घातक रोग है, लेकिन उचित आहार से अल्सर एक-दो सप्ताह में ठीक हो सकता है|

* अधिक मात्रा में चाय, कॉफी, शराब, खट्टे व गरम पदार्थ, तीखे तथा जलन पैदा करने वाली चीजें, मसाले वाली वस्तुएं आदि खाने से प्राय: अल्सर हो जाता है| इसके अलावा अम्लयुक्त भोजन, अधिक चिन्ता, ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, कार्यभार का दबाव, शीघ्र काम निपटाने का तनाव, बेचैनी आदि से भी अल्सर बन जाता है| पेप्टिक अल्सर में आमाशय तथा पक्वाशय में घाव हो जाते हैं| धीरे-धीरे ऊतकों को भी हानि पहुंचनी शुरू हो जाती है| इसके द्वारा पाचक रसों की क्रिया ठीक प्रकार से नहीं हो पाती| फिर वहां फोड़ा बन जाता है |

* पेट में हर समय जलन होती रहती है| खट्टी-खट्टी डकारें आती हैं| सिर चकराता है और खाया-पिया वमन के द्वारा निकल जाता है| पित्त जल्दी-जल्दी बढ़ता है| भोजन में अरुचि हो जाती है| कब्ज रहता है| जब रोग बढ़ जाता है तो मल के साथ खून आना शुरू हो जाता है| पेट की जलन छाती तक बढ़ जाती है| शरीर कमजोर हो जाता है और मन बुझा-बुझा सा रहता है| रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है| वह बात-बात पर क्रोध प्रकट करने लगता है|

अगर अल्सर का समय पर इलाज न करे तो बड़ा रूप ले सकता है।

अल्सर कई प्रकार का होता है – अमाशय का अल्सर, पेप्टिक अल्सर या गैस्ट्रिक अल्सर। अल्सर उस समय बनते हैं जब खाने को पचाने वाला अम्ल अमाशय की दीवार को क्षति पहुंचाता है, ये एसिड इतना खतरनाक होता हैं के इसकी तीव्रता आप इस से लगा सकते हैं के पेट में बनने वाला ये एसिड लोहे के ब्लेड को भी गलने की क्षमता रखता हैं। पोषण की कमी, तनाव और लाइफ-स्टाइल को अल्सर का प्रमुख कारण माना जाता था।

पोहा अल्सर के लिए बहुत फायदेमंद घरेलू नुस्खा है, इसे बिटन राइस भी कहते हैं। पोहा और सौंफ को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लीजिए, 20 ग्राम चूर्ण को 2 लीटर पानी में सुबह घोलकर रखिए, इसे रात तक पूरा पी जाएं। यह घोल नियमित रूप से सुबह तैयार करके दोपहर बाद या शाम से पीना शुरू कर दें। इस घोल को 24 घंटे में समाप्त कर देना है, अल्सर में आराम मिलेगा।

पत्ता गोभी और गाजर को बराबर मात्रा में लेकर जूस बना लीजिए, इस जूस को सुबह-शाम एक-एक कप पीने से पेप्टिक अल्सर के मरीजों को आराम मिलता है।

अल्सर के मरीजों के लिए गाय के दूध से बने घी का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है।

गाय के दूध में एक चम्मच हल्दी डाल कर नित्य पीने से 3 से 6 महीने में कैसा भी अलसर हो, सही होते देखा गया हैं।

अल्सर के मरीजों को बादाम का सेवन करना चाहिए, बादाम पीसकर इसका दूध बना लीजिए, इसे सुबह-शाम पीने से अल्सर ठीक हो जाता है।

सहजन (ड्रम स्टिक) के पत्ते को पीसकर दही के साथ पेस्ट बनाकर लें। इस पेस्ट का सेवन दिन में एक बार करने से अल्सर में फायदा होता है।

आंतों का अल्सर होने पर हींग को पानी में मिलाकर इसका एनीमा देना चाहिये, इसके साथ ही रोगी को आसानी से पचने वाला खाना चाहिए।

अल्सर होने पर एक पाव ठंडे दूध में उतनी ही मात्रा में पानी मिलाकर देना चाहिए, इससे कुछ दिनों में आराम मिल जायेगा।

छाछ की पतली कढ़ी बनाकर रोगी को रोजाना देनी चाहिये, अल्सर में मक्की की रोटी और कढ़ी खानी चाहिए, यह बहुत आसानी से पच जाती है।

कच्चे केले की सब्जी बनाकर उसमें एक चुटकी हींग मिलाकर खाएं| यह अल्सर में बहुत फायदा करती है|

अत्यधिक रेशेदार ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें जिससे कि अल्सर होने की सम्भावना कम की जा सके या उपस्थित अल्सर को ठीक किया जा सके।

मुलेठी बहुत गुणकारी औषधि है। मुलेठी के प्रयोग करने से न सिर्फ आमाशय के विकार बल्कि गैस्ट्रिक अल्सर के लिए फायदेमंद है। मुलेठी का चूर्ण ड्यूओडनल अल्सर के अपच, हाइपर एसिडिटी आदि पर लाभदायक प्रभाव डालता है। साथ ही अल्सर के घावों को भी तेजी से भरता है। यह मीठा होता है इसलिए इसे ज्येष्ठीमधु भी कहा जाता है। असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है। कोई भी समस्या न हो तो भी कभी-कभी मुलेठी का सेवन कर लेना चाहिए आँतों के अल्सर ,कैंसर का खतरा कम हो जाता है ।

पालक विभिन्न उदर रोगों में लाभ प्रद है| आमाशय के घाव छालेऔर आँतों के अल्सर में भी पालक का रस लाभ प्रद है| कच्चे पालक का रस आधा गिलास नित्य पीते रहने से कब्ज- नाश होता है| पायरिया रोग में कच्ची पालक खूब चबाकर खाना और पत्ते का रस पीना हितकर है

नारियल पानी बहुत बढ़िया हैं, आप इसको निरंतर हर रोज़ पीजिये।

सुबह खाली पेट तुलसी के 5 पत्ते खाए।

गेंहू के जवारों का रस अमृत सामान हैं, अलसर के रोगियों के लिए। रोज़ सुबह इसका सेवन करे, अधिक जानकारी के लिए हमारी ये पोस्ट ज़रूर पढ़े।

रात को सोने से पहले एक चम्मच अर्जुन की छाल को 250 मिली पानी में पकाये, इस में आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण भी डाल ले और आधा रहने पर इसको छान कर पी ले। ये ३ महीने तक करे।



अलसर के लिए विशेष चूर्ण।

आंवला 100 ग्राम, मिश्री 500 ग्राम, सौंफ 100 ग्राम, मुलेठी 100 ग्राम, हरड़ 50 ग्राम, अजवायन 50 ग्राम, धनिया 50 ग्राम, जीरा 50 ग्राम, हींग 5 ग्राम। इन सब को मिक्स कर के एक चम्मच गाय के दूध से बनी हुयी दही की छाछ से नियमित सुबह और शाम को ले। 3 महीने निरंतर ले। आपको बहुत फायदा होगा।

मरीज को हर दो घंटे में कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए।

मरीज को इनसे परहेज करना चाहिए। 

कॉफी और कार्बोनेटेड पेय पदार्थों की संख्या सीमित करें या पूर्णतयः समाप्त कर दें। इन सभी पेय पदार्थों का आमाशय की अम्लीयता में तथा अल्सर के लक्षणों को गम्भीर बनाने में सहभागिता होती है।

अपने अल्सर पूर्णतयः ठीक होने तक शराब के सेवन न करें।

मैदे से बनी हुयी किसी भी वास्तु का सेवन न करे, फ़ास्ट फ़ूड या जंक फ़ूड गलती से भी न खाए।

अल्सर के रोगी को ऐसा आहार देना चाहिये जिससे पित्त न बने, कब्ज और अजीर्ण न होने पाये। इसके अलावा अल्सर के रोगी को अत्यधिक रेशेदार ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए, जिससे अल्सर को जल्दी ठीक किया जा सके।

अधिक मात्रा में चाय, कॉफी, शराब, खट्टे व गरम पदार्थ, तीखे तथा जलन पैदा करने वाली चीजें, मसाले वाली वस्तुएं आदि खाने से प्राय: अल्सर हो जाता है| इसके अलावा अम्लयुक्त भोजन, अधिक चिन्ता, ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, कार्यभार का दबाव, शीघ्र काम निपटाने का तनाव, बेचैनी आदि से भी अल्सर बन जाता है| पेप्टिक अल्सर में आमाशय तथा पक्वाशय में घाव हो जाते हैं| धीरे-धीरे ऊतकों को भी हानि पहुंचनी शुरू हो जाती है| इसके द्वारा पाचक रसों की क्रिया ठीक प्रकार से नहीं हो पाती| फिर वहां फोड़ा बन जाता है |

Source: http://onlyayurved.com

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