Saturday, 22 August 2015

ग्वार फली


















घर-घर में खायी जाने वाली प्रमुख सब्जियों में से ग्वार फली एक है, जिसकी खेती देश के बहुत से राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है। यह सब्जी औषधीय गुणों से भरपूर है। ग्वार फली का वानस्पतिक नाम स्यामोप्सिस टेट्रागोनोलोबा है।
ग्वार फली में कई पोष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो स्वास्थ के लिए गुणकारी होते हैं.यह भोजन में अरुची को दूर करके भूख को बढ़ाने वाली होती है इसके सेवन से मांसपेशियां मजबूत बनाती है ग्वार फली में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है जो सेहत के लिए फ़ायदेमंद होता है.
ग्वार फली मधुमेह के रोगी के लिए भी लाभदायक है यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करती है , पित्त को खत्म करने वाली है। ग्वारफली की सब्जी खाने से रतौंधी का रोग दूर होजाता है ग्वार फली कोपीसकर पानी के साथ मिलाकर मोच या चोट वाली जगह पर इस लेप को लगाने से आराम मिलता है।
ग्वार फली स्वाद में मीठी एवं फीकी हो सकती है। यह पाचन में भारी होती है। यह शीतल प्रकृति की और ठंडक देने वाली है अत: इसके ज्यादा सेवन से कफ की शिकायत हो सकती है परंतु ग्वार शुष्क क्षेत्रों के लिए एक पौष्टिक एवं स्वादिष्ट भोजन है।
ग्वार फली मधुमेह के रोगी के लिए भी लाभदायक है यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करती है , पित्त को खत्म करने वाली है। ग्वारफली की सब्जी खाने से रतौंधी का रोग दूर हो जाता है ग्वार फली को पीसकर पानी के साथ मिलाकर मोच या चोट वाली जगह पर इस लेप को लगाने से आराम मिलता है।
गुजरात के आदिवासी इसकी फलियों को सुखाकर चटनी तैयार करते है और मधुमेह के रोगी को 40 दिनों तक दिन में चार बार प्रतिदिन देते हैं। इनका मानना है कि ये काफी फायदेमंद है। कच्ची फलियों को चबाया जाए तो यह मधुमेह के रोगियों के लिए हितकर होता है।
आदिवासियों का मानना है कि फलियों के बीजों को रात भर पानी में डुबोकर रखा जाए और अगले दिन उसे कुचलकर सूजन, जोड़ दर्द और जलन देने वाले शारीरिक भागों पर लगाने से अतिशीघ्र आराम मिलता है।
इसकी पत्तियों का रस लगभग 4 चम्मच और 3-4 कलियों के रस में लहसुन को मिला लिया जाए तो दाद, खाज और खुजली वाले अंगों पर लगाए जाने पर आराम मिल जाता है।
कच्ची फलियों को पीसकर इसमें टमाटर और धनिया की हरी पत्तियों को डालकर चटनी तैयार की जाए और प्रतिदिन सेवन किया जाए तो आंखो की रोशनी बेहतर होती है और लगातार सेवन से कई बार चश्मा भी उतर जाता है।
. ग्वारफली की सब्जी खाने से रतौंधी का रोग दूर हो जाता है
. पीसकर पानी में मिलाकर मोच या चोट वाली जगह पर इस लेप को लगाने से आराम मिलता है।

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