Friday, 28 August 2015

सफ़ेद दाग। LEUCODERMA
















आधुनिक विज्ञानं ने जहाँ आज हर जगह पर विजय पायी हैं वही कुछ जगह पर ये असहाय सी नज़र आती हैं ऐसी ही एक बीमारी हैं सफ़ेद दाग। 
सफ़ेद दाग रोग ऐसा हैं कि जिसको एक बार हो जाए तो वो व्यक्ति हीं भावना से ग्रसित हो जाता हैं और इलाज के नाम से बहुत ठगा जाता हैं। लोग बढ़ चढ़ कर सही करने का दावा करके लोगो को ठगते हुए नज़र आते हैं।

इसका उपचार कुछ सालो पहले आयुर्वेद में बहुत आसान था जब कुछ भस्मो से इसका उपचार योग्य वैध कर दिया करते थे, आज कल भस्मो का सही मिश्रण सही अनुपात न पता होने के कारण ये कला लुप्त होती जा रही हैं।

आज कल आयुर्वेद में जो उपचार हैं वह थोड़े लम्बे हैं इसलिए मरीज को धैर्यपूर्वक इसको लगातार जारी रखना पड़ता हैं।
हम यहाँ आपको कुछ विशेष उपचार बता रहे हैं जो बहुत से रोगियों पर सफलता से प्रयोग किया गया हैं।

बावची का तेल और नीम का तेल सामान मात्रा में मिला कर रोग वाली जगह दिन में २ बार लग्न चाहिए। और इसके साथ बावची का चूर्ण तुलसी के पत्तो को सुखा कर बनाया गया चूर्ण और चोपचीनी का चूर्ण सामान मात्रा में मिला कर हर रोज़ ३ ग्राम सुबह शाम पानी के साथ ले। और ये चूर्ण लेने के २ घंटे पहले और बाद में कुछ ना खाए। और साथ में रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला गुनगुने पाने के साथ ले।

कई बार ये प्रयोग करने से कुछ साइड इफ़ेक्ट नज़र आते हैं, अगर ऐसा हो तो ये प्रयोग बंद कर दे और जब तक साइड इफ़ेक्ट शांत हो तो फिर दोबारा कम मात्रा में शुरू करे।

और सुबह खली पेट गेंहू के जवारे का रास ज़रूर पिए। आपका ये चर्म रोग कुछ दिनों में गायब हो जायेगा। गेंहू के जवारे के लिए ये पोस्ट पढ़े।

इसके साथ लौकी का जूस भी सुबह खाली पेट पिए, और इस जूस को बनाते समय इसमें 5-5 पत्ते तुलसी और पुदीने के भी डाल ले।

बावची एक ऐसी औषधि है जिस से आज कल की आधुनिक सफ़ेद दाग की औषधियां भी बनायीं जाती हैं।

जानिए अन्य उपचार।

1) आठ लीटर पानी में आधा किलो हल्दी का पावडर मिलाकर तेज आंच पर उबालें, जब ४ लीटर के करीब रह जाय तब उतारकर ठंडा करलें फ़िर इसमें आधा किलो सरसों का तैल मिलाकर पुन: आंच पर रखें। जब केवल तैलीय मिश्रण ही बचा रहे, आंच से उतारकर बडी शीशी में भरले। ,यह दवा सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। 4-5 माह तक ईलाज चलाने पर आश्चर्यजनक अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं।

2.) बावची के बीज इस बीमारी की प्रभावी औषधि मानी गई है।५० ग्राम बीज पानी में ३ दिन तक भिगोवें। पानी रोज बदलते रहें।बीजों को मसलकर छिलका उतारकर छाया में सूखालें। पीस कर पावडर बनालें।यह दवा डेढ ग्राम प्रतिदिन पाव भर दूध के साथ पियें। इसी चूर्ण को पानी में घिसकर पेस्ट बना लें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। अवश्य लाभ होगा। दो माह तक ईलाज चलावें।

3) बावची के बीज और ईमली के बीज बराबर मात्रा में लेकर चार दिन तक पानी में भिगोवें। बाद में बीजों को मसलकर छिलका उतारकर सूखा लें। पीसकर महीन पावडर बनावें। इस पावडर की थोडी सी मात्रा लेकर पानी के साथ पेस्ट बनावें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर एक सप्ताह तक लगाते रहें। बहुत ही कारगर उपचार है।लेकिन यदि इस पेस्ट के इस्तेमाल करने से सफ़ेद दाग की जगह लाल हो जाय और उसमें से तरल द्रव निकलने लगे तो ईलाज कुछ रोज के लिये रोक देना उचित रहेगा।

4) लाल मिट्टी लावें। यह मिट्टी बरडे- ठरडे और पहाडियों के ढलान पर अक्सर मिल जाती है। अब यह लाल मिट्टी और अदरख का रस बराबर मात्रा में लेकर घोटकर पेस्ट बनालें। यह दवा प्रतिदिन ल्युकोडेर्मा के पेचेज पर लगावें। लाल मिट्टी में तांबे का अंश होता है जो चमडी के स्वाभाविक रंग को लौटाने में सहायता करता है। और अदरख का रस सफ़ेद दाग की चमडी में खून का प्रवाह बढा देता है।

5) श्वेत कुष्ठ रोगी के लिये रात भर तांबे के पात्र में रखा पानी प्रात:काल पीना फ़ायदेमंद है।

6) मूली के बीज भी सफ़ेद दाग की बीमारी में हितकर हैं। करीब ३० ग्राम बीज सिरका में घोटकर पेस्ट बनावें और दाग पर लगाते रहने से लाभ होता है।

7) एक अनुसंधान के नतीजे में बताया गया है कि काली मिर्च में एक तत्व होता है –पीपराईन। यह तत्व काली मिर्च को तीक्ष्ण मसाले का स्वाद देता है। काली मिर्च के उपयोग से चमडी का रंग वापस लौटाने में मदद मिलती है।

8) चिकित्सा वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि सफ़ेद दाग रोगी में कतिपय विटामिन कम हो जाते हैं। विशेषत: विटामिन बी 12 और फ़ोलिक एसीड की कमी पाई जाती है। अत: ये विटामिन सप्लीमेंट लेना आवश्यक है। कॉपर और ज़िन्क तत्व के सप्लीमेंट की भी सिफ़ारिश की जाती है।

9) एक मुट्ठी काले चने, 125 मिली पानी में डाल दे सुबह, उसमे 10 गरम त्रिफला चूर्ण डाल दे, 24 घंटे वो पड़ा रहे …ढक के रह दे … 24 घंटे बाद वो छाने जितना खा सके चबाकर के खाये…. सफ़ेद दाग जल्दी मिटते है |

10) रोज बथुआ की सब्जी खायें, बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग को धोयें कच्चे बथुआ का रस दो कप निकाल कर आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तब उतार कर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें । ठीक होगा धैर्य की जरूरत है।

11) अखरोट खूब खायें। इसके खाने से शरीर के विषैले तत्वों का नाश होता है। अखरोट का पेड़ अपने आसपास की जमीन को काली कर देती है ये तो त्वचा है। अखरोट खाते रहिये लाभ होगा।

12) रिजका (Alfalfa, एक प्रकार का पौधा जो पशुओं के चारे के काम में आता है) सौ ग्राम,  सौ ग्राम ककडी का रस मिलाकर पियें दाद ठीक होगा।

13) लहसुन के रस में हरड घिसकर लेप करें तथा लहसुन का सेवन भी करते रहने से दाग मिट जाता है। लहसुन के रस में हरड को घिसकर कर लेप करें साथ साथ सेवन भी करें।

14) पानी में भीगी हुई उडद की दाल पीसकर सफेद दाग पर चार माह तक लगाने से दाद ठीक हो जायेगा।

15) तुलसी का तेल सफेद दाग पर लगायें।

16) नीम की पत्ती, फूल, निंबोली, सुखाकर पीस लें प्रतिदिन फंकी लें।सफेद दाग के लिये नीम एक वरदान है। कुष्ठ जैसे रोग का इलाज नीम से सर्व सुलभ है। कोई बी सफेद दाग वाला व्यक्ति नीम तले जितना रहेगा उतना ही फायदा होगा नीम खायें, नीम लगायें ,नीम के नीचे सोये ,नीम को बिछाकर सोयें, पत्ते सूखने पर बदल दें। पत्ते,फल निम्बोली,छाल किसी का भी रस लगायें व एक चम्मच पियें। इसकी पत्तियों को जलाकर पीस कर उसकी राख इसी नीम के तेल में मिलाकर घाव पर लेप करते रहें। नीम की पत्ती, निम्बोली ,फूल पीसकर चालीस दिन तततक शरबत पियें तो सफेद दाग से मुक्ति मिल जायेगी। नीम की गोंद को नीम के ही रस में पीस कर मिलाकर पियें तो गलने वाला कुष्ठ रोग भी ठीक हो सकता है।

बच्चों पर ईलाज का असर जल्दी होता है| चेहरे के सफ़ेद दाग जल्दी ठीक हो जाते हैं। हाथ और पैरो के सफ़ेद दाग ठीक होने में ज्यादा समय लेते है। ईलाज की अवधि ६ माह से २ वर्ष तक की हो सकती है।

परहेज :- अंडा मॉस मछली तेल, डालडा घी या वनस्पति तेल लाल मिर्च शराब नशीली चीजे खटाई अरबी भिन्डी चावल इनका परहेज करे।

*शरीर का विषैला तत्व (Toxic) बाहर निकलने से न रोकें जैसे- मल, मूत्र, पसीने पर डीयो न लगायें।
*मिठाई, रबडी, दूध व दही का एक साथ सेवन न करें।
*गरिष्ठ भोजन न करें जैसे उडद की दाल, मांस व मछली।
*भोजन में खटाई, तेल मिर्च,गुड का सेवन न करें।
*अधिक नमक का प्रयोग न करें।
*ये रोग कई बार वंशानुगत भी होता है।


खाए :- काला चना, चुकंदर, गाजर, पपीता, अंजीर, खजूर, काले तिल,चोकर सहित आटे की रोटी, शुद्ध घी, खिचड़ी, मूंग, बादाम, किशमिश, हल्दी, तौरई इत्यादि।

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