Sunday, 30 August 2015

चांगेरी (INDIAN SORREL)















चांगेरी
(INDIAN SORREL)
परिचय : चांगेरी भारत वर्ष के सम्पूर्ण उष्ण प्रदेशों में तथा हिमालय में 6,000 फुट की ऊंचाई तक होता है। इस पर फूल और फल वर्ष भर मिलते हैं।
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिन्दी : तिनपतिया
संस्कृत : चांगेरी, अम्लपत्रिका
बंगाली : आमरुल
मराठी : अंबुटी
पंजाबी : खट्टी बूटी, खटमिट्ठा
द्राविड़ी : पुड़िया रै (ई)
कन्नड़ : पुल्लु पुलुचे
गुण : चांगेरी खट्टी, कषैली तथा गर्म होती है। यह कफवातनाशक, पित्तवर्द्धक, सूजन को नष्ट करने वाला, दर्द दूर करने वाला, लेखन, नशा दूर करने वाला, आवाज साफ करने वाला, रुचिकारी, उत्तेजक, यकृतोत्तेजक, ग्राही, रक्तस्तम्भन और बुखारनाशक है। यह विटामिन-सी का भी अच्छा स्रोत है।

स्वरूप : चांगेरी का पौधा बहुत ही छोटा, फैला हुआ 2.5 से 10 इंच तक लम्बा, पत्ते गोल, रोमश तथा बीज विभिन्न गहरे भूरे रंगों के अण्डाकार अनुप्रस्थ धारियों से युक्त होते हैं।

विभिन्न रोंगों का चांगेरी से उपचार :

1. सिर दर्द:- चांगेरी के रस और प्याज के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर सिर पर लेप करने से पित्तज सिरदर्द दूर हो जाता है।

2. मसूढ़ों के रोग:- चांगेरी के पत्तों के रस से कुल्ले करने से मसूढ़ों के न मिटने वाले रोग भी मिट जाते हैं।

3. मुंह की दुर्गन्ध: - चांगेरी के 2-3 पत्तों को मुंह में पान की तरह रखने से मुंह की दुर्गंध मिट जाती है।

4. दांतों के रोग:- चांगेरी के सूखे हुए पत्तों से दांतों का मंजन करने से दांतों के रोगों में लाभ होता है।

5. संग्रहणी: - संग्रहणी (पेचिश) रोग में चांगेरी के पंचांग के रस में पीपल मिलाकर उसके रस से चार गुना दही उसमें मिलाकर घी डालकर पका लेना चाहिए यह मिश्रण संग्रहणी (पेचिश) के लिए लाभकारी होता है।

6. पेट का दर्द: - 40 से 60 ग्राम चांगेरी के पत्तों के काढ़े में भुनी हुई हींग और मुरब्बा मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।

7. आंतरिक जलन:- चांगेरी के 5 से 7 पत्तों को ठण्डाई की तरह घोटकर उसमें मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से आंतरिक जलन मिट जाती है।

8. पाचनशक्ति:- अग्निमान्द्य (भूख न लगना) के रोग में चांगेरी के 8-10 पत्तों की कढ़ी बनाकर देने से पाचनशक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) ठीक होकर भूख बढ़ जाती है।

9. बवासीर:- *बवासीर के रोग में चांगेरी के पंचांग को घी में पकाकर उसकी सब्जी बनाकर दही के साथ सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाती है।

*चांगेरी निशोथ, दन्ती, पलाश, चित्रक इन सभी की ताजी पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर घी में भूनकर, इस सब्जी को दही में मिलाकर शुष्क बवासीर में देना चाहिए। इससे शुष्क बवासीर दूर हो जाती है।"

10. अतिसार (दस्त):- *चांगेरी के 4 से 5 ग्राम रस को दिन में 2 बार पीने से पेचिश और अतिसार (दस्त) के रोग ठीक हो जाते हैं।

*पुरानी पेचिश के रोग में चांगेरी के 4-5 पत्तों को उबालकर मट्ठे या दूध के साथ देने से बहुत लाभ मिलता है।"

11. गुदाभ्रंश (कांच निकलना):- चांगेरी के रस में घी को गर्म करके गुदा पर लेप करने से कांच का निकलना बंद हो जाता है।

12. रक्तस्राव:- चांगेरी के पंचांग के रस की 5-10 मिलीमीटर मात्रा में दिन में 2 बार प्रयोग करने से पतली धमनियों का संकोचन होकर रक्तस्राव (खून का बहना) मिटता है।

13. जलन:- *चांगेरी के 10-15 पत्तों को पानी के साथ पीसकर पोटली बनाकर सूजन पर बांधने से सूजन की जलन मिट जाती है। 

*चांगेरी के पत्तों का लेप छोटे बच्चों के फोड़े-फुन्सियों पर करने से लाभ होता है।"

14. चौथिया ज्वर: - चौथिया ज्वर में चांगेरी के 1 हजार पत्तों को पीसकर 16 गुने पानी में उबालना चाहिए जब यह गाढ़ा हो जाए तो इसमें इतना घी डालें कि यह रबड़ी जैसा हो जाए। इस रबड़ी को 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से ज्वर (बुखार) 3 दिन में ठीक हो जाता है।

15. धतूरे का नशा:- चांगेरी के ताजे पत्तों का 20-40 मिलीमीटर रस रोगी को पिलाने से धतूरे का नशा उतर जाता है।

16. बच्चों के दस्त:- चांगेरी के पत्तों को निचोड़कर बने हुए रस को बच्चों को देने से बच्चों को अतिसार (दस्त) से छुटकारा मिल जाता है।

17. आंवरक्त:- चांगेरी (तिनपतिया) की सब्जी रोगी को खिलाने से लाभ होता है। इसको फेंटकर 40 से 80 ग्राम का सेवन करने से आंव में खून का आना बंद हो जाता है।

18. पेट के अन्दर सूजन और जलन:- चांगेरी के पत्तों को पीसकर शर्बत (ठण्डाई) के रूप में पीने से पेट की जलन शांत हो जाती है।

19. फोड़ा:- फोड़ों पर चांगेरी (तिनपतिया) की सब्जी को पीसकर बांधने से उससे होने वाली जलन, दर्द और सूजन खत्म हो जाती है।

20. शरीर में सूजन :- चांगेरी (तिनपतिया) की सब्जी को पीसकर सूजन वाले भाग पर बांधने से सूजन और उससे होने वाला दर्द तथा जलन दूर हो जाती है।

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