Saturday, 15 August 2015

गर्भाशय (बच्चेदानी) की सूजन हो जाने का कारण













ऋतुकालीन असावधानियों का कुप्रभाव यदि गर्भाशय को प्रभावित करता है तो उसमे सुजन आ जाती है. इसमें रोगी महिला को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है तथा इससे हल्का बुखार, भूख न लगना, सरदर्द, कमर दर्द या पेट-दर्द की परेशानी होती है.

गर्भाशय (बच्चेदानी) की सूजन हो जाने का कारण –

भूख से अधिक भोजन सेवन करने के कारण स्त्री के गर्भाशय में सूजन आ जाती है।

पेट में गैस तथा कब्ज बनने के कारण गर्भाशय में सूजन हो जाती है।
अधिक तंग कपड़े पहनने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है।

पेट की मांसपेशियों में अधिक कमजोरी आ जाने के कारण तथा व्यायाम न करने के कारण या अधिक सख्त व्यायाम करने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है।

औषधियों का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है।

अधिक सहवास करने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है।
गलत खान-पान के कारण गर्भाशय में सूजन हो सकती है।

प्रसव के दौरान सावधानी न बरतने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है।

प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

गर्भाशय में सुजन हो जाने पर स्त्री रोगी को ४-५ दिनों तक फलों का जूस पीकर उपवास करना चाहिए. उसके बाद बिना पका हुआ संतुलित आहार लेना चाहिए.

इस रोग से पीड़ित महिला को चटपटे मसालों. मिर्च, तली हुई चीजें और मिठाई से परहेज रखना चाहिए.

पीड़ित स्त्री को दो तीन बार अपने पैर कम से कम एक घंटे के लिए एक फुट ऊपर उठाकर लेटना चाहिए और आराम करना चाहिए.

निर्गुडाति शरीर रक्षति रोगेभ्य: तस्माद निर्गुण्डी. अर्थात जो रोगों से शरीर की रक्षा करती है वह निर्गुण्डी कहलाती ह. इसे सम्हालू या मेऊड़ी भी कहते हैं. आचार्य चरक इसे विषहर वर्ग की महत्वपूर्ण औषधि मानते हैं. किसी भी प्रकार के बाहरी भीतरी सूजन के लिए इसका उपयोग किया जाता है। यह औषधि वेदना शामक और मज्जा तंतुओं को शक्ति देने वाली है। वैसे आयुर्वेद में सुजन उतारने वाली और भी कई औषधियों का वर्णन आता है पर निर्गुण्डी इन सब में अग्रणी है और सर्वसुलभ भी. नीम, (निर्गुन्डी) सम्भालु के पत्ते और सोंठ सभी का काढ़ा बनाकर जननांग में लगाने से सुजन ख़त्म हो जाती है.

अशोक की छाल का चूर्ण 10 से 20 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह दूध में गर्म कर सेवन करने से अवश्य ही लाभ मिलता है। इससे गर्भाशय के साथ-साथ अंडाशय भी शुद्ध और शक्तिशाली हो जाता है।

बादाम रोगन एक चम्मच, शरबत बनफ्सा तीन चम्मच और खांड पानी में मिलाकर सुबह पीयें तथा बादाम रोगन का एक रुई का फोया जननांग के मुह पर रखें. इससे गर्मी के कारण गर्भाशय की सुजन ठीक हो जाती है.
अरंड के पत्तों का रस छानकर रुई में भिगोकर जननांग में लगाने से सुजन ख़त्म हो जाती है

रेवंदचीनी को 15 ग्राम की मात्रा में पीसकर आधा आधा ग्राम पानी के साथ दिन में तीन बार लेने से सुजन ठीक हो जाती है.

गर्भाशय में सूजन हो जाने पर स्त्री के पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए. इसके बाद एनिमा देनी चाहिए और फिर गर्म कटिस्नान कराना चाहिए. इसके बाद टब में नमक डालकर पन्द्रह से बीस मिनट तक स्त्री को इसमें बैठाना चाहिए.

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