Saturday, 15 August 2015

एसिडिटी/खट्टी-डकारें/छाती में जलन














"एसिडिटी/खट्टी-डकारें/छाती में जलन"

[A] एसिडिटी क्या है?
कई बीमारियाँ ऐसी होती हैं। जिन्हें हम खुद बुलावा देते हैं। कहने का मतलब यह है कि हमारी गलत जीवनशैली ही ऐसे रोगों को बढ़ावा देती है। एसिडिटी ऐसे ही रोगों में से एक है। एसिडिटी को चिकित्सकीय भाषा में गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफलक्स डिजीज (GERD) के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद में इसे अम्ल पित्त कहते हैं। आज इससे हर दूसरा व्यक्ति पीड़ित है। एसिडिटी होने पर शरीर की पाचन प्रक्रिया ठीक नहीं रहती।

[B] कारण?
आधुनिक विज्ञान के अनुसार आमाशय में पाचन क्रिया के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पेप्सिन का स्त्रवन होता है। सामान्य तौर पर यह अम्ल तथा पेप्सिन आमाशय में ही रहता है तथा भोजन नली के सम्पर्क में नहीं आता है। आमाशय तथा भोजन नली के जोड़ पर विशेष प्रकार की माँसपेशियाँ होती हैं जो अपनी संकुचनशीलता से आमाशय एवं आहार नली का रास्ता बंद रखती है तथा जब हम कुछ खाते-पीते हैं तभी खुलती हैं। लेकिन इनमें विकृति आ जाने पर ये कई बार अपने आप खुल जाती हैं और एसिड तथा पेप्सिन भोजन नली में आ जाता है। जब ऐसा बार-बार होता है तो आहार नली में सूजन तथा घाव हो जाते हैं। ऐसा हमारे गलत खान-पान, आरामदायक जीवनशैली, प्रदूषण, चाय, कॉफी, धूम्रपान, अल्कोहल और कैफीनयुक्त पदार्थों के ज्यादा इस्तेमाल करने से होता है।

[C] लक्षण?
1. सीने और छाती में जलन।
2. खाने के बाद या प्राय: सीने में जलन एवं दर्द रहना।
3. मुँह में खट्टा पानी आना।
4. गले में जलन और अपचन भी इसके लक्षणों में शामिल होते हैं।
5. एसिडिटी के कारण अपचन की वजह से घबराहट होती है, खट्टी डकारें आती हैं व खट्टी डकारों के साथ गले में जलन-सी महसूस होती है।
[D] कुछ घरेलू उपचार:
1. अल्प मात्रा में दिन में तीन बार हल्का एवं सादा भोजन करें व हर बार भोजन के बाद एक देशी गुड़ की डली मुँह में रखें और चबा-चबा कर खा जाएँ।
2. एक कप पानी उबालकर उसमें एक चम्मच सौंफ मिलाएँ व इसको रातभर के लिए ढँक कर रख दें और सुबह उठकर इसके छने हुए पानी छान में 1 चम्मच शहद मिलाकर तीन टाइम भोजन के बाद ग्रहण करें।
3. एक गिलास गर्म पानी में एक चुटकी कालीमिर्च चूर्ण तथा आधा नींबू निचोड़कर नियमित रूप से सुबह सेवन करें। इसी के साथ सलाद के रूप में मूली पर काला नमक छिडक कर जरुर खाएँ।
4. एक लौंग और एक इलायची लेकर पाऊडर बना लें। इस मात्रा को प्रत्येक भोजन के बाद माऊथफ्रेशनर के रूप में खाएँ। इससे एसिडिटी भी सही होगी और मुँह से बदबू भी नहीं आएगी।
[E] ऐसे करें बचाव:

1. समय पर भोजन करें और भोजन करने के बाद कुछ देर टहलें ।

2. अपने खाने में ताजे फल, सलाद, सब्जियों का सूप, उबली हुई सब्जी को शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियाँ और अंकुरित अनाज खूब खाएँ। ये विटामिन 'बी' और 'ई' के बेहतरीन स्रोत होते हैं जो शरीर से एसिडिटी को जड़ मूल से बाहर निकाल देते हैं।

3. खाना हमेशा चबा-चबा कर और जरूरत से थोड़ा कम ही खाएँ। सदैव मिर्च-मसाले और ज्यादा तेल वाले भोजन से बचें।

4. अपने रोजमर्रा के आहार में मट्ठा और ताज़ा दही शामिल करें।

5. शराब, धूम्रपान और मांसाहारी भोजन से परहेज करें।

6. पानी खूब पिएँ। याद रखें इससे न सिर्फ पाचन में मदद मिलती है, बल्कि शरीर से टॉक्सिन भी बाहर निकल जाते हैं।

7. खाने के बाद तुरंत पानी का सेवन न करें। इसका सेवन कम से कम आधा अथवा एक घंटे के बाद ही करें।

8. तीखे मिर्च-मसाले अचार, तेल-घी-चिकनाई चाय-काफी एवं कोल्ड्रिंक्स के सेवन से बचें।

9. पाइन-एपल के जूस का सेवन करें, यह एन्जाइम्स से भरा होता है। खाने के बाद अगर पेट अधिक भरा व भारी महसूस हो रहा है, तो आधा गिलास ताजे पाइनेपल का जूस पिएँ। सारी बेचैनी और एसिडिटी खत्म हो जाएगी।

10. आँवले का सेवन करें हालांकि यह खट्टा होता है, लेकिन अन्दर जाने के बाद इसकी क्रिया एवं प्रकृति एल्केलाईन हो जाती है अतः एसिडिटी के घरेलू उपचार के रूप में यह बहुत काम की चीज है।

11. गैस से फौरन राहत के लिए 2 चम्मच ऑंवला जूस या सूखा पिसा हुआ ऑंवला पाऊडर और दो चम्मच पिसी हुई मिश्री ले लें और दोनों को पानी में मिलाकर पी जाएँ।

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