नजला/ जुकाम/खांसी/ दमा/खरार्टे के लिए चिकित्सा
जौ (Barley) एक किस्म का अनाज होता है जो कुछ कुछ गेहूं
जैसा दिखता है। बाजार से लगभग 250 ग्राम जौ ले आएँ। ध्यान रहे
कि इसमे घुन न लगा हुआ हो। इसे साफ कर ले। मंद मंद आग पर कड़ाही मे डाल कर भून ले। ध्यान रहे कि जले नहीं। इसके बाद इसे मोटा मोटा कूट/ पीस ले।
जरूरत के समय 1 बड़ा चम्मच जौ का चूर्ण लेकर उसमे 1 छोटा चम्मच देशी घी मिला कर तेज गरम तवे पर या तेज गरम लोहे की कड़छी मे डाल कर इसका धुआँ नाक से या मुँह से खींचें।
यदि लकड़ी के जलते हुए कोयले पर डाल कर धुआँ खींचे तो और भी अधिक लाभदायक है। धुआँ लेने के 15 मिनट पहले और 2 घंटे बाद तक ठंडा पानी न पिए। प्यास लगे तो गरम दूध पिए। यदि बार बार मुँह सूखता हो और प्यास लगती हो तो ये प्रयोग न करें।
नए जुकाम मे जब सिर भारी हो और नाक बंद तब यह प्रयोग करें और चमत्कार देखें। 5 मिनट मे फायदा होगा। खांसी, दमे मे इन्हेलर कि तरह तत्काल फायदा दिखता है।
खर्राटे मे प्रतिदिन ये धुआँ लें। सुबह शाम किसी भी समय ले सकते हैं।
कोई साइड इफेक्ट नहीं। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित।
अन्य दवाओं के साथ भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। बदलते मौसम मे स्वस्थ भी प्रयोग करें ताकि नजले जुकाम से बच सकें। दिन मे 4 बार तक प्रयोग कर सकते हैं। एक समय मे 4 बड़े चम्मच जौ घी मिला कर प्रयोग कर सकते हैं
यदि बार बार मुँह सूखता हो और प्यास लगती हो तो ये प्रयोग न करें।
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