Tuesday 28 October 2014

हरड़ के चमत्कार













हरड़ के चमत्कार

आयुर्वेद के ऋषियों ने लिखा है - 
जिसके घर मे माता नहीं है उसकी माता हरीतकी है, 
कभी माता भी कुपित (गुस्सा) हो जाती है परंतु पेट मे गई हुई हरड़ कुपित नहीं होती। 
आयुर्वेद के सबसे पुराने व प्रतिष्ठित ग्रंथ चरक संहिता मे महर्षि पुनर्वसु आत्रेय जो औषधि लिखी है उसमे सबसे पहली औषधि हरितकी लिखी है। 
आचार्य भावमिश्र जी अपने भावप्रकाश का आरंभ हरीतकी से करते है।

ये सभी प्रयोग बार बार आजमाए गए हैं कभी असफल नहीं होते। संस्कृत मे हरीतकी, अभया, पथ्या, हिन्दी मे हरड़, हर्र, बांग्ला, मराठी, गुजराती, पंजाबी और तेलुगू मे भी हरीतकी या हरड़। English = Myrobalans
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दवाई के लिए प्रायः बड़ी हरड़ का प्रयोग होता है। बाजार मे बड़ी हरड़ के टुकड़े मिलते हैं वह न ले। साबुत हरड़ ले जिसमे घुन न लगा हो। उसे तोड़ कर बीज निकाल दे। फिर इसे बारीक पीस ले। जो स्वयम नहीं पीस सकते वह बाजार से हरीतकी चूर्ण बना बनाया ले।
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किसे हरड़ नहीं लेनी चाहिए – 
1 *मुंह बार सुख रहा हो और प्यास लग रही हो। 
2* नाक मुंह या किसी अन्य अंग से खून बहता हो। 
3* वर्षो से किसी ऐसे रोग का शिकार हो जिसमे खून की बहुत अधिक कमी हो गई हो। 
4-* जो प्रतिदिन व्यायाम करते हैं या प्रतिदिन लंबा पैदल चलते है। 
5* जिसे कभी लकवा, खून की अधिक कमी ( जैसे थेलिसिमिया , परनीसियास एनीमिया, एडिसन्स डीजीज) जैसा रोग हो 
6* जिसे Asthma /श्वास, दमा के रोग हो 
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सबसे चमत्कारी जन्मघुट्टी 
छोटे बच्चो के लिए इसके समान घुट्टी नहीं है । चित्र मे दिखाए अनुसार साबुत बड़ी हरड़ ले उनमे से वह हरड़ चुने जो पानी मे डालने पर पानी मे डूब जाए तैरे नहीं। 
इसे पत्थर पर चन्दन की तरह घिस कर दे। 
1- बच्चे का पेट फुला हुआ हो रात को रोता हो - घिसी हुई हरड़ मे गुड मिलाकर दे। 
2- मुंह मे छले के कारण यदि बच्चा दूध ना पी पा रहा हो- घिसी हुई हरड़ मे मिश्री मिलाकर दे। 
3- बच्चे को भूख ना लगे- घिसी हुई हरड़ मे सैंधा नमक मिलाकर दे। 
4- दस्त मे- हरड़ व काली अतीस दोनों घिस कर मिलाकर दे। 
5 जुखाम होने पर - सोंठ भी साथ मे घिस कर मिलाकर दे।

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पेट की गैस के लिए – बड़ी हरड़ की का चूर्ण मे समान गुड मिला ले । फिर इसकी मटर के दाने के बराबर गोली बना ले। यदि गोली बनाने मे दिक्कत हो तो थोड़ा सा पानी मिला कर गोली बना ले और धूप मे सूखा ले। यदि धूप मे न सुखाए तो गोलियों मे फफूंदी लग जाती है । या चूर्ण की तरह रख ले। इसे लगभग 1 ग्राम की मात्रा मे भोजन के बीच मे या भोजन के बाद पानी/ लस्सी से ले। पेट मे किसी भी कारण से गैस बनती हो लाभ जरूर होता है। पेट की गैस मे ये कभी भी असफल नहीं होती। बाजार मे उपलब्ध कोई भी गैस का चूर्ण या गोली इसके समान प्रभावशाली नहीं है। साथ ही यह सुबह खाली पेट पानी से लेने पर भूख को बढ़ाती है, बवासीर मे लाभ दिखाती है 

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अम्लपित्त के लिए – 100 ग्राम मुनक्का (बड़ी किशमिश/ दाख जिसमे बीज होता है) ले। इन्हे गरम पानी से धो ले। फिर बीज निकाल ले। उसके बाद इन्हे कूट ले और इसमे 50 ग्राम हरड़ का चूर्ण मिला ले। इसके बाद मटर के दाने के आकार की गोलीय बना ले। यदि गोली बनाने मे कुछ परेशानी हो तो कुछ बूंद शहद मिला ले। 1-2 गोली भोजन से पहले पानी से लेने से अम्लपित्त और पेट के अल्सर मे बहुत लाभ होता है।

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चक्कर आने पर – पीपल (जिसे गरम मसाले मे मिलाते है), सौंठ (सुखी अदरक), सौंफ और हरड़ 25-25 ग्राम। गुड 150 ग्राम सबको मिला कर मटर के दाने के आकार की गोली बनाए। 1-2 गोली दिन मे 3 बार ले। चक्कर आना, सिर घूमना बंद हो जाएगा।

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बवासीर (Piles ) के लिए 
- यह प्रयोग सभी तरह की बवासीर के लिए बहुत ही लाभदायक है। यदि मल मार्ग से खून आता हो तो इसमे 10 ग्राम“कहरवा पिष्टी” जरूर मिलाए। 
बड़ी हरड़ (गुठली निकाल के )=60 ग्राम 
काली मिर्च -20 ग्राम, पीपल (गरम मसाले मे मिलाने वाला )-40ग्राम 
चव्य= 20ग्राम, तालिश पत्र =20 ग्राम, नागकेशर=10ग्राम, पिपलामूल= 40ग्राम, 
चित्रक = 20ग्राम, छोटी इलायची =5ग्राम, दालचीनी = 5 ग्राम, 
अजवायन =5 ग्राम, जीरा = 5 ग्राम, गुड 400 ग्राम 
सभी दवाइया जड़ी बूटी वाले की दुकान से ला कर साफ कर ले। गुड को छोड़ कर बाकी सभी को मिलाकर बारीक कूट ले। अंत मे गुड मिला कर मटर के दाने के आकार की गोली बनाकर धूप मे सूखा ले। यदि गोली बनाने मे परेशानी हो तो 1-2 चम्मच पानी मिला ले। धूप मे जरूर सुखाए। अन्यथा फफूंद लग कर खराब हो जाती है। सभी तरह की बवासीर के लिए बेहद अच्छी है। धीरे धीरे फायदा करती है परंतु 2-3 महीने मे पूरी तरह ठीक हो जाती है। 
मात्रा = 2 से 5 ग्राम ठंडे पानी से सुबह खाली पेट व शाम को भोजन से 2 घंटे पहले 
परहेज = चाय, लाल मिर्च, उरद की दाल, राजमा, समोसा, पकौड़ा, इमली अमचूर 
जिमिकन्द की सब्जी बनाकर खाए। मुली की सब्जी बनाकर खाए बवासीर मे बहुत अच्छी है। भुना हुआ जीरा, काली मिर्च और सैंधा नमक मिला कर प्रतिदिन दहि की लस्सी /छाछ जरूर पिए। आयुर्वेद मे लिखा है “जैसे आग मे भुने हुए अन्न के दाने दोबारा नहीं पैदा होते वैसे छाछ के प्रयोग से नष्ट बवासीर के मस्से दोबारा नहीं पैदा होते।”

मधुमेह मे – आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ चरक संहिता में लिखा है कि तक्र (दहि कि लस्सी/छाछ जिसमे दहि का ¼ भाग पानी मिलाया गया हो) के साथ हरीतकी का चूर्ण लेने से मधुमेह मे बहुत लाभ होता है। (इस प्रयोग का मैंने 1-2 को बताया है और उन्होने कहा कि उन्हे इससे लाभ हुआ है । यह आयुर्वेद के प्रतिष्ठित ग्रंथ का प्रयोग है और कोई नुकसान नहीं करता इसलिए एकबार दूसरी दवाओ के साथ साथ इसका भी प्रयोग करके देखना चाहिए)

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