Monday, 8 September 2014

गाय के घी का महत्त्व









































गाय के घी का महत्त्व -

आज खाने में घी ना लेना एक फेशन बन गया है . बच्चे के जन्म के बाद डॉक्टर्स भी घी खाने से मना करते है . दिल के मरीजों को भी घी से दूर रहने की सलाह दी जाती है .ये गौमाता के खिलाफ एक खतरनाक साज़िश है . रोजाना कम से कम २ चम्मच गाय का घी तो खाना ही चाहिए .

- यह वात और पित्त दोषों को शांत करता है .

- चरक संहिता में कहा गया है की जठराग्नि को जब घी डाल कर प्रदीप्त कर दिया जाए तो कितना ही भारी भोजन क्यों ना खाया जाए, ये बुझती नहीं .

- बच्चे के जन्म के बाद वात बढ़
जाता है जो घी के सेवन से निकल जाता है, अगर ये नहीं निकला तो मोटापा बढ़ जाता है .

- हार्ट की नालियों में जब ब्लोकेज हो तो घी एक ल्यूब्रिकेंट का काम करता है .

- कब्ज को हटाने के लिए भी घी मददगार है .

- गर्मियों में जब पित्त बढ़ जाता है तो घी उसे शांत करता है .

- घी सप्तधातुओं को पुष्ट करता है .

- दाल में घी डाल कर खाने से गेस नहीं बनती .

- घी खाने से मोटापा कम होता है .

- घी एंटी ओक्सिदेंट्स की मदद करता है जो फ्री रेडिकल्स को नुक्सान पहुंचाने से रोकता है .

- वनस्पति घी कभी न खाए . ये पित्त बढाता है और शरीर में जम के बैठता है .

- घी को कभी भी मलाई गर्म कर के ना बनाए . इसे दही जमा कर मथने से इसमें प्राण शक्ति आकर्षित होती है . फिर इसको गर्म करने से घी मिलता है . इसे बनाते वक़्त अगर भगवान का भजन और स्मरण किया जाए तो इसकी खुशबु और स्वाद ही अनोखा होगा .

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