Tuesday, 30 September 2014

भ्रामरी प्राणायाम
















भ्रामरी प्राणायाम
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योगियों के अनुसार यह प्राणायाम रात्रि के समय किया जाना चाहिए। जब आधी रात व्यतीत हो जाए और किसी भी जीव-जंतु का कोई स्वर सुनाई ना दे। उस समय किसी भी सुविधाजनक आसन में बैठकर दोनों हाथों की उंगलियों को दोनों कानों में लगाकर सांस अंदर खींचे और कुंभक (एक प्रकार का आसन) द्वारा सांस को रोकें। इसमें कान बंद होने पर भौरों के समान शब्द सुनाई देने लगता है। यह शब्द दाएं कान में अनुभव होता है।
लाभ - योगियों के अनुसार इस आसन से मन की चंचलता दूर होती है। मन एकाग्र होता है। जो व्यक्ति अत्यधिक तनाव महसूस करते हैं, उन्हें यह प्राणायाम अवश्य करना चाहिए।
सावधानी - कान में संक्रमण हो तो इसे न करें। इसे करते वक्त आसन स्थिर रखें। कन्धों को ढीला छोड़े व हिलाएं नहीं। यह प्राणायाम जितना आराम से करेगें, उतना ही अच्छा रहेगा।

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