Friday 29 January 2016

बवासीर-फिस्टुला का घरेलू उपचार


















बवासीर-फिस्टुला का घरेलू उपचार 

आज लोगों का खान-पान पूरी तरह पश्चिमी सभ्यता पर आधारित हो गया है। लोग तेल, मिर्च, मसाला, तली, भूनी चीजें, फास्ट फूड, अनियमित भोजन का अधिक सेवन करते हैं। खाने में हरी सब्जियां, सलाद, पौष्टिक आहार का सेवन कम कर रहे हैं। व्यायाम, परिश्रम आदि से लोग दूर भाग रहे हैं जिसके कारण लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं। उपरोक्त निदान अनियमित आहार-विहार सेवन के कारण लोग एक जटिल बीमारी भगंदर का शिकार हो रहे हैं।

बवासीर दो प्रकार की होती है:-
खूनी बवासीर :-
जब गुदा के अंदर की बवासीर से खून निकलता है तो इसे खूनी बवासीर कहते हैं-

बादी बवासीर :-
बाहर की ओर फूले हुए मस्से की बवासीर में दर्द तो होता है लेकिन उनसे खून नहीं निकलता है इसलिए इसे बादी-बवासीर कहते हैं-

घरेलू उपचार (Home remedies ):-
1-25 ग्राम अनार के ताजे, कोमल पत्ते 300 ग्राम पानी में देर तक उबालें। जब आधा जल शेष रह जाए तो उस जल को छानकर भगंदर को धोने से बहुत लाभ होता है।

2-नीम के पत्तों को जल में उबालकर, छानकर भगंदर को दिन में दो बार अवष्य साफ करें।तथा नीम की पत्तियों को पीसकर भगंदर पर लेप करने से बहुत लाभ होता है।

3-काली मिर्च और खदिर (लाजवंती) को जल के छींटे मारकर पीसकर भगंदर पर लेप करें।

4-लहसुन को पीसकर, घी में भूनकर भंगदर पर बांधने से जीवाणु नष्ट होते हैं।

5-आक के दूध में रुई भिगोकर सुखाकर रखें। इस रुई को सरसों के तेल के 
साथ भिगोकर काजल बनाएं काजल मिट्टी के पात्र पर बनाएं। इस काजल को भगंदर पर लगाने से बहुत लाभ होता है। या आक का दूध और हल्दी मिलाकर उसको पीसकर शुष्क होने पर बत्ती बना लें। इस बत्ती को भगंदर के व्रण पर लगाने से बहुत लाभ होता है।

6-चमेली के पत्ते, गिलोय, सोंठ और सेंधा नमक को कूट-पीसकर तक्र (मट्ठा) मिलाकर भंगदर पर लेप करें।

7-त्रिफला क्वाथ से नियमित भगंदर के व्रण को धोकर बिल्ली अथवा कुत्ते की हड्डी के महीन चूर्ण का लेप कर देने से भगंदर ठीक हो जाता है |

8-रोगी को किशोर गूगल, कांचनार गूगल एवं आरोग्यवर्द्धिनी वटी की दो दो गोली दिन में तीन बार गर्म पानी के साथ करने पर उत्तम लाभ होता है नियमित दो माह तक इसका प्रयोग करने से भगंदर ठीक हो जाता है |

9-भगंदर के रोगी को भोजन के बाद विंडगारिष्ट, अभयारिस्ट एवं खादिरारिष्ट 20-20 मिली. की मात्रा में सामान जल मिलाकर सेवन करना चाहिए |

10 - -कलमी शोरा (saltpeter ) और रसोंत (Rsot ) को आपस में बराबर मात्रा लेकर मूली के रस में मिला कर पीस लें-यह पेस्ट बवासीर के मस्सो पर लगाने से तुरंत राहत मिलती है।

11-नागकेशर (Cobras saffron) मिश्री (sugar-candy ) और ताजा मक्खन (Fresh butter ) बराबर की मात्रा में मिलाकर खाने से बवासीर रोग नियंत्रण में आ जाता है ।

12-बवासीर में छाछ पीना भी अमृत की तरह है छाछ (Buttermilk ) में थोडा सा सैंधा नमक (Rock salt ) मिलाकर पीना चाहिए | तथा मूली का नियमित रूप से सेवन करे -मूली का प्रयोग बवासीर में लाभदायक है |

13- हरड (Myrrh ) और गुड (Molasses ) को आपस में मिलाकर खाए इससे भी काफी फायदा होता है |

14-मिश्री और कमल का हरा पत्ता (Lotus leaf green ) आपस में पीस के खाने से बवासीर का खून बंद हो जाता है |

15-बाजार में मिलने वाले जिमीकंद (Jminkand ) को आग में भून ले जब भुरभुरा हो जाए तब दही के साथ मिलाकर सेवन करे |

16-गेंदे के हरे पत्ते 10 ग्राम,काली मिर्च के 5 दाने मिश्री 10 ग्राम सबको 50 मिली पानी में पीस कर मिला दें | ऐसा मिश्रण चार दिन तक लेते रहने से खूनी बवासीर खत्म हो जाती है |

17-कडवी तोरई ( Bitter Luffa ) की जड को पीसकर यह पेस्ट मस्से पर लगाने से लाभ होता है।

18-करंज- हरसिंगार- बबूल- जामुन- बकायन- ईमली (Krnj- Hrsingar- Bbul- Jamun- Bkayn-tamarind ) इन छ: की बीजों की गिरी और काली मिर्च (black pepper ) इन सभी चीजों को बराबर मात्रा में लेकर कूट पीसकर मटर के दाने के बराबर गोलियां बनालें। 2 गोली दिन में दो बार छाछ के साथ लेने से बवासीर में अचूक लाभ होता है।

19-चिरायता-सोंठ-दारूहल्दी-नागकेशर-लाल चन्दन-खिरेंटी (Salicylic-ginger-Daruhldi-cobras saffron-red sandal-Kirenti ) इन सबको समान मात्रा मे लेकर चूर्ण बनालें। 5ग्राम चूर्ण दही के साथ लेने से पाईल्स ठीक होंगा |

20-पके केले को बीच से चीरकर दो टुकडे कर लें और उसपर कत्था पीसकर छिडक दें,इसके बाद उस केले को खुली जगह पर शाम को रख दें,सुबह शौच से निवृत्त होने के बाद उस केले को खालें, केवल 15 दिन तक यह उपचार करने से भयंकर से भयंकर बवासीर समाप्त हो जाती है।

21-हर-सिंगार के फ़ूल तीन ग्राम काली मिर्च एक ग्राम और पीपल एक ग्राम सभी को पीसकर उसका चूर्ण तीस ग्राम शकर की चासनी में मिला लें,रात को सोते समय पांच छ: दिन तक इसे खायें। इस उपचार से खूनी बवासीर में आशातीत लाभ होता है। कब्ज करने वाले भोजन पदार्थ वर्जित हैं।

22-प्याज के छोटे छोटे टुकडे करने के बाद सुखालें,सूखे टुकडे दस ग्राम घी में तलें,बाद में एक ग्राम तिल और बीस ग्राम मिश्री मिलाकर रोजाना खाने से बवासीर का नाश होता है| या बवासीर की समस्या हो तो प्याज के 4-5 चम्मच रस में मिश्री और पानी मिलाकर नियमित रूप से लें, खून आना बंद हो जाएगा। प्याज के स्वास्थ लाभ के लिए देखे -

23-बिदारीकंद और पीपल समान भाग लेकर चूर्ण बनालें। 3 ग्राम चूर्ण बकरी के दूध के साथ पियें।

24-आक के पत्ते और तम्बाखू के पत्ते गीले कपडे मे लपेटकर गरम राख में रखकर सेक लें। फ़िर इन पत्तों को निचोडने से जो रस निकले उसे मस्सों पर लगाने से मस्से समाप्त होते हैं।

25-एक नीबू लेकर उसे काट लें,और दोनो फ़ांकों पर पांच ग्राम कत्था पीस कर छिडक दें, खुली जगह पर रात भर रहने दें,सुबह बासी मुंह दोनो फ़ांकों को चूस लें,कैसी भी खूनी बबासीर दो या तीन हफ़्तों में ठीक हो जायेगी।
एक आसान प्रयोग ::

--सूखे नारियल की जटा, जिससे रस्सी, चटाई आदि बनाते हैं। इस भूरे जटा को जलाकर राख बना लें और इसे अच्छी तरह छान लें। इस छनी हुई जटा-भष्म में तीन चम्मच निकालें और एक-एक चम्मच की पुड़िया बनाएं।एक पुड़िया जटा-भष्म को मीठे दही या छाछ(जो खट्टा नहीं हो) में मिलाकर एकबार ले लें। बादी-ववासीर जड़-मूल से नष्ट हो जाएगा। जरूरत पड़े तो दोबारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है। वैसे दुबारा इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ती है।

होमियो-पेथी से इलाज :-
होमियोपैथी की मदर-टिंचर हेमेमिलिस और बायो-काम्बिनेशन नम्बर सत्रह की पाँच-पाँच बूंद हेमेमिलिस आधा कप पानी में मिला कर दिन में तीन बार और बायो-काम्बिनेशन सत्रह की चार-चार गोलियाँ तीन बार लेने से खूनी और साधारण बवासीर ठीक हो जाती है।

परहेज (Avoiding ):-
घी, तेल से बने पकवानों का सेवन न करें।उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रसों से निर्मित खाद्य पदार्थो का सेवन न करें। ऊंट, घोडे, व स्कूटर, साईकिल पर लम्बी यात्रा न करें।

अधिक समय कुर्सी पर बैठकर काम न करें।दूषित जल से स्नान न करें।
भंगदर रोग के चलते समलेंगिक सहवास से अलग रहे।

बाजार के चटपटे-स्वादिष्ट छोले-भठूरे-समोसे-कचौड़ी-चाट-पकौड़ी आदि का सेवन न करें।

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