Thursday 14 January 2016

कब्ज


















अनियमित खान-पान के चलते लोगों में कब्ज एक आम बीमारी की तरह प्रचलित है। यह पाचन तन्त्र का प्रमुख विकार है। कब्ज सिर्फ भूख ही कम नहीं करती वरन् गैस, एसिडिटी व शरीर में होने वाली अन्य कई समस्याएं पैदा कर सकती है।

मल निष्कासन की प्रकृति प्रत्येक मनुष्य में अलग-अलग पाई जाती है। किसी को दिन में एक बार मल विसर्जन होता है तो किसी को दिन में 2 से 3 बार होता है तो कुछ लोग हफ़्ते में 2 या 3 बार मल विसर्जन करते हैं। ज्यादा कठोर, गाढा और सूखा मल जिसको बाहर धकेलने के लिये जोर लगाना पडे यह कब्ज रोग का प्रमुख लक्षण है। ऐसा मल हफ़्ते में 3 से कम दफ़ा आता है और यह इस रोग का दूसरा लक्षण है। रोग में पेट फ़ूलने की शिकायत भी देखने को मिलती है। यह रोग किसी व्यक्ति को किसी भी आयु में हो सकता है। लेकिन महिलाओं और बुजुर्गों में कब्ज रोग की प्राधानता पाई जाती है।

नीचे कुछ ऐसे कब्ज निवारक उपचारों का उल्लेख किया जा रहा हूं जिनके समुचित उपयोग से कब्ज का निवारण होता है और कब्ज से होने वाले रोगों से भी बचाव हो जाता है।

कब्ज का मूल कारण शरीर मे तरल की कमी होना है। पानी की कमी से आंतों में मल सूख जाता है अत: कब्ज से परेशान रोगी को दिन मे मौसम के मुताबिक 3 से 5 लिटर पानी पीने की आदत डालना चाहिये। इससे कब्ज रोग निवारण मे बहुत मदद मिलती है।

हरी पत्तेदार सब्जियों और फ़लों में प्रचुर रेशा पाया जाता है। अतः अपने भोजन मे ज्यादातर हरी सब्जियां और फ़ल दोनों शामिल करें।

सूखा भोजन ना लें। अपने भोजन में तेल और घी की मात्रा का उचित स्तर बनाये रखें। चिकनाई वाले पदार्थ से दस्त साफ़ आती है।

पका हुआ बिल्व फ़ल कब्ज के लिये श्रेष्ठ औषधि है। इसे पानी में उबालें। फ़िर मसलकर रस निकालकर नित्य दिन तक पियें।

रात को सोते समय एक गिलास गरम दूध पियें। मल आंतों में चिपक रहा हो तो दूध में तीन चार चम्मच केस्टर आईल (अरंडी तेल) मिलाकर पीना चाहिये। कब्ज पीड़ित लोगों के लिए बादाम का तेल बेहतर विकल्प है। इससे आंत की कार्य क्षमता बढ़ती है। रात को सोते वक्त गुन गुने दूध में बादाम का तेल तीन ग्राम मिलाकर सेवन करें। तेल की मात्रा धीरे - धीरे बढ़ाकर 6 ग्राम तक करें। एक महीने तक यह प्रयोग करने से वर्षों से चली आ रही कब्ज भी जड से खत्म हो जाती है।

इसबगोल की की भूसी कब्ज में परम हितकारी है। दूध या पानी के साथ दो से तीन चम्मच इसबगोल की भूसी रात को सोते वक्त लेना फ़ायदे मंद है। यह एक कुदरती रेशा है और आंतों की सक्रियता बढाता है।

निम्बू का रस गर्म पानी के साथ रात्रि‍ में लेने से दस्‍त खुलकर आता हैं। निम्बू का रस और शक्‍कर प्रत्‍येक 12 ग्राम एक गि‍लास पानी में मि‍लाकर रात को पीने से कुछ ही दि‍नों में पुरानी से पुरानी कब्‍ज दूर हो जाती है।
एक गिलास दूध में एक या दो चम्मच घी मिलाकर रात को सोते समय पीने से भी कब्ज रोग का समाधान होता है।

एक कप गरम जल मे एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से कब्ज समाप्त हो जाती है। दिन मे तीन बार पीना हितकर है।

जल्दी सुबह उठकर एक लिटर मामूली गरम पानी पीकर दो तीन किलोमीटर घूमने जाएं। कब्ज का बेहतरीन उपचार है।

अमरूद और पपीता ये दोनो फ़ल कब्ज रोगी के लिये अमॄत समान है। ये फ़ल दिन मे किसी भी समय खाये जा सकते हैं। इन फ़लों में पर्याप्त रेशा होता है और आंतों को शक्ति देते हैं जिससे मल आसानी से विसर्जीत होता है।

किशमिश पानी में तीन घन्टे गलाकर खाने से आंतों को ताकत मिलती है और दस्त आसानी से आती है। अंगूर का नियमित रूप से उपयोग करना भी फायदेमंद है।

अलसी के बीज का मिक्सर में पावडर बनालें। एक गिलास पानी मे 20 ग्राम के करीब यह पावडर डालें और तीन घन्टे तक भीगने के बाद छानकर यह पानी पी जाएं। बेहद उपकारी ईलाज है।

पालक का रस या पालक कच्चा खाने से कब्ज नाश होता है। एक गिलास पालक का रस रोज पीना उत्तम है। पुरानी से पुरानी कब्ज भी इस सरल उपचार से मिट जाती है।

अंजीर कब्ज हरण फ़ल है। तीन से चार अंजीर फ़ल रात भर पानी में भिगोकर सुबह खाएं। आंतों को गतिमान कर कब्ज का निवारण होता है।

बड़ी मुनक्का पेट के लिए बहुत लाभप्रद होती है। सात आठ मुनक्का रोजाना रात को सोते वक्त लेने से कब्ज रोग का स्थाई समाधान हो जाता है। एक तरीका ये है कि मुनक्का को दूध में उबालें कि दूध आधा रह जाए। गुनगुना दूध सोने के आधे घंटा पहले सेवन करें ।

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