Friday, 15 January 2016

आयुर्वेदिक औषधियों के कुछ दुष्प्रभाव














आयुर्वेदिक औषधियों के कुछ दुष्प्रभाव :-

अदरक :-अदरक की प्रकृति गर्म होने के कारण जिन व्यक्तियों को ग्रीष्म ऋतु में गर्म प्रकृति का भोजन न पचता हो, कुष्ठ, पीलिया, रक्तपित्त, घाव, ज्वर, शरीर से रक्तस्राव की स्थिति, मूत्रकृच्छ, जलन जैसी बीमारियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। खून की उल्टी होने पर और गर्मी के मौसम में अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए और यदि आवश्यकता हो तो कम से कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।

आंवला :- खाली पेट आंवले का सेवन हानिकारक होता है। आंवला प्लीहा (तिल्ली) के लिए हानिकारक होता है, लेकिन शहद के साथ सेवन करने से यह दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है। शहद और बादाम का तेल आंवले के दोषों को दूर करता है तथा इसके गुणों में सहायक होता है।

धनिया :- धनिया का ज्यादा सेवन याददाश्त को कमजोर करता है।

टमाटर :- टमाटर पथरी, अम्लपित्त, आमवात, शीतपित्ती, सूजन, संधिवात के रोगियों के लिए हितकर नहीं है। जिनके शरीर में गर्मी की मात्रा अधिक हो, मांसपेशियों में दर्द रहता हो, तेज खांसी चलती हो, पेट आंतों व गर्भाशय में उपदंश हो, उन्हें टमाटर से परहेज करना चाहिए, न ही टमाटर का सूप आदि पीना चाहिए।

पालक :- पालक को पनीर जैसे मिल्क प्रोडक्ट के साथ नहीं बनाना चाहिए।
पालक की भाजी वायुकारक है, इसलिए वर्षा के मौसम में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

गाजर :- आप डाइट में गाजर का ओवर डोज न लें। वरना आपको कैरोटेनीमिया हो सकता है। इसमें स्किन येलो हो जाती है। गाजर के भीतर का पीलापन भाग (डंठल) नहीं खाना चाहिए। क्योंकि, वह अत्यधिक गरम होता है। जिसके सेवन से छाती में जलन होती है। गाजर के बीज गरम होते हैं। अत: गर्भवती महिलाओं को उनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

गाजर और नींबू का रस मिला कर पीने से दस्त आना बंद हो जाते हैं। इस कारन ये अतिसार (दस्त) की दवाई भी है। अत: जिनको दस्त नहीं आने की शिकायत रहती हो, उन्हें गाजर और नीम्बू के रस को मिलाकर नहीं लेना चाहिए।

गाजर का जूस सभी लोगो को पीना चाहिए, लेकिन जिन लोगो को शुगर की बिमारी है उन्हें गाजर का जूस नहीं पीना चाहिए!
पत्तागोभी :- पत्तागोभी का रस एक सीमित मात्रा में (एक-डेढ़ कप) ही लेना चाहिए। नवीन शोधों से ज्ञात हुआ है कि अधिक मात्रा में लिया गया पत्तागोभी का रस थाइराइड ग्रंथि के स्राव को बढ़ा देता है जो हानिकारक भी हो सकता है।

बथुआ :- पथरी के रोगी को बथुए के साग का सेवन नहीं करना चाहिये, क्योंकि इसमें लौह तत्व अधिक होने के कारण पथरी का निर्माण होता है।
सोयाबीन :- गर्भधारण करने वाली स्त्रियों को सोयाबीन का प्रयोग बिलकुल नही करना चाहियें, क्योंकि इससे जन्मने वाली सन्तान पर बुरा असर पड़ता है।

चाय :- चाय एक प्रकार के पेड़ की पत्ती होती है। यह बहुत प्रसिद्ध है। चाय नियमित पीने के लिए नहीं है। यह आवश्यकतानुसार पीने पर लाभदायक होती है। यह ठंडी प्रकृति वालों के लिए हितकारी है। भूखे पेट चाय पीने से पाचन शक्ति खराब होती है तथा सोते समय चाय पीने से नींद कम आती है। इससे स्नायुविक दर्द (न्यूरेल्जिया) और रक्तचाप बढ़ता है। अत: ऐसे रोगियों के लिए चाय हानिकारक होती है।

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