पानी से विभिन्न रोगों में उपचार
* नकसीर:
अगर ज्यादा तेज धूप में घूमने की वजह से नाक से खून बह रहा हो तो सिर पर लगातार ठंडे पानी को डालने से नकसीर (नाक से खून बहना) बंद हो जाती है।
* वीर्य (धातु) रोग:
ठंडे पानी से नहाने से स्वप्नदोष और वीर्य के रोगों में लाभ होता है।
* कब्ज:
100 मिलीलीटर पानी को गर्म करके उसमें शहद मिलाकर रात को सोने से 30-40 मिनट पहले से पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) की शिकायत दूर होती है।
कब्ज से पीड़ित व्यक्ति को दिन में 25-30 गिलास पानी पीना चाहिए।
एक गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच नमक मिलाकर पीने से उल्टी आकर आमाशय साफ हो जाता है।
पानी को पीने से पेट में कब्ज नहीं बनती है, क्योंकि पानी पीने से मल ढीला रहता है, और आसानी से शौच के दौरान आ जाता है। यदि कब्ज की शिकायत हो तो सुबह पानी में नींबू को निचोड़कर पीने से कब्ज ठीक हो जाती है।
सुबह सोकर उठते ही 1 गिलास पानी पीने तथा भोजन करते समय घूंट-घूंट करके पानी पीने से कब्ज के रोग में लाभ मिलता है।
* दमा (श्वास):
दमा का दौरा पड़ने पर हाथ-पैर को 10 मिनट गर्म पानी में डुबोकर तक रखने से दमा के रोग में बहुत आराम मिलता है।
रात को गर्म पानी पीकर सोने से दमा और खांसी के रोग में लाभ होता है। दमा का दौरा पड़ने पर भी गर्म पानी पीना चाहिए।
* बच्चों का मोटापा बढ़ाना:
ताजा जल 4 घंटे धूप में रखकर रोजाना बच्चों को एक निश्चित समय पर नहलाने से बच्चा मोटा होता जाता है। दुबला-पतला होने पर पानी व पानी से युक्त खाने की वस्तुएं खानी चाहिए।
* नींद न आना (अनिद्रा):
अनिद्रा की स्थिति में सोने से पहले गर्म पानी में 10 मिनट तक पैरों को रखने से नींद तुरंत आ जाती है। ठंडे पानी में पैरों को धोकर सोने से निद्रा अच्छी आती है।
सोने से पहले 5 से 10 मिनट तक गर्म पानी में पिंडलियों (एड़ियों) तक दोनों पैर रखने चाहिए। इसे उष्णपाद नहाना कहते हैं। यदि सिर चकराते हुए प्रतीत हो तो सिर पर गीला रूमाल रखना चाहिए या गर्मी में ठंडे पानी से और सर्दी में गर्म पानी से पैर धोकर सोने से गहरी नींद आती है।
* विषैले दंश (जहरीले दांतों के काटने पर):
बिच्छू, बर्र (ततैया), मधुमक्खी, गिरगिट, चूहा आदि के द्वारा काटे हुए स्थान पर देशी घी मलें और उसके बाद नल खोलकर टोंटी के आधे मुंह पर अंगुली लगाकर काटे हुए स्थान पर लगातार पिचकारी मारें। इस प्रकार तेज जलधारा के लगातार गिराते रहने से विषैले दांतों की जलन ठीक हो जाती है।
* बिच्छू के काटने पर:
बिच्छू के काटने पर तुरंत ही पानी से नहाने से दर्द ऊपर नहीं चढ़ता है।
स्फूर्तिदायक (ताजगी):
सुबह मुंह साफ करके ठंडा पानी पीने से शरीर में स्फूर्ति (ताजगी) आती है।
* पैरों की थकान:
ज्यादा चलने से या ऊंचाई आदि पर चढ़ने से पैरों में थकान आ गई हो तो शाम को गर्म पानी में नमक डालकर थोड़ी देर तक पैरों को डुबाये रखने से पैरों की थकान दूर हो जाती है।
* पेशाब की जलन:
धूप, गर्मी के कारण या गर्म प्रकृति की चीजों को खाने से अगर पेशाब में जलन हो, पेशाब बूंद-बूंद करके आता हो तो ठंडे पानी या बर्फ के पानी में कपड़ा भिगोकर नाभि से नीचे बिछाए रखने से पेशाब खुलकर और बिना दर्द के आता है।
* खुश्की की प्यास:
खुश्की की प्यास (गला सूखने के कारण प्यास) गर्म पानी पीने से ठीक हो जाती है।
* कान में कीड़ा घुस जाने पर:
गर्म पानी में थोड़ा-सा नमक मिलाकर कान में डालकर कान को उल्टा करने से कीड़ा मरकर बाहर निकल जाएगा।
* आवाज का बैठ जाना:
1 भगोने (पतीले) में पानी डालकर उबाल लें। जब पानी में भाप (धुंआ) उठने लगे तो पतीले के ऊपर मुंह करके उसमें से निकलने वाली भाप (धुंए) को गले में खींचने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
* शारीरिक दर्द:
शरीर में कहीं भी कैसा भी दर्द हो तो दर्द होने पर गर्म पानी से सेंककर, फिर ठंडे पानी से धोकर सिंकाई करने से लाभ होता है।
दांत में दर्द:
2 मिनट तक गर्म पानी को मुंह में भरकर रख लें, फिर बहुत ठंडे पानी को 2 मिनट मुंह में रख लें। ऐसा केवल 4 बार ही करें। यह प्रयोग गर्म पानी से प्रारम्भ करके ठंडे पानी से समाप्त करें। इससे दांतों का दर्द दूर हो जाता है। दर्द मिट जाने के बाद भी 3 दिनों तक प्रयोग जारी रखें। यदि मसूढ़े फूलते हो तो गर्म पानी से कुल्ले करने से लाभ मिलता है।
* आग से जल जाने पर (अग्नि दग्ध):
जल जाने पर जले हुए अंग (भाग) को बहुत ठंडे पानी में डुबोए रखें। ऐसा करने से जले हुए स्थान पर जलन नहीं होती है, फफोले नहीं पड़ते हैं और शरीर पर जले हुए का निशान भी नहीं रहता है। जो अंग पानी में डुबोया न जा सके, उसे पानी में कपड़ा भिगोकर रखें तथा उस कपड़े को बार-बार ठंडा पानी डालकर ठंडा करते रहने से आराम मिलेगा।
* घाव (चोट लगने पर):
चोट लगने या जख्म होने पर ठंडे पानी से भीगा हुआ कपड़ा उस स्थान पर बांध दें तथा कपड़े को हमेशा गीला रखे। ऐसा करने से जख्म ठीक हो जाता है।
* बुखार:
तेज ज्वर (बुखार) होने पर सिर पर ठंडे पानी की पट्टी बांधने से लाभ होता है। तेज ज्वर (बुखार) होने पर ठंडे पानी में तौलिया भिगोकर सिर पर रखें और सारे शरीर को गीले कपड़े से पौंछे। ऐसा करते समय शरीर को हवा न लगने दें, शरीर को ढका हुआ रहने दें।
* दस्त में ओ.आर.एस. घोल का प्रयोग :
दस्त होने की हालत में डब्लु.एच.ओ. (वर्ल्ड हैल्थ आर्गनाइजेशन) द्वारा प्रमाणित आर.एस.एस. घोल का घोल बनाकर पिलाने से बच्चों को होने वाले दस्त के कारण आई कमजोरी दूर होती है। ऐसी अवस्था में भोजन बिल्कुल नहीं देना चाहिए। दूध पीने वाले बच्चों को माता अपना दूध पिलाती है, जो बच्चों के लिए काफी लाभकारी होता है।
* घोल बनाने की विधि:
1 लीटर साफ पानी, 8 छोटे चम्मच चीनी या 40 ग्राम नमक। पानी बिल्कुल साफ न हो तो उसे उबालकर ठंडा कर लें। फिर उसमें नमक और चीनी मिला दें। इसे घोलकर छोटे बच्चों को चम्मच से और बड़े बच्चों को गिलास से थोड़ी-थोड़ी देर बाद पिलाते रहने उल्टी और दस्त में लाभ मिलता है
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