कान के रोग के आयुर्वेदिक उपचार
कान हमारे शरीर के बहुत ही संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण अंग होते हैं। अगर इनका सही ख्याल नहीं रखा गया, तो नाज़ुक प्रकृति के होने के कारण, कान से जुडी अनेक समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं।
कान की समस्याएं और रोग अधिकतर सर्दियों से जुड़े होते हैं। कई लोग सर्दी की बीमारी की वजह से कान के रोग के शिकार होते हैं, और अगर सर्दी का इलाज जल्द नहीं किया गया तो सुनने की शक्ति पर असर पड़ सकता है। यह देखा गया है कि अधिकतर बच्चों में कान के पस का निर्माण होता है, जो अपने आप में कान का एक गंभीर रोग होता है और इसका जल्द से जल्द इलाज कराना ज़रूरी होता है।
कान के रोग के लक्षण
एक घंटे से ज्यादा कान में दर्द होना, कान से तरल पदार्थ का स्राव होना
कान के दर्द के साथ बुखार
कान के दर्द के साथ सर दर्द होना वगैरह कान के रोग के लक्षण होते हैं।
कान के रोग के उपचार के लिए कुछ जड़ी बूटियाँ और आयुर्वेदिक उपचार:
बेल: कान के रोग के उपचार के लिए बेल के पेड़ की जड़ को नीम के तेल में डुबोकर उसे जला दें और जो तेल इसमें से रिसेगा, वह सीधे कान में दाल दें। इससे कान के दर्द और संक्रमण में काफी हद तक राहत मिलती है।
नीम: नीम में एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं, जो ऐसे तत्वों को ख़त्म करने के काबिल होते हैं जो कान में विकार पैदा करते हैं।
तुलसी: तुलसी का रस गुनगुना करके कान में डालने से भी कान के रोगों में काफी सहायता मिलती है।
नींबू: अदरक के रस में नींबू का रस मिलाएं और इसकी चार पांच बूँदें कान में डालें। आधे घंटे के बाद रुई से कान को साफ कर दें. फिर सरसों का तेल गुनगुना करके कान में डालने से आराम मिलेगा।
मेथी को गाय के दूध में मिलाकर उसकी कुछ बूँदें संक्रमित कान डालने से भी काफी राहत मिलती है।
तिल के तेल में तली हुई लौंग की कुछ बूँदें भी कान के दर्द में आराम पहुंचाती हैं।
अदरक के रस और प्याज़ के रस के प्रयोग से भी कान के दर्द में काफी आराम मिलता है।
कान के संक्रमण और दर्द के दौरान खान पान:
कान की समस्या के रोगी को ऐसे खान पान के सेवन से बचना चाहिए जो कि उसके कान के रोगों को जन्म देनेवाले कफ के दोष को उग्र रूप दे सकते हैं।
खट्टी चीज़ों का, जैसे कि खट्टी दही और खट्टे फलों के सेवन से भी कफ का दोष बढ़ सकता है।
केले, तरबूज, संतरे और पपीता के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इससे सर्दी बढ़ सकती है, जो आगे जाकर कान की समस्यों को बढ़ावा दे सकती है।
कान की समस्याओं के दौरान प्याज़, अदरक और लहसून का प्रयोग लाभकारी सिद्ध होता है। हल्दी भी अत्यधिक गुणकारी होता है, और इसे खान पान में मसाले की तरह प्रयोग करना चाहिए।
आपके कानो में गन्दा पानी न समाने पाए, इस बात का पूरा ध्यान रखें जिसके लिए आपको गंदे पानी में तैरने से या डुबकी लगाने से बचना चाहिए। अगर ऐसा करना जरुरी हो तो कान को किसी कवच से ढँक लिया करें।
कान के रोगों को लापरवाही से नहीं लिया जाना चाहिए तथा अगर घरेलू या आयुर्वेदिक उपचार से लाभ नहीं पहुँच रहा हो तो किसी अच्छे डॉक्टर से इलाज करवानी चाहिए।
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