अनुलोम विलोम प्राणायाम
* अनुलोम –विलोम प्रणायाम में सांस लेने व छोड़ने की विधि को बार-बार दोहराया जाता है।
* इस प्राणायाम को 'नाड़ी शोधक प्राणायाम' भी कहते है।
* अनुलोम-विलोम को रोज करने से शरीर की सभी नाड़ियों स्वस्थ व
निरोग रहती है।
* इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं।
* वृद्धावस्था में अनुलोम-विलोम प्राणायाम योगा करने से गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायतें दूर होती हैं।
विधि
- दरी व कंबल स्वच्छ जगह पर बिछाकर उस पर अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं।
- फिर अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से सांस अंदर की ओर भरे और फिर बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें।
- उसके बाद दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और सांस को बाहर निकालें।
- अब दायीं नासिका से ही सांस अंदर की ओर भरे और दायीं नाक को बंद करके बायीं नासिका खोलकर सांस को 8 की गिनती में बाहर निकालें।
- इस क्रिया को पहले 3 मिनट तक और फिर धीरे-धीरे इसका अभ्यास
बढ़ाते हुए 10 मिनट तक करें।
- 10 मिनट से अधिक समय तक इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- इस प्रणायाम को सुबह-सुबह खुली हवा में बैठकर करें।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.