Monday, 10 November 2014

भद्रासन


















भद्रासन का अर्थ होता है मणियों से जड़ा हुआ राजसिंहासन जिस पर राज्याभिषेक होता है। भद्रासन दो-तीन तरीके से किया जाता है। यहां प्रस्तुत है भद्रासन की सरल विधि।

आसन का लाभ:- मन की एकाग्रता के लिए यह आसन अधिक लाभकारी है। इसके अलावा भद्रासन के नियमित अभ्यास से रति सुख में धैर्य और एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है। यह आसन पुरुषों और महिलाओं के स्नायु तंत्र और रक्तवह-तन्त्र को मजबूत करता है।

भद्रासन की विधि :
पहली विधि- दरी बिछाकर उस पर सबसे पहले दंडासन की स्थि‍ति में बैठ जाएं। फिर घुटनों को मोड़कर दोनों पैरों की पगथलियों को आपसे में मिलकर एड़ियों को गुदाद्वार या लिंग के नीचे वाली हड्डी पर टिका दें। दोनों हाथों के पंजों को मिलकार पांव के पंजों को पड़कर माथे को भूमि पर लगाएं। अब कुछ देर के लिए नाक के अगले भाग पर दृष्टि जमाएं। यह भद्रासन की पहली स्थिति है। योग के ज्ञाता इसे गोरक्षासन भी कहते हैं।

दूसरी विधि- दरी पर पहले दंडासन में बैठ जाएं। अब अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाकर पगथली को नितम्ब के नीचे रखें। फिर बाएं पैर को भी घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाकर पगथली को नितम्ब के नीचे रखें। अब दोनों हाथ घुटनों पर रखें और घुटनों को एक-दूसरे से सुविधानुसार जितना हो सके दूर रखें। आखें बंद कर अब कुछ देर के लिए नाक के अगले भाग पर दृष्टि जमाएं। यह दूसरी स्थिति है। संक्षिप्त में कहें तो वज्रासन में बैठकर दोनों घुटनों को दूर से दूर कर दें।

इसके अलावा भी भद्रासन की और भी विधियां बताई जाती है। उक्त दोनों ही स्थितियों में जालंधर बंध लगाया जा सकता है। 

सावधानी : यदि किसी प्रकार का कोई गंभीर रोग हो, पेट रोग हो या घुटनों का दर्द हो तो यह आसन किसी योग चिकित्सक से पूछकर ही करना चाहिए।

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