Thursday, 27 November 2014

अमलतास- बुखार, डायबिटीज़, अस्थमा

















बुखार, डायबिटीज़, अस्थमा...और कई बीमारियों को जड़ से मिटाता है यह फूल

गर्मियों में झूमरों की तरह लटके हुए पीले फूलों के गुच्छे जिन पेड़ों पर दिखाई देते हैं और ठंड के आते आते लम्बी लम्बी काली फल्लियां जिन पेड़ों पर लद जाती हैं, अमलतास के नाम से जाना जाता है। शहरों में सड़क के किनारे अक्सर इसे सजावट वाले पेड़ के तौर पर लगाया जाता है। शहरों में उद्यानों और सड़कों के सौंदर्यीकरण के लिए लगाए जाने वाले इस पेड़ के सभी अंगों के औषधीय गुणों के बारे में कम लोग ही जानते हैं। आइए आज जानते है अमलतास के औषधीय गुणों के बारे में आदिवासियों की जानकारी और इससे संबंधित हर्बल नुस्खे।

अमलतास है आदिवासियों की गजब की औषधि

1) अमलतास की पत्तियों को छा के साथ कुचलकर त्वचा पर लगाया जाए तो त्वचा संबंधित अनेक समस्याओं में आराम मिल जाता है। दाद खाज खुजली होने पर अमलतास की फल्लियों के पल्प/ गूदे और मीठे नीम की पत्तियों को साथ में कुचला जाए और संक्रमित त्वचा पर इसे लेपित किया जाए तो आराम मिल जाता है।

2-अस्थमा होने पर क्या करें
अस्थमा की शिकायत होने पर पत्तियों को कुचलकर 10 मिली रस पिलाया जाए तो सांस की तकलीफ में काफी आराम मिल जाता है। आदिवासियों के अनुसार प्रतिदिन दिन में दो बार लगभग एक माह तक लगातार पिलाने से रोगी को राहत मिल जाती है।

3-डांग- गुजरात में आदिवासी अमलतास की फल्लियों को एक किनारे से तोड़कर अंदर से खोखला करके गूदे को बाहर निकाल फेंकते हैं। खोखली फल्ली में रात में पानी भर के रख दिया जाता है। सुबह इस पानी को उस व्यक्ति को दिया जाता है जिसे लगातार दस्त हो रहें हो। बड़ी तेजी से आराम मिल जाता है।

4-शुगर के लिए फायदेमंद
आदिवासी मधुमेह (डायबिटीज़) के रोगियों को प्रतिदिन अमलतास की फल्लियों के गूदे का सेवन करने की सलाह देते हैं। प्रतिदिन सुबह शाम 3 ग्राम गूदे का सेवन गुनगुने पानी के साथ करने से मधुमेह में आराम मिलने लगता है।

5-आंवला और अमलतास के गूदे की समान मात्रा को मिलाकर 100 मिली पानी में उबाला जाए और जब यह आधा शेष बचे तो इसे छान लिया जाए और रक्त विकारों से ग्रस्त रोगियों को दिया जाए तो विकार शांत हो जाते है।

6-बुखार में कैसे प्रयोग करें
बुखार होने पर अमलतास के गूदे की 3 ग्राम मात्रा दिन में तीन बार 6 दिनों तक लगातार दिया जाए तो बुखार में आराम मिल जाता है और बुखार के साथ होने वाले बदन दर्द में भी राहत मिलती है।

7-पातालकोट में हर्बल जानकार हर्रा के फल, कुटकी के दाने, अमलतास के बीज और आंवला के फल की समान मात्रा लेकर कुचल लिया जाता है और सारे मिश्रण को पानी में उबाला जाता है। लगभग ४ ग्राम काढे में स्वादानुसार शहद मिलाकर चटाया जाए, तेज बुखार को शांत करने में काफी मदद करता है।

8-कब्ज में राहत के लिए
अमलतास के ताजे गूदे को अपचन से परेशान व्यक्ति को दिया जाए तो आराम मिलता है। गुजरात में आदिवासी इस गूदे के साथ कच्चे जीरे के साथ मिलाकर खिलाते है, काफी असरकारक होता है।

9-अमलतास की फल्लियों और छाल के चूर्ण को उबालकर पिया जाए तो आर्थरायटिस और जोड़ दर्द में आराम देता है। पातालकोट में आदिवासी अमलतास की छाल, गुडुची की तने और अडूसा की पत्तियों की समान मात्रा लेकर काढा तैयार करते है और आर्थरायटिस के रोगियों को देते है।

10-शरीर में जलन होने पर
पेशाब में जलन होने पर अमलतास के फल के गूदे, अंगूर, और पुनर्नवा की समान मात्रा (प्रत्येक ६ ग्राम) लेकर 250 मिली पानी में उबाला जाता है और 20 मिनिट तक धीमी आँच पर उबाला जाता है। ठंडा होने पर रोगी को दिया जाए तो पेशाब में जलन होना बंद हो जाती है।

11-डांग- गुजरात में आदिवासी अंतमूल, गोखरु, अरंडी, पुनर्नवा और गुडुची की समान मात्रा लेकर सबको पीस लेते है और इसे गुड़ के पाक में उबाला जाता है। छोटी छोटी गोलियां बनाकर बदन दर्द से परेशान रोगियों को 2-2 गोलियां खिलायी जाती है, दर्द में आराम मिलता है।

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