Thursday, 27 November 2014

ज्यूस थेरेपी













ज्यूस थेरेपी

ज्यूस को शरीर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसीलिए प्राकृतिक चिकित्सा में इसका उपयोग किया जाता है और बीमारियों का इलाज किया जाता है।इसमें अलग-अलग फलों और सब्जियों का रस दिया जाता है। करेला जामुन या लौकी के ज्यूस में स्वाद नहीं होता है लेकिन इनका ज्यूस पीने के बहुत फायदे हैं। आइए जानते हैं

ज्यूस थेरेपी के कुछ स्पेशल राज जिनसे कर सकते हैं आप इन बीमारियों का इलाज....

खून की कमी- पालक के पत्तों का रस, मौसम्मी, अंगूर, सेब, टमाटर और गाजर का रस लिया जा सकता है।

भूख की कमी- नींबू, टमाटर का रस लें।

फ्लू और बुखार- मौसम्मी, गाजर, संतरे का रस लेना चाहिए।

एसीडिटी- मौसम्मी, संतरा, नींबू, अनानास का रस लें।

कृमि रोगों में- लहसुन और मूली का रस पेट के कीड़ों को मार देता हैं।

मुहांसों में- गाजर, तरबूज, और प्याज का रस लें।

पीलिया- गन्ने का रस, मौसम्मी और अंगूर का रस दिन में कई बार लेना चाहिए।

पथरी- खीरे का रस लें।

मधुमेह- इस रोग में गाजर, करेला, जामुन, टमाटर, पत्तागोभी एवं पालक का रस लिया जा सकता है।

अल्सर में- गाजर, अंगूर का रस ले सकते हैं। कच्चे नारियल का पानी भी अल्सर ठीक करता है।

मासिकधर्म की पीड़ा में- अनानास का रस लें।

बदहजमी -अपच में नींबू का रस, अनानास का रस लें, आराम मिलेगा।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.