सन्तान प्राप्ति
कस्तूरी 2 रत्ती, अफीम, केसर, जायफल प्रत्येक एक एक ग्राम भांग के पत्ते 250 मिलीग्राम तथा पुराना गुड़, सफेद कत्था प्रत्येक छह ग्राम, सुपारी गुजराती 3 नग एवं लौंग 4 नग लें। सभी औषधियों को कूट छानकर जंगली बेर के समान 10 गोलियाँ बनाकर मासिकधर्म के पश्चात् एक एक गोली सुबह शाम 5 दिन खिलायें।
नोट - इस योग के प्रयोग से 40-50 वर्ष की स्त्री (जिसे मासिक आ रहा हो) का भी बांझपन रोग दूर होकर गर्भ ठहर जाया करता है। यदि प्रथम मास के प्रयोग से गर्भ न ठहरे तो यह प्रयोग जब तक गर्भ न ठहरे दूसरे या तीसरे मास तक कर सकते है।
मोर के पंख के बीच वाले भाग (गहरा नीला) 9 नग लेकर गरम तवे पर भूनकर, बारीक पीसकर पुराने गुड़ में खूब मिलाकर नौ गोलियाँ बना लें। मासिक धर्म आने के दिनों में प्रतिदिन एक गोली 9 दिनों तक प्रातः सूर्योदय से पूर्व, दूध के साथ सेवन करायें। इसके पश्चात् दम्पत्ति सहवास करें तो निश्चित गर्भ ठहर जायेगा। यदि प्रयोग प्रथम मास में असफल रहे तो पुनः दूसरे या तीसरे मास प्रयोग करें।
मासिकधर्म के पश्चात् प्रतिदिन 8 दिनों तक असली नागेश्वर का चूर्ण 3-3 ग्राम गाय के घी में मिलाकर सेवन करने से मात्र पहले या दूसरे महीने में ही अवश्य गर्भ ठहर जाता है। औषधि का सेवन प्रतिदिन दो बार सुबह शाम करायें।
शिवलिंगी के बीज, नागौरी असगन्ध, असली नागकेशर, मुलहठी, कमलकेसर, असली वंशलोचन प्रत्येक 10-10 ग्राम, मिश्री 100 ग्राम लें। सभी औषधियों को कूट-पीसकर चूर्ण बनायें। मासिकधर्म के पश्चात् प्रतिदिन सुबह, दोपहर, शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में बछड़े वाली गाय के दूध के साथ प्रयोग करने से तथा स्त्री पुरूष का एक माह पूर्व से ब्रह्मचर्य का पालन करने तथा औषधि प्रयोग के 12वीं रात्रि सहवास करने से अवश्य गर्भ रहता है। एक माह में एक बार ही सहवास करें। अधिक से अधिक चार माह के प्रयोग से ही अवश्य गर्भ ठहर जाता है।
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