अंकुरित अनाज
किसी भी अनाज, गिरी तथा बीज आदि को अंकुरित करने का एक सीधा-सा तरीका है- इसके लिए अनाज को 12 घंटे तक पानी में भिगोने के बाद छानकर एक कपड़े में बांध लें। लेकिन इसके लिए तीन नियमों का पालन करना जरूरी हैं- पहला भिगोने के बाद पानी हटाना, दूसरा पानी हटाने के बाद हवा लगाना और तीसरा अंधेरा।
1.मूंगफली में 12 घंटे में अंकुर फूटते हैं
2.चना 24 घंटे में
3.गेहूं आदि 36 घंटे में अंकुरित होते हैं।
वैसे तो अंकुरित अनाजों को कच्चा ही खाना चाहिए लेकिन यदि उन्हे स्वादिष्ट बनाना है तो उनमें थोड़ी मूंग भिगोकर मिला दें। फिर उसमें हरा धनिया, टमाटर, अदरक और प्याज मिला लें।यदि उसमें चना मिलाना चाहे तो मिला सकते हैं लेकिन बिल्कुल थोड़ी मात्रा में।
प्रश्न उठता है कि इन्हे अलग-अलग भिगोएं या एक साथ। इसे अलग-अलग भिगोना अच्छा है जैसे- आपने चना भिगोया और उसके साथ मूंग भी भिगो दी लेकिन दोनों के अंकुरित होने का समय अलग-अलग है। ऐसे में मूंग पहले ही अंकुरित हो जाएगा, लेकिन चना नहीं हो पाएगा। यदि चने के साथ मूंग को 24 घंटे छोड़ते हैं तो मूंग का अंकुर अधिक लम्बा हो जाएगा और उसका न्यूट्रेशन कम हो जाएगा। जिनका अंकुरण समय एक समान हो उन अनाजों को एक साथ भिगो सकते हैं।
अंकुरित आहार लेने का फायदा-
इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें वेस्टेज नहीं होता जिसके कारण उसे निकालने के लिए शरीर को अनावश्यक एनर्जी नहीं लगानी पड़ती। शरीर में वेस्टेज न होने से एनर्जी शरीर की सफाई में लग जाती है जिससे सारे शरीर की सफाई हो जाती है। इससे रोग पैदा होने का जो भी कारण है वह शरीर से बाहर निकल जाता है।
उदाहरण- किसी को हार्ट ब्लॉकेज है तो उसको पूर्ण रूप से नैचुरल डाईट पर डाल दें। इससे उसके हार्ट की सारी ब्लॉकेज खुल जाएगी। किडनी प्रॉब्लम में क्या होता है कि जब 50 या 60 प्रतिशत किडनी खराब हो चुकी होती है तब उसके बारे में पता लग पाता है और जब टैस्ट करवाया जाता है तो पता चलता है कि 20 या 30 प्रतिशत ही किडनी काम कर रही है।
इस प्रॉब्लम का ट्रीटमेंट प्राकृतिक चिकित्सा से करें और नैचुरल डाईट लें। इससे शरीर में बाहर से कोई वेस्टेज नहीं जाएगा जिससे किडनी का कार्य कम हो जाएगा अर्थात उस वेस्टेज को निकालने के लिए किडनी को कम काम करना पड़ेगा। नैचुरल डाईट से वेस्टेज नहीं बन पाता है, जिससे किडनी को आराम मिलता है। जिस तरह सुबह को काम करने और रात को सोने से सारी थकावट दूर हो जाती है उसी तरह जब किडनी को आराम मिलता है तो धीरे-धीरे किडनी के सारे सेल्स नए बनने लगते हैं जिससे किडनी फिर से अपना काम ठीक तरह से करने लगती है।
प्राकृतिक तरीके से नैचुरल डाईट द्वारा शरीर का वेस्ट-प्रोडेक्ट बाहर निकालने से रोग धीरे-धीरे सही हो जाता है।
हार्मोन्स बनाने वाली ग्रंथि में खराबी आई हो तो उसे नैचुरल डाईट से ठीक किया जा सकता है और इसके साथ ही योग के द्वारा पुराने सेल्सों को भी नए बनाए जा सकते हैं।
आप यदि चने को भिगो दो तो उसमें अंकुर आ जाएगा, अर्थात यह जीवित भोजन है। लेकिन उसी को भून लो फिर कितना भी पानी डालों उसमें अंकुर नहीं फूट सकता क्योंकि उसका बहुत सारा हिस्सा नष्ट हो गया होता है और केवल थोड़ा-बहुत न्यूट्रिशन बचता है। ऐसे में यदि हम खा ही रहे हैं तो हम पूरा न्यूट्रिशन क्यों खाएं, हम वेस्टप्रोडेक्ट को शरीर में क्यों बनने दें जिसे निकालने के लिए अनावश्यक एनर्जी भी लगानी पड़े
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