करामाती है सरसों का तेल
सरसों के बीज बहुत लाभदायक हैं। इनमें कैलोरी बहुत कम और डाइट वैल्यू काफी अधिक है। इसकी खुशबू बहुत ही मनमोहक होती है। यह एक महत्वपूर्ण मसाला है। भारत में कई व्यंजनों में इसका खास तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
सरसों का तेल सरसों के बीजों से निकाला जाता है जिसका वैज्ञानिक नाम ब्रासिका निग्रा है। खाना पकाने के अतिरिक्त इसका प्रयोग कई पारम्परिक प्रक्रियाओं में भी किया जाता है जैसे पवित्र दीए जलाना आदि। सरसों के तेल में लगभग 60 प्रतिशत मोनोअनसैचुरेटिड फैटी एसिड्स तथा 20 प्रतिशत पोली अनसैचुरेटिड फैटी एसिड्स मौजूद होते हैं। इसमें कैल्शियम तथा प्राकृतिक एंटी आक्सीडैंट्स मौजूद होते हैं। यह साफ-स्वच्छ होता है और इसमें कोई बचा-खुचा तत्व नहीं होता। सरसों के तेल में मौजूद फैटी एसिड्स इस बात को यकीनी बनाते हैं कि शरीर में कोलैस्ट्रोल के स्तर का संतुलन बनाए रख कर हृदय रोगों के खतरे को कम किया जा सकता है। भारत में आम आदमी सरसों के तेल को कच्ची घानी के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।
कई लाभों के बावजूद सरसों के तेल का स्थान कई अन्य कथित हृदय लाभकारी तेलों ने ले लिया है लेकिन यदि हम सरसों के तेल का प्रयोग बंद कर देंगे तो यह हमारे लिए लाभदायक नहीं होगा।
लाभ
1 सरसों के तेल में विटामिन ए, विटामिन ई, प्रोटीन्स तथा एंटी आक्सीडैंट्स मौजूद होते हैं। ये सारे तत्व इसे बालों के लिए लाभदायक बनाते हैं। बालों के विकास के लिए सरसों का तेल एक उत्प्रेरक के तौर पर काम करता है। इसमें मौजूद विटामिन्स इस बात को यकीनी बनाते हैं कि बालों का विकास तेजी से और स्वास्थ्यवद्र्धक ढंग से हो और बाल गिरें नहीं। सरसों के तेल से बालों की मालिश एक सुरक्षित तथा प्राकृतिक कंडीशनर के तौर पर काम करती है और इससे बाल सिल्की और सॉफ्ट बनते हैं।
2 सरसों के तेल में मौजूद फैटी एसिड्स इसे बहुत बढिय़ा हेयर वाइटलाइजर बनाते हैं क्योंकि ये बालों की जड़ों को पोषण देते हैं। बालों को घना बनाने के लिए और बालों को गिरने से रोकने के लिए नियमित तौर पर इनकी मालिश की जानी चाहिए।
3 सरसों के तेल में एंटी बैक्टीरियल तथा एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं। जब भोजन के माध्यम से सरसों के तेल का सेवन किया जाता है तो यह पाचन प्रणाली के सारे अंगों जैसे पेट, अंतडिय़ों तथा यूरिनरी ट्रैक्ट की इंफैक्शन से हमारा बचाव करता है। इसका इस्तेमाल एंटी बैक्टीरियल तेल के तौर पर भी किया जाता है। फंगल इंफैक्शन से बचने के लिए इसे सीधा त्वचा पर लगाया जा सकता है।
4 यदि सरसों के तेल का नियमित आधार पर सेवन किया जाए तो यह माइग्रेन के दर्द से राहत देने में बहुत महत्वपूर्ण साबित होता है। यह भी माना जाता है कि यह पाचक रसों की भी पूर्ति करता है जो हमारे उचित पाचन में सहायक होते हैं। जो लोग खांसी-जुकाम, अस्थमा तथा साइनसाइटिस से पीड़ित होते हैं उनमें सरसों का तेल बहुत ही आरामदायक प्रभाव छोड़ता है।
5 सरसों के तेल का उपयोग मालिश के लिए भी किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह रक्त प्रवाह, मांसपेशियों को ताकतवर बनाने तथा त्वचा की सघनता को बढ़ाने में सहायक होता है।
6 यह दांतों तथा मसूढ़ों के साथ-साथ रोग-प्रतिरोधक प्रणाली को ताकतवर बनाता है।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.