अपने लीवर को स्वस्थ रखें
लिवर यानी यकृत शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है। यह पेट की रसायन प्रयोगशाला है और पाचन में सहायक कई तरह के रस बनाता है, साथ ही डी-टॉक्सीफिकेशन करता है। आजकल लिवर से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसा शराब और बिगड़ते लाइफस्टाइल की वजह से हो रहा है। यदि लिवर खराब हो जाए तो ट्रांसप्लांट के अलावा कोई उपाय नहीं है। लिवर के रोग के कई कारण हैं।
वायरल हैपेटाइटिस :
यह पांच तरह का होता है। ए, बी, सी, डी और ई। ए और ई दूषित पानी तथा खाने से होता है। इसे आम भाषा में जोंडिस और पीलिया कहते हैं। इसके लक्षण लगभग चार सप्ताह तक चलते हैं।
मरीज को उल्टी और बुखार आता है। स्पष्ट लक्षण होने से मरीज इलाज के लिए पहुंच जाता है, इसलिए लिवर खराब होने के मामले कम ही सामने आते हैं। लिवर फेल होने से दस दिन पहले मरीज की मानसिक स्थिति खराब होने लगती है।
बी और सी वायरल इंफैक्शन है। संक्रमण के डेढ़ से दो महीने बाद लक्षण नजर आते हैं। जिन मामलों में चार महीने में लक्षण नजर आ जाते हैं उन्हें ‘एक्यूट’ कहा जाता है और लिवर बचाया जा सकता है। मगर जिन मामलों में समय 6 महीने से ज्यादा हो जाए तो वे क्रोनिक हो जाते हैं और ऐसे में मरीज के पूरी तरह ठीक होने के आसार कम हो जाते हैं।
जिन्हें बचपन में यह इंफैक्शन होता है, ज्यादातर उन्हीं में बड़े होने पर क्रोनिक हैपेटाइटिस होता है। दोनों ही वायरस लिवर पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इसके लक्षण मुख्य रूप से भूख न लगना, वजन कम होना, पीलिया, बुखार, कमजोरी, उल्टी, पेट में पानी भर जाना, खून की उल्टियां होना, रंग काला होने लगना, पेशाब का रंग गहरा होना आदि। यह लिवर को सख्त कर देता और सिकुडऩे देता है। यदि समय पर इलाज नहीं मिला तो धीरे-धीरे लिवर ट्यूमर में तबदील हो जाता है।
यह मुख्य रूप से एल्कोहल, स्टेरायड, संक्रमित सुई, खून, सर्जरी उपकरण व असुरक्षित यौन संबंधों और बच्चे को मां से भी हो सकता है। पीला बुखार, विल्संस डिसजी और डेंगू भी कई बार हैपेटाइटिस की वजह बनता है। इसके अलावा टी.बी., मिर्गी की दवा, आयुर्वैदिक व हर्बल दवाओं से भी हो सकता है।
शराब के अधिक सेवन से जिगर क्षतिग्रस्त होने लगता है। जिगर में रेशा (फाइब्रोसिस) बनने लगता है, जिससे जिगर सिकुडऩे लगता है। उसमें छोटी-बड़ी गांठ पड़ जाती हैं। यह लिवर सिरोसिस है। जो व्यक्ति रोजाना शराब पीते हैं उनके लिवर सैल डैमेज होने लगते हैं। हालांकि इसका इलाज उपलब्ध है, लेकिन यदि व्यक्ति दोबारा से शराब पीने लगता है तो उसका इलाज संभव नहीं है।
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