त्रिकुटा -
त्रिकुटा जैसा इसका नाम है अर्थात तीन कुटी हुई चीजों के मिश्रण को त्रिकुटा कहते है.
"पीपल", "काली मिर्च" और "सोंठ" इन तीनो के सममिश्रण को (चूर्ण) को त्रिकुटा कहते है.
त्रिकुटा सर्दी, खाँसी, बुखार के लिए बहुत फ़ायदेमंद होता है.तो आईये जाने
त्रिकुटा के कौन-कौन से लाभ है.
1. अपच होने पर - अपचन न हो, इसके लिए त्रिकुटी का चूर्ण शहद के
साथ सुबह ही खा लीजिए. काली पीपल, काली मिर्च व सौंठ को बराबर मात्रा में लेकर पावडर बना लीजिए. शहद के साथ यह चूर्ण खाने से आपको पेट संबंधी समस्या परेशान नहीं करेगी.
2. पीलिया रोग - हल्दी, त्रिफला, बायबिडंग, त्रिकुटा और मण्डूर को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख लें। फिर उस चूर्ण को घी और शहद के साथ मिलाकर खाने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है। आधा चम्मच
त्रिफला का चूर्ण, आधा चम्मच गिलोय का रस,
3. खांसी - त्रिकुटा के बारीक चूर्ण में शहद मिलाकर चाटने से खांसी ठीक हो जाती है.
4.कब्ज - त्रिकुटा (सोंठ, काली मिर्च और छोटी पीपल) 30 ग्राम, त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) 30 ग्राम, पांचों प्रकार के नमक 50 ग्राम, अनारदाना 10 ग्राम तथा बड़ी हरड़ 10 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें. इसमें
से 6 ग्राम रात को ठंडे पानी के साथ लेने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है.
5.जलोदर (पेट में पानी भर जाना)- त्रिकुटा, अवाखार और सेधा नमक को छाछ (मट्ठा) में मिलाकर पीने से जलोदर रोग ठीक हो जाता है।
6. पेट का दर्द - त्रिकुटा, अजवायन, सेंधानमक और कालीमिर्च को पीसकर चूर्ण मिला लें। इसे छाछ (मट्ठे) के साथ सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है.
7. बच्चों के रोग - त्रिकुटा, बड़ी करंज, सेंधा नमक, पाढ़ और पहाड़ी करंज को पीसकर इसमें शहद और घी मिलाकर बच्चों को सेवन कराने से `सूखा रोग´ (रिकेट्स) ठीक हो जाता है.
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