सितोपलादि चूर्ण -----
सर्दियों में बच्चों या बड़ों को अकसर होने वाली खांसी सूखी, कफ वाली या दमे के साथ; से बचने के लिए घर में सितोपलादि चूर्ण अवश्य रखे.
पुराना बुखार, भूख न लगना, श्वास, खांसी, शारीरिक क्षीणता, अरुचि, जीभ का स्वाद ना ले पाना , हाथ-पैर की जलन, नाक व मुंह से खून आना, क्षय आदि रोगों की दवा है सितोपलादि चूर्ण ....
यह जीर्णज्वर, धातुगतज्वर, प्रमेह, छाती में जलन, पित्त विकार, खाँसी में कफ के साथ खून आना, बच्चों की निर्बलता, रात्री में ज्वर आना, नेत्र में उष्णता तथा गले में जलन आदि विकारों को भी दूर करता है ।
सगर्भा स्त्रियों को ३-४ मास तक सेवन करने से गर्भ पुष्ट और तेजस्वी बनता है
मात्रा : २ से ४ ग्राम दिन में २ बार शहद के साथ ले
वैसे यह औषधि मेडिकल स्टोर्स में मिल जाती है पर जो घर पर बनाना चाहे उनके लिए यह विधि है....
इसके घटक किसी भी पंसारी की दूकान से मिल सकते है.
मिश्री-16 भाग /160 gm
वंशलोचन - 8 भाग /80 gm
पिप्पली- 4 भाग / 40 gm
इलाइची- 2 भाग / 20 g.m
दालचीनी- 1 भाग /10 gm
इन सब को बरीक पीस लें .
ये 2-4 ग्राम की मात्रा में मधु या घी के साथ लिया जाता है.
सितोपलादि चूर्ण बनाने की विधि के लिए सधन्यवाद ।
ReplyDelete//30 OCT 2016 ; 10:30 प्रातः //
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