उड़द की दाल
इसे दालों की महारानी कहा जाता है.
- उड़द को एक अत्यंत पौष्टिक दाल के रूप में जाना जाता है, - छिलकों वाली उड़द की दाल में विटामिन, खनिज लवण तो खूब पाए जाते हैं और कोलेस्ट्रॉल नगण्य मात्रा में होता है।
- धुली हुई दाल प्रायः पेट में अफारा कर देती है। छिलकों वाली दाल में यह दुर्गुण नहीं होता।
- गरम मसालों सहित छिलके वाली दाल ज्यादा गुणकारी होती है।
- सप्ताह में तीन दिन भोजन में उड़द की छिलके वाली दाल का सेवन किया जाए, तो यह शरीर को बहुत लाभ करती है। यदि इसमें नींबू मिलाकर खाएँ तो इसका स्वाद बढ़ जाता है और पाचन भी सरल हो जाता है।
- यदि रोगी की जठराग्नि मंद हो तो उड़द का पाक या उड़द के लड्डू बनाकर सेवन कराते हैं। उड़द की दाल को पिसवाकर उसमें सभी प्रकार के मेवे मिलाकर लड्डू बनाते हैं, ये लड्डू अत्यंत शक्ति वर्द्धक होते हैं। इस लड्डू का सेवन निर्बल, कमजोर तथा व्यायाम करने वाले भी करते हैं। इन लड्डुओं का सेवन सिर्फ शीत ऋतु में ही किया जाना चाहिए। शीत ऋतु में पाचन शक्ति प्रबल होती है, इसलिए शीत ऋतु उत्तम मानी गई है।
- इसमें कैल्सियम, पोटेशियम, लौह तत्व, मैग्नेशियम, मैंगनीज जैसे तत्व आदि भी भरपूर पाए जाते है और इसे बतौर औषधि कई हर्बल नुस्खों में उपयोग में लाया जाता है।
- छिलकों वाली उडद की दाल को एक सूती कपडे में लपेट कर तवे पर गर्म किया जाए और जोड दर्द से परेशान व्यक्ति के दर्द वाले हिस्सों पर सेंकाई की जाए तो दर्द में तेजी से आराम मिलता है। काली उडद को खाने के तेल में गर्म करते है और उस तेल से दर्द वाले हिस्सों की मालिश की जाती है। जिससे दर्द में तेजी से आराम मिलता है।
- इसी तेल को लकवे से ग्रस्त व्यक्ति को लकवे वाले शारीरिक अंगों में मालिश करनी चाहिए, फायदा होता है।
- दुबले लोग यदि छिलके वाली उड़द दाल का सेवन करे तो यह वजन बढाने में मदद करती है। अपनी दोनो समय के भोजन में उड़द दाल का सेवन करने वाले लोग अक्सर वजन में तेजी से इजाफा होता हैं।
- फोडे फुन्सियों, घाव और पके हुए जख्मों पर उड़द के आटे की पट्टी बांधकर रखने से आराम मिलता है। दिन में 3-4 बार ऐसा करने से आराम मिल जाता है।
- डांग गुजरात के आदिवासियों के अनुसार गंजेपन दूर करने के लिए उड़द दाल एक अच्छा उपाय है।दाल को उबालकर पीस लिया जाए और इसका लेप रात सोने के समय सिर पर कर लिया जाए तो गंजापन धीरे-धीरे दूर होने लगता है और नए बालों के आने की शुरुआत हो जाती है।
- डांग- गुजरात के आदिवासी मानते है कि उड़द के आटे की लोई तैयार करके दागयुक्त त्वचा पर लगाया जाए और फ़िर नहा लिया जाए तो ल्युकोडर्मा (सफ़ेद दाग) जैसी समस्या में भी आराम मिलता है।
- जिन्हें अपचन की शिकायत हो या बवासीर जैसी समस्याएं हो, उन्हें उडद की दाल का सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से मल त्याग आसानी से होता है।
- उड़द की बिना छिलके की दाल को रात को दूध में भिगो दिया जाए और सुबह इसे बारीक पीस लिया जाए। इसमें कुछ बूंदें नींबू के रस और शहद की डालकर चेहरे पर लेप किया जाए तो एक घंटे बाद इसे धो लिया जाए। ऐसा लगातार कुछ दिनों तक करने से चेहरे के मुहांसे और दाग दूर हो जाते है और चेहरे में नई चमक आ जाती है।
- इसमें बहुत सारा आयरन होता है, जिसे खाने से शरीर को बल मिलता है। इसमें रेड मीट के मुकाबले कई गुना आयरन होता है ।
- जिन लोगों की पाचन शक्ति प्रबल होती है, वे यदि इसका सेवन करें, तो उनके शरीर में रक्त, मांस, मज्जा की वृद्धि होती है। इसमें बहुत सारे घुलनशील रेशे होते हैं जो कि पचने में आसान होते हैं।
- हृदय स्वास्थ्य- कोलेस्ट्रॉल घटाने के अलावा भी काली उड़द स्वास्थ्य वर्धक होती है। यह मैगनीशियम और फोलेट लेवल को बढा कर धमनियों को ब्लॉक होने से बचाती है। मैगनीशियम, दिल का स्वास्थ्य बढाती है क्योंकि यह ब्लड सर्कुलेशन को बढावा देती है।
- 20 से 50 ग्राम उड़द की दाल छिलके वाली रात को पानी में भिगो दें, सुबह इसका छिलका निकालकर बारीक पीस लें। इस पेस्ट को इतने ही घी में हलकी आँच पर लाल होने तक भूनें, फिर उसमें 250 ग्राम दूध डालकर खीर जैसा बना लें, इसमें स्वाद के अनुसार थोड़ी सी मिश्री मिलाकर इसका सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे शरीर ,दिल और दिमाग की शक्ति बढती है.
एक सप्ताह तक इसका सेवन करने से पुराने से पुराना मूत्र रोग ठीक हो जाता है।यदि युवतियाँ इस खीर का सेवन करें तो उनका रूप निखरता है। स्तनपान कराने वाली युवतियों के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। यदि गर्भाशय में कोई विकार है तो दूर होता है। पुरुष हो या स्त्री, उड़द के लड्डू या खीर का नियमपूर्वक सेवन तीन माह करने से नवयौवन मिलता है, यदि यौवन है, तो वह और निखरता है।
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