Wednesday 26 November 2014

प्याज़ का विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)














प्याज़ का विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

आंखों के रोग:
प्याज के रस को आंखों में डालते रहने से आंखों की रोशनी बढ़ती है तथा धुंध, नाखून, जाला, गुबार और मोतियाबिंद आदि आंखों के रोग दूर होते हैं।

अनिद्रा (नींद का कम आना):
कच्चा लाल प्याज या पकाये हुए प्याज को गर्म राख में पकाकर या इसका रस 4 चम्मच पीने से नींद अच्छी आती है।

जाला (आंखों की पुतली पर उत्पन्न सफेदी जाला):
रूई की बत्ती को प्याज के रस में भिगोकर सुखाकर तिल के तेल में जलाकर लगाने से आंखों का जाला (आंखों की पुतली पर पैदा हुआ सफेद जाला) दूर होता है।

ऐंठन:
ऐंठन होने और झटके लगने पर प्याज के गर्म-गर्म रस से पैर के तलुओं पर मालिश करने से आराम मिलता है।

कुत्ते या सियार के काटने पर:
प्याज को पीसकर शहद में मिलाकर जानवर के द्वारा काटे हुए अंग (भाग) पर लगाने और प्याज का रस पिलाने से जहर दूर हो जाता है।

मस्से:
प्याज का रस लगाने से मस्से नष्ट हो जाते हैं।

स्तनों में दूध-वृद्धि:
भोजन में कच्चे प्याज का सेवन अधिक मात्रा में करने से स्तनपान कराने वाली औरतों का दूध बढ़ जाता है।

मिर्गी (अपस्मार):
रोजाना सुबह लगभग 72 मिलीलीटर प्याज का रस थोडा-सा पानी मिलाकर पीने से मिर्गी का दौरा बंद हो जाता है। ऐसा कम से कम 40 दिनों तक कर सकते हैं। मिर्गी के दौरे में प्याज का रस सूंघने से होश में आ जाता है।

लू का लगना:
लगभग 2 ग्राम जीरे के चूर्ण को पीसी हुई प्याज के साथ मिश्री मिलाकर खाने से लू में बहुत लाभ मिलता है।
प्याज के रस को कनपटियों और छाती पर मसलने से लू ठीक हो जाती है।
गर्मी के दिनों में धूप में निकलने से पहले एक कच्चा प्याज साथ में ले जाने से लू लगने का खतरा नहीं रहता है।
रोगी को प्याज का रस लगभग 1 चम्मच की मात्रा में थोड़ी-थोड़ी देर में देते रहने से लू से बचा जा सकता है।
प्याज तथा सिरका मिलाकर इसकी चटनी बनाकर खाने से लू से राहत मिलती है।
प्याज का ताजा रस शरीर पर मलने से लू का असर तुरंत नष्ट हो जाता है।

कान में दर्द:
कान में दर्द, कान में पीव और कान में आवाज आना और बहरापन होने पर प्याज के रस को थोड़ा-सा गर्म करके उसकी 5-7 बूंदे कान में डालने से लाभ मिलता है।
प्याज या लहसुन के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान के दर्द में लाभ होता है।
1 प्याज को गर्म राख में रखकर भून लें और इसे पीस लें। फिर इसका रस निकालकर गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
गधे की लीद (टट्टी) का रस, गुलाबजल, सिरका और प्याज के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
प्याज के बीच के हिस्से को निकालकर गर्म कर लें। फिर इस गर्म भाग को कान में रखने से कान का दर्द चला जाता है। प्याज के रस को गर्म करके उसकी 2-4 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है।

बिच्छू के काटने पर:
प्याज को काटकर उस पर बुझा हुआ चूना लगाकर बिच्छू के डंक पर रगड़ने से बिच्छू के काटे का जह़र तुरंत उतर जाता है।

बाल गिरना :
गंज वाले भाग पर प्याज का रस रगड़ने से बाल वापस उगने लगते हैं और बाल गिरने रुक जाते हैं।

हिचकी (हिक्का):
प्याज को काटकर और धोकर नमक डालकर रोगी को खिलाने से हिचकी रुक जाती है।
10 मिलीलीटर प्याज के रस में 10 ग्राम शहद को मिलाकर उसे चाटकर खाने से हिचकी जल्द बंद हो जाती है।
प्याज काटकर नमक डालकर हर घंटे के अंतर से खाने से हिचकी नहीं आती है।
10 ग्राम प्याज के रस में थोड़ा-सा काला नमक और सेंधानमक मिलाकर चाटने से हिचकी आना बंद हो जाती है।
हिचकी उठने पर प्याज के रस को शहद के साथ सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
प्याज का रस 1 चम्मच में शहद को मिलाकर सेवन करने से हिचकी में लाभ होगा।

जलोदर (पेट में जल का भरना) :
प्याज का रोजाना सेवन करने से बुखार, जलोदर (पेट में पानी का भरना), 

जुकाम, पुरानी खांसी आदि रोगों में लाभ पहुंचता है।

कच्चा प्याज खाने से पेशाब खुलकर आता है जिससे जलोदर (पेट में पानी भरना) की बीमारी ठीक हो जाती है।

प्याज को खाने से जलोदर (पेट में पानी के भरने से पेट का फूलना) में आराम मिलता है।

आमाशय की कमजोरी:
1-2 प्याज को 50 मिलीलीटर सिरके के साथ मिलाकर खाने से आमाशय को ताकत मिलती है।

कब्ज :
कच्चा प्याज रोजाना भोजन के साथ खाने से कब्ज का रोग ठीक होता है।
प्याज के काढ़े को बनाकर रोज 40 मिलीलीटर दिन में 2-3 बार सेवन करने से लाभ होता है।

पेट में कृमि (कीड़े) और अजीर्ण:
1 चम्मच प्याज के रस को हर 2-2 घंटे के बाद रोगी को पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और बदहजमी भी ठीक हो जाती है।

अम्लपित्त (एसिडिटी):
60 ग्राम सफेद प्याज के टुकड़ों को 30 ग्राम दही में मिलाकर रोजाना 3 बार खाने से कम से कम 7 दिनों तक सेवन करने से अम्लपित्त (एसिडिटी) के रोग में लाभ होता है।

प्याज के रस में नींबू को निचोड़कर पीने से पेट, छाती और पेशाब की जलन शांत होती है।

अजीर्ण:
लाल प्याज को काटकर उस पर नींबू निचोड़कर खाने से अजीर्ण (भूख का कम लगना) का रोग दूर होता है।
बच्चों के अजीर्ण (भूख का कम लगना) में प्याज के रस की 5 बूंद पिलाने से लाभ होता है।

पेचिश (मल में खून का आना) :
आंव (एक प्रकार का सफेद तरल पदार्थ), खून के दस्त आने पर एक प्याज को काटकर, पानी से धोकर गाय के ताजे दही के साथ खाने से लाभ मिलता है।

दस्त:
प्याज को पीसकर नाभि पर लेप करने से दस्त रुक जाते हैं।
30 मिलीलीटर प्याज के रस में 1 राई के बराबर अफीम मिलाकर रोगी को पिलाने से दस्त, मरोड़ आना बंद हो जाते हैं।
प्याज को बारीक पीसकर पेस्ट बनाकर नाभि पर लगाने से भी दस्त में लाभ मिलता है।
प्याज के रस को पीने से भोजन करने के कारण होने वाले दस्त में लाभ मिलता है।

प्याज के रस में बहुत थोड़ी-सी मात्रा में अफीम को मिलाकरं सुबह-शाम पीने से लाभ मिलता है,

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