Sunday, 26 July 2015

कान ( Ear) के रोग के आयुर्वेदिक उपचार


















कान ( Ear) के रोग के आयुर्वेदिक उपचार

कान हमारे शरीर के बहुत ही संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण अंग होते हैं। अगर इनका सही ख्याल नहीं रखा गया, तो नाज़ुक प्रकृति के होने के कारण, कान से जुडी अनेक समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं।

कान की समस्याएं और रोग अधिकतर सर्दियों से जुड़े होते हैं। कई लोग सर्दी की बीमारी की वजह से कान के रोग के शिकार होते हैं, और अगर सर्दी का इलाज जल्द नहीं किया गया तो सुनने की शक्ति पर असर पड़ सकता है। यह देखा गया है कि अधिकतर बच्चों में कान के पस का निर्माण होता है, जो अपने आप में कान का एक गंभीर रोग होता है और इसका जल्द से जल्द इलाज कराना ज़रूरी होता है।

कान के रोग के लक्षण

एक घंटे से ज्यादा कान में दर्द होना, कान से तरल पदार्थ का स्राव होना
कान के दर्द के साथ बुखार
कान के दर्द के साथ सर दर्द होना वगैरह कान के रोग के लक्षण होते हैं।

कान दर्द के घरेलू उपचार--

अपने भोजन में अधिक से अधिक विटामिन -सी युक्त पदार्थों जैसे :अमरुद ,नींबू ,संतरे ,पपीते अदि फलों का प्रयोग करें ये कान के दर्द को कम करने में लाभ देते है।

*अदरख का रस निकालकर दो बूँद कान में टपका देने से भी कण के दर्द एवं सूजन में लाभ मिलता है।

*लहसुन की दो कलीयों को अच्छी तरह से पीसकर इसमें एक चुटकी नमक मिलाकर वूलेन कपडे से बनायी गयी पुल्टीस को दर्द वाले हिस्से पर रखें ,जल्दी ही दर्द में आराम होगा।

*10 मिलि तिल के तेल में 3 लहसुन की कली पीसकर इसे किसी बर्तन में गरम करें।फिर छानकर शीशी में भरलें। इसकी 4-5 बूंदें जिस कान में समस्या हो उसमें टपका दें।कान दर्द में लाभ प्रद नुस्खा है।

*जेतुन का तेल हल्का गरम करके कान में डालने से भी कान के दर्द में राहत मिलती है।

* नीम का तेल: नीम में एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं, जो ऐसे तत्वों को ख़त्म करने के काबिल होते हैं जो कान में विकार पैदा करते हैं।

* कागजी निम्बु को काटकर कान के चारो तरफ इतना रगडें की निम्बु कागज की तरह पतला हो जाए, कान की ज्यादा तर समस्याओं का समाधान. हो जाएगा।

*प्याज का रस निकाल लें,अब रुई के फाये को इस रस में डुबोकर इसे कान के उपर निचोड़ दें ,इससे कान में उत्पन्न सूजन,दर्द , एवं संक्रमण को कम करने में मदद मिलती है।

*तुलसी की ताज़ी पतियों को निचोड़कर दो बूँद कान में टपकाने से कान दर्द से राहत देता है। तुलसी का रस गुनगुना करके कान में डालने से भी कान के रोगों में सहायता मिलती है।

*पांच ग्राम मैथी के बीज को एक बडा चम्मच तिल के तेल में गरम करें। फिर इसे छानकर शीशी में भर लें। अब इसे 2 बूंद दूध के साथ कान में टपकादें। कान पीप का यह बहुत ही कारगार इलाज माना जाता है।

*अदरक के रस में नींबू का रस मिलाएं और इसकी चार पांच बूंदें कान में डालें। आधे घंटे के बाद कान को रुई से साफ कर दें।

*दो या तीन बूँद सरसों का तेल कान में डालने से कान के संक्रमण में तुरंत लाभ मिलता है।

*केले की पेड की हरी छाल लें, इसका रस निकाले। इसे गरम करके सोते वक्त इसकी 3-4 बूंदें कान में डालें । कान दर्द की यह बहुत ही उम्दा दवा है।

*मुलहठी कान दर्द में उपयोगी है। इसे घी में भूनकर बारीक पीसकर पेस्ट बनाएं। फिर इसे कान में लगाएं। कुछ ही मिनिट में दर्द बिलकुल समाप्त होगा। मुलहठी चबाने से भी कान दर्द में राहत मिलती हैं।

*एक मूली के बारीक टुकडे करके उसे सरसों के तेल में पकावें। फिर इसे छानकर शीशी में भर लें ।कान दर्द में इसकी 2-4 बूंदे दिन में 3-4 बार टपकाने से जल्दी ही आराम मिलता है।

*अजवाईन का तेल और तिल का तेल 1:3 में मिलाएं, इसे मामूली गरम करके कान में 2-4 बूंदे टपका दें। कान दर्द में यह बहुत उपयोगी है।

*विल्व (बेल पत्र जो शिव जी को चढ़ाते हैं) का तेल 1-1 बूंद डाले |

* कान दर्द और पीप में स्वंय के पेशाब की उपयोगिता सिद्ध हुई है। ताजा पेशाब ड्रापर में भरकर कान में डालें, बहुत उपयोगी है ।

कान की समस्याओं के दौरान प्याज़, अदरक और लहसून का प्रयोग लाभकारी सिद्ध होता है। हल्दी भी अत्यधिक गुणकारी होता है, और इसे खान पान में मसाले की तरह प्रयोग करना चाहिए।

आपके कानो में गन्दा पानी न समाने पाए, इस बात का पूरा ध्यान रखें जिसके लिए आपको गंदे पानी में तैरने से या डुबकी लगाने से बचना चाहिए। अगर ऐसा करना जरुरी हो तो कान को किसी कवच से ढँक लिया करें।

आप कोई भी दवा करे अगर आपको नियमित कान में दर्द होता हैं तो आप दवा के साथ में सर्वांगासन भ्रामरी और उद्गीठ प्राणायाम नियमित करे। आपकी पुरानी से पुरानी समस्या इन से मुक्त होगी।

नोट- कान की बीमारियों मे लापरवाही बिल्कुल न बरतें। आयुर्वेदिक उपचार से फायदा नहीं हो रहा हो तो किसी अच्छे डॉक्टर से इलाज करवानी चाहिए।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.